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फसल चक्र का कमाल – कम पानी, कम लागत, ज्यादा मुनाफा!

UNITED NEWS OF ASIA. रिजवान मेमन, धमतरी l धमतरी जिले के किसानों ने फसल चक्र परिवर्तन से अपनी किस्मत बदल दी है। जहां पहले गर्मी में धान की खेती पर भारी खर्च और पानी की खपत से किसान परेशान थे, वहीं अब दलहनी, तिलहनी और नगदी फसलों की ओर रुझान ने उन्हें कम समय में ज्यादा लाभ दिलाना शुरू कर दिया है। खासतौर पर चना बूट (हरा चना) बेचकर किसान एक एकड़ से 36-38 हजार रुपये तक की शुद्ध कमाई कर रहे हैं।

कुंडेल के किसान रामनाथ की सफलता: 70 दिन में 84 हजार रुपये की कमाई

मगरलोड विकासखंड के कुंडेल गांव के किसान रामनाथ ने फसल चक्र का पूरा फायदा उठाया। उन्होंने खरीफ में धान की खेती करने के बाद, रबी सीजन में कृषि विभाग और जिला प्रशासन की सलाह से डेढ़ एकड़ में चने की फसल उगाई। सिर्फ 70-80 दिनों में फसल तैयार हो गई, और उन्होंने इसे जड़ से उखाड़कर हाईवे किनारे दुकान, लोकल बाजार और मंडी में 35-40 रुपये प्रति किलो की दर से बेच दिया।

रामनाथ बताते हैं,

“मैंने डेढ़ एकड़ में कुल 2,100 किलो चनाबूट निकाला, जिसे 40 रुपये प्रति किलो की दर से बेचकर 84 हजार रुपये कमाए। इसमें से खेती की कुल लागत 30 हजार रुपये घटाने के बाद 54 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ। अब खेत भी खाली हो गया है, जिससे मैं तीसरी फसल (उड़द-मूंग) लेने की तैयारी कर सकता हूं।”

खरतुली के किसान चैतुराम: 3 एकड़ में 1.76 लाख रुपये की बिक्री

धमतरी विकासखंड के खरतुली गांव के किसान चैतुराम ने तीन एकड़ में चना लगाया और इसे 38 रुपये प्रति किलो की दर से बेचकर 1.76 लाख रुपये से अधिक का कारोबार किया। लागत घटाने के बाद 1.16 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा उनके हाथ आया।

कृषि विशेषज्ञों की राय: फसल चक्र से फायदा ही फायदा

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि धान के मुकाबले चना की खेती में पानी की खपत 80 लाख लीटर प्रति हेक्टेयर तक कम हो जाती है। इसके अलावा,

 

  •  लागत में 40-45 हजार रुपये तक की कटौती होती है।
  •  राइजोबियम बैक्टीरिया मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं, जिससे अगली फसल को कम खाद की जरूरत पड़ती है।
  •  ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने वाली मिथेन और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसों का उत्सर्जन कम होता है।

 धान के बजाय चना उगाने से खेत जल्दी खाली होता है, जिससे तीसरी फसल के लिए समय मिलता है।

फसल चक्र से बढ़ी किसानों की आमदनी

धमतरी जिले में इस बार करीब 15,500 हेक्टेयर में चना लगा है, जिसमें से 4,000-5,000 हेक्टेयर में चनाबूट बेचा गया है। 40 रुपये प्रति किलो की दर से किसानों को शानदार मुनाफा मिला है। अब किसान गर्मी में उगाने वाली फसलों में उड़द, मूंग और अन्य दलहन-तिलहन की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे उनकी आमदनी बढ़ने के साथ-साथ जल संरक्षण भी हो रहा है।

 कम पानी, कम लागत और ज्यादा फायदा

धमतरी जिले के किसानों की यह सफलता इस बात का सबूत है कि फसल चक्र अपनाकर कम संसाधनों में भी अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। किसानों ने जहां पानी की बचत की, वहीं कम खर्च में ज्यादा कमाई भी की। अब यह मॉडल अन्य किसानों के लिए भी एक प्रेरणा बन रहा है।

 


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