अरुण जेटली बर्थडे स्पेशल: दिव्यांग भाजपा नेता, कुशल वकील और देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली की आज जयंती है। उनका जन्म 28 दिसंबर 1952 को दिल्ली के एक पंजाबी हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता किशन जेटली भी एक नामी वकील थे और उनकी मां हाउसवाइफ थीं। जेटली की शुरुआती शिक्षा दिल्ली के सेंट जेवियर्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल से हुई थी और उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से बी.कॉम किया था। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी की लॉ फैकल्टी से पार्टनरशिप की।
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र नेता थे जेटली
कॉलेज के समय में जेटली दिल्ली विश्वविद्यालय कैंपस में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता रहे हैं और 1974 में यहां के छात्र संघ अध्यक्ष रहे हैं। वह राज नारायण और जयप्रकाश नारायण द्वारा वर्ष 1973 में शुरू किए गए भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे। आपातकालीन स्थिति के दौरान उन्हें जेल में डाल दिया गया और वहां से छूट के बाद वे जनसंघ में शामिल हो गए।
राजनीतिक करियर में तेजी से आगे मिले
बीजीपी की टैगिंग सरकार में उन्हें 13 अक्टूबर 1999 को सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया और विलिन्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भी बनाया गया। बाद में राम जेठमलानी के मामलों में कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्रालय के अतिरिक्त प्रभार का भी उन्होंने संचालन किया। वे सर्वसम्मति के नेता भी हैं।
वे अपने राजनीतिक करियर में कई बड़े पदों पर रहे लेकिन उन्होंने दावा भी नहीं छोड़ा और इसमें भी उनका करियर ग्राफ काफी अच्छा रहा। वह जहाजरानी मंत्री, नौवहन मंत्री, केंद्रीय मंत्री, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री, वाणिज्य और उद्योग और कानून और न्याय मंत्री भी रहे। 26 मई 2014 को जब मोदी सरकार सत्ता में आई तो जेटली को देश का वित्त मंत्री बनाया गया।
जेटली के निधन के वक्त विदेश दौरे पर थे पीएम मोदी, वहीं हुए भावशून्य
किडनी ट्रांसप्लांट पूरा किया अरुण जेटली 9 अगस्त से दिल्ली एम्स में भर्ती हुए थे और उनका सॉफ्ट टिश्यू कैंसर का इलाज चल रहा था। इस समय उनकी उम्र 66 साल थी। जब जेटली का निधन हुआ, तब उनके बेहद करीबी दोस्त और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत में नहीं थे। पीएम मोदी उस समय बहरीन में थे।
जेटली के निधन पर पीएम मोदी बहरीन में भारतीय समुदाय को संदेश देते हुए भावुक हो गए थे। पीएम मोदी ने कहा था कि मैं आपके सामने एक दबाव दबा रहा हूं। छात्रकाल से लेकर सार्वजनिक जीवन तक हम (पीएम मोदी और अरुण जेटली) साथ चले। हम हर पल साथ जुड़े रहे और साथ संघर्ष करते रहे लेकिन आज उन्होंने (जेटली) देश छोड़ दिया।
पीएम ने कहा कि मैं इस बात की कल्पना नहीं कर सकता कि मैं इतना दूर हूं और मेरा एक दोस्त चला गया। ये मेरे लिए बड़ा मिथ्या है। एक ओर कर्तव्य है और दूसरी ओर मैत्री की भावना। मैं अपने दोस्त अरुण को बहरीन की धरती से श्रद्धांजलि देता हूं। इससे पहले पीएम ने अरुण जेटली की पत्नी और बेटे से फोन पर बात की थी। अरुण के रिश्तेदार ने पीएम से अपील की थी कि वह अपनी विदेश यात्रा रद्द करें।