लेटेस्ट न्यूज़

अनुराग कश्यप ‘मोहब्बत’ से क्रांति ला रहे हैं, आपको समझनी स्पष्टीकरण – News18 हिंदी

रोमांस का बादशाह शाहरुख खान एकिशन फिल्म‍म कर रहे हैं और ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ और ‘रमन राघव’ जैसी फिल्में बनाने वाले निर्देशक अनुराग कश्‍यप अब रोमांटिक फिल्‍म लेकर आए हैं, वो भी ‘जेन रहे’ वाली… नहीं आपने गलत नहीं सुना बल्‍कि 2023 की शुरुआत बॉलीवुड में कुछ ऐसी ही हुई है। अनुराग कश्यप की फिल्म ‘ऑल मोस्ट प्‍यार विद विद डीजे मोहब्‍बत’ (लगभग प्‍यार विथ डीजे मोहब्बत) आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। ये फिल्म अनुराग फर्स्ट की कोई पहली लव स्टोरी नहीं है। ‘देव डी’, मुक्‍काबाज, ‘मनमर्जियां’ जैसी कई फिल्‍मों में अनुराग बने हैं जो लव-स्टोरेज ही हैं, बस ये लव स्‍टोरीज बॉलीवुड के सेट पेटर्नर फिक्‍स लव स्‍टोररीज नहीं हैं। चल रहे दावे हैं कि ये कहानी ‘पठान’ के तूफान के बीच क्‍या प्‍यार की हल्‍की-सी ब्यार चली है या नहीं।

क्या कहता है कहानी
फिल्म की कहानी की बात करें तो इसमें दो लव स्टोरीज हैं, जो दुनिया के दो अलग-अलग हिस्सों में चल रही हैं। एक प्रेम कहानी है डलहौजी की, जैसे अमृता और याकूब हैं। दूसरी कहानी है लंदन की जिस में हरमीत और आयशा की। डलहौजी की अमृता को संगीत का शौक है और उसे डीजे मोहब्‍बत के कॉन्‍सर्ट ​​में जाना जाता है। अब याकूब उसे इस कॉन्सर्ट में ले जाने का वादा करता है। दूसरी तरफ लंदन में हरमीत खुद एक डीजे है और म्यूजिक की दुनिया में वो क्रांती करना चाहता है। लेकिन आयशा उससे टकराती है और म्युजिक की जगह मोहबबत की क्रांति होती है। अब ये दोनों कहानियां क्या जुड़ी हैं, क्या ये कहानियां हैप्पी और ढूंढ रही हैं… इस सब के लिए आपको थिएटर में जाना होगा।

डीजे मोहब्बत रिव्यू के साथ लगभग प्यार अनुराग कश्यप, डीजे मोहब्बत के साथ लगभग प्यार, मूवी रिव्यू, अनुराग कश्यप, अलाया एफ, करण मेहता, डीजे मोहब्बत के साथ लगभग प्यार हिंदी में मूवी रिव्यू,

ये फिल्म कई मायनो में कुछ नई पेश करती है।

रोजी-रोजी लव स्‍टोरी नहीं है ये फिल्‍म
जैसा कि मैंने पहले ही बताया था कि अनुराग कश्यप का रोमांस उतना रोजी-रोजी नहीं होता है तो इस कहानी में भी आपको सिंर्फ प्यार करने वाले जोड़े और उनके दुश्मन जमाना नहीं मिलेंगे। बल्की प्यार की बहुत सारे मास्टर क्लास आपको इस फिल्म में मिलेगी जो क्लास मारेंगे, डीजे मोहब्‍बत यानी विकी का कौशल। ये फिल्म तस्लीम देखने वाली है, क्योंकी डीजे मोहब्‍बत की बातें और उसकी फ्लॉसफी को समझने के लिए आपको छोटे-छोटे पेशों को रखना होगा। लेकिन सवाल यही है कि इतनी तसल्ली कौन है।

कनेक्शन थोड़ा पेचीदा काम करता है
स्टोरी मी का पहला हाफ थोड़ा धीमा होने लगा और शुरुआत में कनेक्ट करने में भी थोड़ी दिक्कत है। साथ ही दो लव-स्टोरीज़ हैं, जिन में हिमाचल में चल रही लव स्टोरीज हैं और कनेक्ट करने में भी आसान है। लेकिन लंदन में चल रही लव स्टोरी सीधी नहीं है और न ही इतनी ज्यादा जलती है कि पता चलता है। एक ही साथ इस फिल्म में दो अलग-अलग पर चल रही कहानियां एक साथ द‍िखाई जा रही हैं। कभी इस कहानी का सीन तो कभी दूसरी ही पल दूसरी कहानी का सीन। इससे पहले ‘लव ट्रेड’, ‘बार बार देखो’ जैसी फिल्‍मों में भी ऐसा ही हुआ है, जब दो अलग-अलग हिस्‍सों की कही गई बातों को एक साथ पर्दे पर देखा गया है। पर इस तरह की कहानी के पर्दे पर दर्शकों को कनफ्यूज करती है। क्‍योंकि जैसे आप एक हिस्‍से से कनेक्‍ट होते हैं, दूसरा हिस्‍सा आपसे कुछ कहने का प्रयास करता है। ये चैलेंज इस कहानी में भी है।

