
बस्तर नक्सल समाचार: छत्तीसगढ़ के अपराध से प्रभावित बस्तर में डकैतों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में पुलिस की मदद करने वाले पीड़ित पीड़ित युवक और सरेंडर कर्ता नागरिक के लिए एक अच्छी खबर है। राज्य सरकार की ओर से जारी अभियान की नई नीति में अब ऐसे लोगों को भी पुलिस विभाग में नौकरी देने पर रोक लगा दी गई है। जो वैध अभियान में विशेष रूप से पुलिस की सहायता करते हैं। इसके साथ ही उसकी अपनी सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी का खतरा हो गया, ऐसे मामलों में बस्तर के आईजी पीड़ित युवा और सरेंडर किए गए अधिकार पुलिस विभाग में प्रमुख पदों पर सीधे भर्ती कर सकते हैं।
वास्तव में बस्तर में यह देखा जा रहा था कि एंटी बोन ऑपरेशन के दौरान सरेंडर डेंटी और डेंट ऑपरेशन में पुलिस का सहयोग करने वाले ग्रामीण युवकों से जान का खतरा बनने के साथ उन्हें किसी तरह का शासन से कोई सहयोग नहीं मिल रहा था। इसी को देखते हुए अब नई उन्मूलन नीति के तहत ऐसे लोगों को पुलिस विभाग में नौकरी देने पर रोक लगा दी गई है।
पुलिस में नौकरी का फायदा मिलेगा
बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस की ओर से अभियान चलाया जा रहा है, ग्रामीण युवाओं और सरेंडर किए गए अपराधियों की बड़ी भागीदारी है। सरेंडर किए गए अपराधियों की जानकारी के आधार पर पुलिसकर्मी मांद में घुसकर उन्हें नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ घुसपैठियों के माध्यम से स्थानीय निवासियों को भी सरेंडर भी कराती है और स्वायत्त संगठनों के बारे में जानकारी लेती है। इसके अलावा जिन परिवार के लोग हिंसा में मारे गए हैं और जिन परिवार के लोग मरने के लिए घाट चढ़ रहे हैं। उनकी भी पुलिस द्वारा मदद की जा रही है, इन लोगों द्वारा विरोधी विरोधी अभियान में पुलिस को विशेष सहयोग मिलता है, लेकिन कई बार उनकी पहचान होने पर यह सीधे तौर पर स्वाधीनता की नीयत में आ जाते हैं। ऐसे में माल का खतरा भी बना रहता है, जिसे देखते हुए राज्य सरकार की नई अभियोग नीति को प्रमाणित करते हुए ऐसे लोगों को पुलिस में नौकरी देने का अधिकार आईजी रेंज के अधिकारी को दिया गया है। आईजी के स्तर से ऐसे लोगों को पुलिस विभाग में अहम पदों पर भर्ती किया जा सकता है।
इन्हें भी नई नीति का लाभ मिलेगा
इस फैसले के बाद सरेंडर किए गए लोग और पीड़ित पीड़ित युवा काफी खुश हैं। ज्यू सरेंडर डीएडियंस को शासन की ओर से पुनर्वास नीति का लाभ भी दिया जाता है। जिसके साथ उन्हें प्रोत्साहन राशि देने के साथ अन्य सुविधाएं भी दी जाती हैं। यह पहली बार है कि जब पीड़ित पीड़ित लोग विरोधी विरोधी अभियान में विशेष रूप से पुलिस की सहायता प्राप्त हो जाते हैं और उनकी पहचान होने के बाद उनकी अपनी सुरक्षा का खतरा हो जाता है। ऐसे लोगों को शासन में पुलिस नौकरी देगी, इसके अलावा शासन की ओर से पुष्टि किए गए नए अभियोग नीति में शहीदों के परिजनों को अतिरिक्त राहत राशि के रूप में जमीन पर कब्जा करने के लिए 20 लाख रुपये की राशि का प्रावधान रखा गया है। इसके अलावा 5 लाख रुपये इनामी देय या उससे अधिक इनामी ऋणी के सरेंडर करने पर अब 10 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा नई नीति में अन्य राज्य के पीड़ित व्यक्ति को भी लॉग देने का प्रावधान किया गया है।
अजरबैजान राशि की गई
सरेंडर किए गए आश्रितों का पुनर्वास विस्थापन में कठिन होने के कारण राज्य के स्तर पर ऊपरी मुख्य गृह सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। मरने वालों की मौत प्रमुख मौत, मौत और घायल होने पर हुई और उनकी संपत्ति और जीविकोपार्जन की क्षति होने पर शासन ट्राइग्लियर द्वारा डबल कर दिया गया। इसके साथ ही आवश्यक रूप से पीड़ितों की हिंसा में घायल और उनके पैर में चोट लगने से समाज कल्याण विभाग की ओर से मुफ्त कृत्रिम अंगों को दिए जाने की भी पुष्टि की गई है।
अनुकंपा नियुक्ति की तर्ज पर सरकारी नौकरी देने का भी प्रावधान
उसी समय परिवार में कमाने वाले व्यक्ति की मृत्यु करने वाले व्यक्ति की हत्या करने के मामले में अनुकंपा नियुक्ति की सीमा पर सरकारी नौकरी दिए जाने का भी प्रावधान किया गया है। इसके अलावा अगर किसी कारणवश उसे सरकारी नौकरी नहीं मिलती है तो जमीन खरीदने के लिए 15 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि देने का भी प्रावधान है। इसके अलावा 5 लाख या उससे अधिक की राशि रखने वाले नागरिकों पर के सरेंडर करने पर अब उन्हें 10 लाख की अलग राशि देने का प्रावधान रखा गया है। इस राशि ने उसके ऊपर इनामी राशि घोषित की और उसके बदले में समर्पित हथियार के बदले में अन्य राशियों को अतिरिक्त रखा गया। हालांकि यह राशि बैंक में 3 साल के लिए जमा की जाएगी और उसकी ब्याज राशि सरेंडर कार्ड दी जाएगी। 3 साल बाद अभियोग चलाने की समीक्षा करने के बाद यह राशि उसे दी जाएगी, अटल राज्य शासन की अभिस्वीकृति की नीति के सरेंडर किए गए याचिकाकर्ताओं और पीड़ितों ने स्वागत किया है।
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