नई दिल्ली: अरविंद अरविंद ने जब भारतीय राजनीति में कदम रखा था तब बड़े-बड़े संदेश गए थे। उनकी बातें और वादों से प्रभावित सभी लोग उनसे जुड़े। हजारों लोग अपनी नौकरी छोड़कर अपने आंदोलन में साथ आए। आम आदमी पार्टी ने सबसे पहले दिल्ली में अपनी राजनीति की शुरुआत की और विधानसभा चुनाव की लड़ाई लड़ी। चुनावों में स्पष्ट बहुमत किसी को नहीं मिला, लेकिन कांग्रेस और आप ने मिलकर सरकार बनाई। यह सरकार कुछ दिनों चली और गठबंधन टूट गया। कुछ महीने बाद दोबारा चुनाव हुए और दिल्ली वालों ने कहा कि आप कैसे प्रतिबंधित हो गए। आज आम आदमी पार्टी दिल्ली के साथ-साथ पंजाब में भी सरकार चला रही है। इस राजनीतिक सफर में आप के हेडकार्ड अरविंद केजरीवाल से कई लोग जुड़े और कई लोगों ने साथ भी छोड़ दिया, लेकिन अब कहा जा रहा है कि केंद्र की जांच सामने से फोटो खिंचवाने अकेले आ गए हैं।
दोनों मंत्री माने जाते हैं सीएम केजरीवाल के मजबूत हाथ
अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की राजनीति ही ईमानदारी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन पर ही शुरू हुई थी। इस दौरान मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन चार्जर के दाएं और बाएं हाथ सामने आ गए। यह दोनों मंत्री स्मार्टफोन के बेहद ही खास माने जाते थे। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस्तीफा देने से पहले मनीष सिसोदिया आप सरकार में 18 मंत्रालयों का कामकाज संभाल रहे थे। आज जब दोनों मंत्री ने इस्तीफ़ा दिया तब यही सवाल उठा कि अब 18 अहम विभाग कौन संभालेगा? सूत्र दावा कर रहे हैं कि मंत्रालय कैलाश गहलोत और राजकुमार आनंद को दिए जाएंगे।
कैसे अकेले छुपाएं?
दिल्ली सरकार में भले ही अरविंद अरविंद का चेहरा होता है लेकिन उनके पास एक भी मंत्रालय नहीं है। सभी महत्वपूर्ण विभाग उनके 6 कैबिनेट मंत्री संभाल रहे थे। अब से कुछ महीने पहले धनशोधन मामले में सत्येंद्र जैन को ईडी ने गिरफ्तार किया। तमाम शिकायतों के बाद भी उन्हें जमानत तो छोड़िये राहत भी नहीं मिली। जिसके बाद उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी ली। अब शराब में घोटाले में डिप्टी और सबसे महत्वपूर्ण विभाग जैसे वित्त, आबकारी, पीडब्ल्यूडी और गृह मंत्रालय देख रहे सिसोदिया को भी सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। आज भी जब उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली तो दोनों मंत्रियों ने इस्तीफ़ा दे दिया। सूत्र दावा कर रहे हैं कि शुरुआत में ही शपथ ग्रहण नहीं करना चाहते थे, लेकिन एक खास रणनीति और कानूनी मजबूरी के तहत वे यह स्वीकार कर रहे हैं।
मनीष सिसोदिया को इस्तीफ़ा क्यों देना पड़ा?
सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को रविवार को गिरफ्तार कर लिया और आज मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया। अब शरजीर सरकार के सामने एक संकट आया कि सिसोदिया जो 18 मंत्रालयों का कामकाज देख रहे थे उनका काम आगे कैसे बढ़ाए? कानूनी जानकारियों के मुताबिक सिसोदिया को 4 मार्च की पेशी के दौरान भी मिलने की जल्दबाजी कम ही है। इससे कामकाज के कामकाज पर असर डालने वाले और विरोधी दल इसे लेकर शिकायत करते हैं और हो सकता है कि वे इसे लेकर कोर्ट में भी हो जाते हैं। जिसके बाद हो सकता है कि न्यायालय उन्हीं के समान निर्देश देता है। इन सब झंझटों से बचने के लिए और गठबंधन का एक राजनीतिक मामिला बनाने के लिए मनीष सिसोदिया ने खुद से ही इस्तीफ़ा दे दिया।
अब आगे क्या करेंगे?
मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के कार्यवाहियों का आकलन किया गया था कि केवल उन्हीं का स्थान किसी और मंत्री को दिया जाएगा, लेकिन इस संभावना को अस्वीकार कर दिया जाएगा। अन्य मंत्री ही सिसोदिया के मंत्रालयों के कामकाज पर नजर रखते हैं। हां, लेकिन इन इस्तीफों को लेकर आम आदमी पार्टी जनता के बीच जरूर जाएगी। दिल्ली सरकार की शिक्षा व्यवस्था को लेकर बेहद आक्रामक रहता है और पिछले 2-3 दिनों की कार्रवाईकलापों को देखकर यह भी लगता है कि अब आप जनता के बीच सिसोदिया की शिक्षा मंत्री की छवि लेकर आएंगे। सरकार की शिक्षा को लेकर बड़े काम को जनता के बीच भावनात्मक कार्ड खेलेगी, जिससे आगे आने वाले चुनावों में वोटों में कटौती की जा सकती है। अब सिसोदिया जीते दिनों जेल में जितने दिन आप के नेता और कार्यकर्ता अपने शुरुआती दिनों में नजर आएंगे, मतलब टहलने पर आंदोलन करते हुए। आंदोलन से शुरू हुई पार्टी अब एक बार फिर से घूमने पर आंदोलन करती हुई आएगी।
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