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राजस्थान: चुनावी साल में अशोक गहलोत ने खेले बड़े स्टेक, नए लेटर के ऐलान से क्या होगा कांग्रेस की नांव

राजस्थान में पाच पाच साल में सत्ता परिवर्तन का आकर्षण है। अशोक गहलोत को खुद अपनी पार्टी में बड़ी चुनौती लगातार मिल रही है, वह भी सचिन पायलट से। अगर अशोक गहलोत इस बार का चुनाव जीतने में कामयाब हो जाते हैं तो कहीं ना कहीं कांग्रेस में उनका कद और भी बड़ा हो जाएगा।

राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। लेकिन अशोक गहलोत ने राजस्थान में 19 नई पहचान का ऐलान कर दिया। इन वायरल होने की काफी पहले से चल रही थी। चुनावी साल को ध्यान में रखते हुए ही अशोक गहलोत ने 19 नए नामों के निर्माण को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही टीम का हिस्सा भी बनाए गए हैं। गहलोत की सूचना ने राजस्थान के सियासी पर्सों को बढ़ाया है। माना जा रहा है कि गहलोत के इस समझौते से उन गैर-संबंधों पर सीधा प्रभाव पड़ता है जो इस जिले से संबंध रखते हैं। यहां कांग्रेस के पक्ष में माहौल बन सकता है क्योंकि इन नेटवर्क के संगठन के लिए कांग्रेस सरकार ने ही मंजूरी दी है।

गहलोत के इस घोषणा से इन क्षेत्रों से आने वाले कांग्रेस में जबरदस्त खुशी है। हालांकि बीजेपी गहलोत पर सवाल खड़ा कर रही हैं। पूर्व वसुंधरा राजे ने ट्वीट कर लिखा कि कांग्रेस सरकार की घोषणाएं अपने व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों की खोज करने का प्रयास कर रही हैं। इस कोशिश में उन्होंने यथार्थवादी आर्थिक तंत्र को दांव पर लगा दिया। जिसका खामियाजा वाले वर्षों में प्रदेश और प्रदेश की जनता को देखेंगे। उन्होंने कहा कि नई ज़िले बनाने की प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण तथ्यों को नज़रअंदाज़ कर दिया गया है। जिस कारण नया ज़िले बनने से होने वाली भावुकता के बजाय जनता को जंप जटिलताओं का सामना करना पड़ेगा।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि कांग्रेस सरकार को जनमत के दबाव में यह फैसला लेना पड़ा। पूनिया ने कहा, “झूठी घोषणाओं से राज्य के लोग नहीं होंगे क्योंकि राज्य का हर वर्ग महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, कागज लीक, बिगड़ती कानून व्यवस्था और किसानों का पूरा कर्जमाफी जैसे विभिन्न मुद्दों से परेशान है।” कांग्रेस प्रदेश के प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि नए नेटवर्क के गठन से विकास और विकास की गति बढ़ेगी। उन्होंने कहा, ”सीकर में संभाग के गठन से शेखावाटी क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी और आम आदमी को सभी उपलब्ध सुविधाएं होंगी।” उन्होंने कहा कि इससे कानून व्यवस्था भी मजबूत होगी।

हालांकि, राजस्थान में अशोक गहलोत के होश से पूरा सियासी खेल बदल सकता है। इसे गहलोत के मास्टर स्ट्रोक के तौर पर भी देखा जा रहा है। राजस्थान में कुल 50 जिले हो गए हैं। इसके साथ ही 10 संभाग भी होंगे। इसको लेकर गहलोत ने ट्वीट किया कि बढ़ती आबादी एवं बड़े क्षेत्र की वजह से सरकार आम लोगों को नए वृहद लोगों की जरूरत महसूस हो रही थी। एक बड़ा कदम उठा कर कांग्रेस सरकार ने आज 19 नई जिले बनाए। प्रगति की गति अब होगी। दरअसल, इनमें से कई सैटेलाइट के निर्माण को लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेस नेता सचिन पायलट भी लगातार अशोक गहलोत पर दबाव बना रहे थे।

राजस्थान में पाच पाच साल में सत्ता परिवर्तन का आकर्षण है। अशोक गहलोत को खुद अपनी पार्टी में बड़ी चुनौती लगातार मिल रही है, वह भी सचिन पायलट से। अगर अशोक गहलोत इस बार का चुनाव जीतने में कामयाब हो जाते हैं तो कहीं ना कहीं कांग्रेस में उनका कद और भी बड़ा हो जाएगा। यही कारण है कि राजनीतिक गणनाओं को ध्यान में रखते हुए अशोक गहलोत ने इन्हें धारण करने के लिए अधिकृत किया है। ये इलाके सलूंबर भी हैं जिन्हें जिला घोषित किया गया है। इसके अलावा रघु शर्मा के विधानसभा क्षेत्र के केकड़ी को भी जिला बनाया गया है। जिन जगहों को जिला बनाया गया है वहां से ज्यादातर अशोक गहलोत के समर्थक आते हैं। इससे गहलोत विधायक और लोगों में झलकता है जिससे सियासी फायदा हो सकता है।

राज्य में घोषित 19 नई दिल्ली अनूपगढ़, जो गंगानगर का हिस्सा था; बालोतरा (बाड़मेर); ब्यावर (अजमेर); केकड़ी (अजमेर); डीग (भरतपुर); डीडवाना-कुचामन (नागौर); दूदू (जयपुर); गंगापुर सिटी (सवाई माधोपुर); रायपुर उत्तर; रायपुर दक्षिण; जोधपुर पूर्व ; जोधपुर पश्चिम ; कोटपूतली-बहड़ोड़ (जयपुर-अलवर); खैरथल (अलवर); नीम कथा (सीकर); फलोदी (जोधपुर); सलूंबर (उदयपुर); सांचौर (जालोर); और शाहपुरा (भीलवाड़ा)। रायपुर से चार बनाकर देंगे- रायपुर उत्तर, रायपुर दक्षिण, दूदू और कोटपूतली-बहड़ोड़। कोटपूतली वर्तमान में जयपुर का हिस्सा है जबकि बहरोड़ वर्तमान में अलवर में है।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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