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आनंद मोहन ने पहली बार न्यूक्लियर कुमार कहा, 27 कैदियों की रिलीज हुई, सिर्फ एक पर ही चर्चा क्यों

एएनआई

निवर्तमान ने कहा कि सब तरह से राय लेकर गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी अधिनायक की हत्या और आम नागरिकों की हत्या में कोई फर्क नहीं होना चाहिए? आनंद मोहन के साथ सुशील मोदी की तस्वीर को दिखाते हुए लगातार ने कहा कि पहले तो यह मांग कर रहे थे, अब पता नहीं क्या हो गया।

उम्रकैद की सजा काटे जाने से नेता बने आनंद मोहन सिंह को 15 साल तक सजा के बाद गुरुवार सुबह सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया। हालांकि, निरंकुश सरकार के इस मत की भी बहुत आलोचना हो रही है। इन सब के बीच पूरे मामले में बिहार के निम्‍न कुमार के अभ्‍यावेदन भी सामने आए हैं। निकुटक कुमार के कहा कि समय-समय पर ऐसे कदम तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। निरंकुश ने कहा कि मैं हैरान हूं। जब ऐसा नहीं होता तो कई लोग इसकी मांग करते थे। अब जब लगा है तो विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2017 से लेकर अभी तक बिहार में 698 बंधकों को रिहा किया गया है। इस बार भी 27 गोपनीयता की घोषणा हुई है, जिसमें से सिर्फ एक ही (कैदी की रिलीज) पर चर्चा क्यों हो रही है?

निवर्तमान ने कहा कि सब तरह से राय लेकर गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी अधिनायक की हत्या और आम नागरिकों की हत्या में कोई फर्क नहीं होना चाहिए? आनंद मोहन के साथ सुशील मोदी की तस्वीर को दिखाते हुए लगातार ने कहा कि पहले तो यह मांग कर रहे थे, अब पता नहीं क्या हो गया। उन्होंने कहा कि पहले लोग मांग रहे थे, अब जब गए तो लोग इसका विरोध कर रहे हैं। इससे पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जब सरकार के पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के लिए उनकी सजा पूरी होने का तर्क दे रही है, तब जेल में दाखिले में इसकी जवाबदेही की जरूरत क्यों पड़ी?

मोदी ने यह भी सवाल उठाया कि क्या जेल कानून को बदले बिना किसी सरकारी अधिकारी की ड्यूटी के दौरान हत्या के दौरान दोषी को रिहा किया जा सकता है? उन्होंने कहा कि एक सजाफ्ता पूर्व सांसद और उनके समुदाय 26 अन्य दुर्दांत अपराधियों को रिहा करने से जनहित का कौन-सा उद्देश्य पूरा हुआ, यह सरकार क्यों नहीं बताती? उन्होंने कहा कि पर्टैलेट्स अधिकारियों की ड्यूटी के दौरान दिनदहाड़े हुई हत्या की यह भयानक घटना लालू राज के डरावने दिनों की याद दिलाती है। उस दौर में डिटेल्स के नरसंहार, हत्या और कब्जे के अपहरण की घटनाएं आम हो चुकी थीं। उन्होंने कहा कि आज चुनावी लाभ के लिए लाखों सरकारी कर्मचारियों की सुरक्षा को ताक पर रख कर राजद-जदू की सरकार दुर्दांत अपराधियों को रिहा कर रही है।

 


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