“isDesktop=”true” id=”5323767″ >

ये फिल्म मसाला लव-स्टोरी नहीं है, बल्की लव-स्तोरी कहती है-कहते ‘लव जिहाद’, प्यार के चक्कर में कटती परिवार की नाक जैसे विशेष को बहुत अच्छे तरीके से उठ गई है। एक और अजीबोगरीब चीज ये है कि जिस सोशल मीडिया पर रील्स बनाने वाले और ‘कंटेंट क्रिएटर्स’ का अक्‍सर मजाक बनाया है कि ‘कुछ भी सामग्री बना रहे हैं’, इस फिल्म में उसी माध्‍यम को यूथ के लिए एक ऐसे प्‍लेटफॉर्म की तरह द‍िखा गया है, जहां वो अपनी हर बात को दिल खोलकर रखता है। फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसकी शुरुआत और इसकी कहानी में बिलकुल रचा-बसा म्यूजिक है। अमीत त्रिवेदी के गाने कहानी में कूद गए हैं और मजेदार हैं। फिल्म से निकलते हुए अगर आप भी ये गाना गाएं ‘मोहब्बत से ही तो क्रांत‍ि जाएगी…’ तो इसका मतलब फिल्मी सफल हो गई है।

डीजे मोहब्बत रिव्यू के साथ लगभग प्यार अनुराग कश्यप, डीजे मोहब्बत के साथ लगभग प्यार, मूवी रिव्यू, अनुराग कश्यप, अलाया एफ, करण मेहता, डीजे मोहब्बत के साथ लगभग प्यार हिंदी में मूवी रिव्यू,

कहानी में एक लव स्टोरी भारत में चल रही है तो दूसरे लंदन में।

अभिनय की बात करें तो अलाया एफ ने एक बार फिर अपनी अभिनय से काफी प्रभावित किया है। फिल्म प्रमोशन के दौरान अनुराग काफी एक्साइटमेंट कर रहे थे और फिल्म देखकर आप समझ जाएंगे कि उन्हें ऐसा क्यों किया। करण मेहता इस फिल्म से देबू कर रहे हैं। करण फ्रेश हैं, नए हैं और पर्दे पर छा जाते हैं। पहली बॉल में उन्‍होंने इंप्रैस किया है। ये फिल्म भले ही अनुराग की है लेकिन इसमें आपको इम्तियाज अली से लेकर गुलजार तक हर किसी की थोड़ी-थोड़ी झलक मिल जाएगी। विकी कौशल तो गुलजार साहब की फेमस लाइन का जिकर भी करते हैं, ‘तीखी निगाहें उन आंखों की महक की सुगंध, हाथ से छूके उन्हें रिश्तों का इल्जाम न दो, सिंर्फ एहसास है ये रूह से महसूस करो, प्यार को प्यार ही रहो दो कोई नाम न दो…’

ये साफ है कि अगर पर्दे पर जो आ रहा है आप उसे ही देख रहे हैं तो आप कुछ मिनट में ही बोर हो जाएंगे. लेकिन अगर आप अनुराग कश्यप के सिनेमा को समझते हैं और पर्दे पर डायलॉग्स के पीछे भेष को पकड़ रहे हैं, तो कहानी आपको निश्चित रूप से बांधे रखेगी। यानी ‘मोहब्बत से ही क्रांति आएगी, पर आपको ये क्रांति पहले समझ आएगी।’ ये फिल्म बॉलीवुड के रोमांस की किताब में फिट नहीं बैठती, लेकिन ये नई पीढ़ी के रोमांस को की नई परिभाषा जरूर दीखती है, जो अनुराग कश्यप ही लिख सकते हैं। इस फिल्म को मेरी तरफ से 3 स्‍टार.

विस्तृत रेटिंग

कहानी:
स्क्रिनप्ल:
डायरेक्शन:
संगीत:

टैग: अलाया एफ, अनुराग कश्यप

Show More
Back to top button

You cannot copy content of this page