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अद्भुत: 100 साल की उम्र में रामभक्ति की धुन, मात्र 21 घंटे हैं रामायण, दूर से मिलने वाले सदस्य

100 साल की उम्र में सिर्फ 21 घंटे के मायने हैं रामायण- इंडिया टीवी हिंदी

छवि स्रोत: फ़ाइल
100 साल की उम्र में सिर्फ 21 घंटे के मायने हैं रामायण

आस्था पर उम्र कभी भारी नहीं होती। इस बात का जीता जागता उदाहरण मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के संत सियाराम बाबा हैं। उम्र पूरे 100 साल है, लेकिन आज भी वे इस उम्र में बिना चश्मे के 21 घंटे रामायण का पाठ करते हैं। खास बात यह है कि वे बिना चश्मे के हर अक्षर को आसानी से पढ़ लेते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रामभक्ति की ऐसी धुन देखकर हर कोई हैरान है। रामजी के इन परमभक्तों को देखने के लिए दूर से भक्त आते हैं और उनके दर्शन द्वारा स्वयं को ईश्वरभक्ति समझते हैं।

कड़ाके की ठंड हो या प्रचंड गर्मी, तन पर बस लंगोट करते रहते हैं

संत बाबा के तन पर कपड़े के नाम पर केवल एक लंगोट होता है। कड़ाके की ठंड हो, या बारिश हो, या फिर भीषण गर्मी, बाबा लंगोट के अलावा कुछ नहीं रखते।

68 साल पहले इस गांव में आए थे बाबा

श्रद्धालु गवाह हैं कि 1955 में बाबा इस गांव में आए थे। उनकी सरल और दयालु प्रवृत्ति के कारण उन्होंने उनके लिए एक छोटा सा कमरा बना दिया। उसी से वे नर्मदा किनारे अपने आस-पास रहते हैं। साधारण से कमरे में निवास करने वाले संत सियाराम बाबा के दर्शन के लिए मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान से भी श्रद्धालु आते हैं।

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