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बचपन में चट में सोती थीं एक्ट्रेस, एक डांस ने बदली किस्मत, ठुकरा दिया था फिल्मफेयर अफेयर

नई दिल्ली: वैजयंती माला (वैजयंतीमाला) दक्षिण फिल्मों से बॉलीवुड में आई थीं। उनकी पहली बॉलीवुड फिल्म ‘बहार’ उनकी पहली तमिल फिल्म का हिंदी रीमेक थी। एक ब्राह्मण परिवार में 13 अगस्त 1936 को चैन्नई में जन्मी वैजयंती की मां वसुंधरा देवी भी अपने दौर की मशहूर एक्ट्रेस और डांसर रही हैं। तमिल सिनेमा में उनका काफी नाम था, मगर काम की व्यस्तता के कारण वैजयंती पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। इसलिए, नन्ही वैजयंती अपनी नानी के देख-रेख में बड़ी हुईं।

वैजयंती को उनकी नानी अनुशासन में शत्रु थीं और चाहती थीं कि उनकी नातिन एक क्लासिकल डांसर बने। उन्हें इसकी ट्रेनिंग दी गई है. वे वैजयंती की कमर को सीधा रखने के लिए उन्हें देखने की जगह चट पर सुलाया करती थीं। वैजयंती ने पढ़ाई के साथ-साथ भरतनाट्यम भी खुशी दी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वे जब 4 साल की थीं, तब माता-पिता के साथ इटली की राजधानी रोम गए थे, जहां उन्होंने ईसाई धर्म के सबसे बड़े गुरु पोप के सामने भरतनाट्यम किया था। वे 15 साल के होते-होते एक विख्यात डांसर बन चुकी थीं।

वैजयंती एक बार स्टेज पर भरतनाट्यम कर रही थीं, तब उन्हें तमिल सिनेमा के मशहूर डायरेक्टर एमवी रमन ने देखा था। वैजयंती को अपनी फिल्म में लेने के मकसद से एमवी रमन उनकी नानी से मिलने पहुंचे, पर नानी को लगता है कि अगर उन्होंने ऑप्शन स्वीकार कर लिया तो उनकी नातिन की पढ़ाई और डांस दोनों छूट जाएगी। निर्देशक ने उन्हें गारंटी दी है कि वैजयंती की शिक्षा से छूट नहीं मिलेगी और वे फिल्म के माध्यम से भी लोकप्रिय हो सकते हैं। वैजयंती की नानी आखिरकार मान गईं।

(फोटो साभार: Instagram@vyjayanthimala_fan_01)

फिल्म ‘बहार’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था
वैजयंती ने 1949 में तमिल फिल्म ‘वाज़काई’ (वाज़काई) से फ़िल्मी दुनिया में कदम रखा। उनमें से बॉलीवुड में काम करने का अरमान जागा। फिर उन्होंने 1951 में फ़िल्म ‘बहार’ से हिंदी फ़िल्मों में कदम रखा, जिसकी पहली तमिल फ़िल्म ‘वाज़काई’ का ही रीमेक बनाया गया। वैजयंती ने फिर से हिंदी फिल्मों में नाम कमाने की ठानी और हिंदी भाषा लेखन और बोलीनी सीखी। वे 1954 में ‘नागिन’ में नज़र आईं जो उस दौर की सुपरहिट फिल्म थी। वे बॉलीवुड में सक्रिय रूप से काम करने लगीं, हालांकि साउथ फिल्मों से भी उनका कनेक्शन बना रहा।

1955 की फिल्म ‘देवदास’ बनी चंद्रमुखी थी
दिलीप कुमार के साथ जब 1955 में उनकी फिल्म ‘देवदास’ रिलीज हुई, तो लोगों ने जाना कि वैजयंती सिर्फ एक उमदा डांसर ही नहीं, एक जीने की स्वीकृति भी हैं। उन्हें फिल्म में चंद्रमुखी के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का फिल्मफेयर स्टेटमेंट दिया का ऐलान, पर एक्ट्रेस ने यह आदित्य आदित्य ठुकरा दिया कि चंद्रमुखी की फिल्म में अहम रोल है जो देवदास की जिंदगी में खास स्थान दुश्मन है जो कोई सपोर्टिंग किरदार नहीं है, इसलिए विश्वसनीयता है तो सबसे अच्छी अभिनेत्री का दावा है। फिल्मफेयर ने बेस्ट एक्ट्रेस का सकल सुचारु सेन दिया था, जो पारो के रोल में थे। ख़बरों की निशानी, तो वैजयंती बॉलीवुड की पहली हीरोइनें हैं, जिन्होंने फ़िल्मफेयर को खारिज कर दिया था। बता दें कि 86 साल की वैजयंती माला अब लाइमलाइट से दूर हैं। उनके बेटे सुचिंद्र बाली एक अभिनेता हैं। एक्ट्रेस के पति चमनलाल बाली का कई साल पहले निधन हो गया था।

टैग: वैजयंती माला

 


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