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ताइवान पर रुख नहीं बदला तो अमेरिका को चुकानी होगी भारी कीमत चीन ने अमेरिका को सीधे तौर पर दी धमकी”ताइवान पर अमेरिका ने बदला रास्ता तो चुकानी होगी बड़ी कीमत”, चीन ने बाइडन की सीधा रैकेट

छवि स्रोत: फ़ाइल
शी जिनपिंग अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (फाइल)

नई दिल्लीः ताइवान को लेकर चीन ने अमेरिका को कड़ी चेतावनी दी है। चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि ताइवान का सवाल चीन का आंतरिक मामला है। अमेरिका के लिए समय आ गया है कि वह किनारे पर उठे, रणनीति का उपयोग बंद करे और ताइवान पर भ्रम पैदा करने के लिए दुनिया को समान करने की कोशिश न करे। ताइवान में प्रवक्ता माओ निंग ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की हाल की टिप्पणी के जवाब में यह चेतावनी दी है। अगर अमेरिका रास्ता चुनने से इंकार करता है और गलत रास्ता चला जाता है तो इसके वास्तविक परिणाम होंगे। चीन ने कहा है कि अमेरिका को इसके बदले में बड़ी कीमत का विवरण दिया गया है।

मीडिया के दृष्टिकोण के अनुसार ड्रैगन ने कहा है कि चीन पर एंटनी ब्लिंकन की टिप्पणी बिल्कुल गैर-जिम्मेदाराना अंतरराष्ट्रीय और बेतुकी है। चीन इसका लगातार विरोध करता है। बीजिंग का कहना है कि ऐसा लगता है कि ताइवान के मुद्दों पर अमेरिकी राजनयिकों के इतिहास के लिए कुछ जरूरी चीजें हैं। चीनी पत्रकार ने और अधिक बातें करते हुए कहा कि ताइवान चीन का डरावना हिस्सा है। एक चीन सिद्धांत वैश्विक पुनर्निर्माण में वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त मानदंड और दुनिया के देशों के साथ चीन के राजनयिक संबंध के लिए महत्वपूर्ण राजनीतिक शर्त और पूर्वाग्रह है। चीन ने वर्ष 1972 में चीन में शंघाई विस्तार में कहा कि वह स्वीकार करता है कि ताइवान जलडमरू के बीच दोनों ओर केवल एक चीन है और ताइवान चीन का हिस्सा है। अमेरिकी सरकार उस स्थिति को चुनौती नहीं देती है। 1978 में व्हाइट हाउस ने अमेरिका और चीन के बीच राजनयिक संबंध की स्थापना संयुक्त संकेतों में कहा कि कि अमेरिका चीन गणराज्य की सरकार को चीन की एकमात्र कानूनी सरकार के रूप में मान्यता देता है। अमेरिकी सरकार चीनी स्थिति को स्वीकार करती है कि चीन एक है और ताइवान चीन का हिस्सा है।

चीन ने अमेरिका को पुरानी याद

चीन ने वाशिंगटन को याद करते हुए कहा कि अमेरिका ने 17 अगस्त 1982 को यह भी उल्लेख किया था कि चीन की एकमात्र कानूनी सरकार के रूप में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार को उसने मान्यता दी है और उसने चीनी स्थिति को स्वीकार किया है कि ताइवान ड्रैगन का हिस्सा है। तब कहा गया था कि अमेरिकी सरकार दोहरा रही है कि उसकी चीनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन या चीन के आंतरिक मामलों में ‘दो चीन’ या ‘एक चीन, एक ताइवान’ की नीति में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा नहीं है। चीनी प्रवक्ता ने कहा कि कुछ समय के लिए अमेरिका ने ताइवान के प्रश्न पर चीन के राजनीतिक अभिलेखों में काले और सफेद रंग में लिखा है।

अमेरिका पर इतिहास को नजरंदाज करने का आरोप लगाया
चीन का आरोप है कि अमेरिका का संबंध अस्पष्ट है और ताइवान का सवाल पूरी दुनिया को गलत संदेश भेज रहा है। अमेरिका ने अपने नियंत्रण में आधिकारिक बातचीत को काफी हद तक तोड़ दिया है और ताइवान के साथ सैन्य संपर्क मजबूत कर लिया है। उसकी वजह यूक्रेन से आज कहां है और ताइवान कल कहां होगा। चीनी मीडिया से पता चला है कि अमेरिकी सरकार के पास ताइवान के विनाश की योजना है। माओ ने कहा कि हम मदद नहीं कर सकते हैं, लेकिन पूछते हैं कि अमेरिका वास्तव में क्या हासिल करने की कोशिश कर रहा है? ताइवान का विशुद्ध रूप से सवाल चीन का आंतरिक मामला है। यह चीन का मूल वृत्तांत के केंद्र में है। यह चीन-अमेरिका का राजनीतिक आधार है और इस संबंध में पहली लाल रेखा को पार नहीं किया जाना चाहिए। चीन कभी-कभी किसी बाहरी ताकत को हमारे आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी नहीं देखता।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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