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हाल के कुछ दिनों में आर्टिफिशियल शुगर का प्रयोग बढ़ा है। न सिर्फ शुगर के मरीज बल्कि वेट लॉस के लिए डाइटिंग फूड पर रहने वाले भी इस तरह की मिठास का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कृत्रिम मिठास यानी आर्टिफिशियल शुगर के इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी दी है। World Health Organisation (World Health Organisation) के अनुसार, यह ब्लड शुगर या वजन कंट्रोल करने की व्यवस्था आपके लिए कई तरह के स्वास्थ्य जोखिम (कृत्रिम चीनी स्वास्थ्य खतरे) बढ़ सकते हैं। जानिए क्या कहते हैं World Health Organisation।
(कृत्रिम चीनी पर शोध) लगातार की जा रही है
इंडेक्स ने अपने पिछले अध्ययनों में बताया था कि कृत्रिम मिठास कोई स्वास्थ्य लाभ तो नहीं देता है, लेकिन नुकसान भी नहीं पहुंचाता है। पर अब एस्पार्टेम के नुकसान बता रहे हैं।
विशेष रूप से न्यूट्रिशन पर लगातार शोध किया जा रहा है। इसके निष्कर्ष ठोस पर आधारित हैं। इस विश्लेषण में लोगों पर संतृप्त वसा और आहार के प्रभावों की जांच करने के बाद समग्र स्वास्थ्य को देखा गया है। इसमें आर्टिफिशियल शुगर के स्वास्थ्य को नुकसान सामने लाया गया है।
कौन-कौन से आर्टिफ़िशियल शुगर इस श्रेणी में शामिल हैं
इंडियन जर्नल ऑफ़ फिलिंग एंड एंडोक्रिनोलोजी (मधुमेह और एंडोक्रिनोलोजी की भारतीय पत्रिका के अनुसार, शुगर सबस्ट्यूट या आर्टिफ़िशियल शुगर को नॉन न्यूट्रिटिव स्वीटनर (गैर पोषक स्वीटनर) कहा जाता है। 6 नॉन न्यूट्रिटिव स्वीटनर (NNS) सैकरीन, एस्पार्टेम, सुक्रालोज़, नियोटेम, एसेल्फ़ेम -के और स्टीविया का प्रयोग किया जाता है।
इस कृत्रिम चीनी को कैलोरी वाली चीनी या बहुत अधिक मिठास चीनी भी कहा जाता है। आर्टिफिशियल शुगर के तौर पर सबसे अधिक सुक्रालोज (sucralose) का प्रयोग किया जाता है। यह क्लोरीनयुक्त चीनी है। साधारण चीनी से यदि तुलना की जाए, तो यह लगभग 600 नमूना अधिक मीठा होता है। यह सुक्रोज (सुक्रोज) से होता है।
एस्पार्टेम के नुकसान भी हैं (Aspartame स्वास्थ्य संबंधी खतरे)
आर्टिफिशियल शुगर या शुगर सबस्टीट्यूट के तौर पर एस्पार्टेम का भी प्रयोग किया जाता है। इसमें अमीनो एसिड, ऐसपर्टिक एसिड, फेनिलालेनाइन और एथनॉल जैसे यौगिक पाए जाते हैं।
बेक किए गए खाद्य पदार्थ-केक, पेस्ट्री, कुकीज या फ्रीज में जमा करने वाले बनाने वाले डेजर्ट, आइसक्रीम, चुइंग गम में आर्टिफिशियल शुगर एस्पार्टेम का उपयोग किया जाता है।
हार्ट डिजीज और लाइनिंग का खतरा (Risk of Heart Health)
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, चीनी के वैकल्पिक आर्टिफ़िशियल शुगर का सेवन लंबे समय तक चलने में मदद करता है, तो बच्चों या वयस्कों में यह ब्रेड कम नहीं करते हैं। यदि यह शरीर के वजन को नियंत्रित करने या गैर-कम्यूनिकेबल डिजीज के जोखिम को कम करने के लिए लिया जाता है, तो यह लंबे समय के लिए प्रभावी नहीं हो सकता है।
उल्टे यह स्वास्थ्य जोखिम बढ़ा सकता है। इसकी लगातार आबादी से एडल्ट में टाइप 2 टाइप 2 मधुमेह (टाइप 2 मधुमेह), कार्डियोवैस्कुलर लेखांकन (हृदय रोग) और मृत्यु दर (मृत्यु दर) का जोखिम बढ़ सकता है।
ब्लड प्रेशर और मोटापा का बढ़ सकता है जोखिम (कृत्रिम चीनी स्वास्थ्य खतरे)
इंडियन जर्नल ऑफ फिलिन एंड एंडोक्रिनोलोजी के अनुसार, यदि आर्टिफिशियल शुगर ज्यादा मात्रा में लिया जाता है, तो इससे ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, मोटापे की समस्या भी हो सकती है। इसे सीमित मात्रा में लेना चाहिए।
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इससे कार्बोहाइड्रेट और एनर्जी इंटेक को सीमित किया जा सकता है। आर्टिफिशियल शुगर का इस्तेमाल शुरू करने से पहले कई तरह से निश्चित रूप से संपर्क करना चाहिए।
इनमें सबसे अच्छी हैं स्वीटनर
World Health Organisation के दिशा-निर्देशों के अनुसार लोगों को फ्री शुगर के सेवन को कम करने के लिए अन्य तरीकों पर भी विचार करना चाहिए। प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले शुगर वाले व्यंजनों का सेवन बढ़ाया जाना चाहिए। फल या व्यवहार संबंधी दृष्टिकोण का प्रयोग करना चाहिए। आर्टिफिशियल शुगर का कोई पोषण मूल्य नहीं है। लोगों को अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए जीवन की शुरुआत से ही मिठास के लिए प्लांट आधारित भोजन को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।
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