UNITED NEWS OF ASIA. कृष्णा नायक, सुकमा । छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार पर आदिवासी समाज की उपेक्षा और शराब को बढ़ावा देने का गंभीर आरोप लगाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मंजू कवासी ने कहा कि आज राज्य की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है शराब की लत, और इसके लिए सीधे तौर पर सरकार की जनविरोधी नीतियां जिम्मेदार हैं।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा और अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन सरकार इन समस्याओं से निपटने की बजाय नई शराब दुकानों के विस्तार में व्यस्त है। “राज्य में जहां 10,463 स्कूल बंद किए गए हैं, वहीं सरकार शराब से राजस्व बढ़ाने पर ज़ोर दे रही है। ये सरकार की प्राथमिकताओं को दर्शाता है,” मंजू कवासी ने कहा।
उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय स्वयं आदिवासी होते हुए भी जनहित की बजाय पूंजीपतियों के हितों के अनुरूप फैसले ले रहे हैं। “हसदेव अरण्य जैसे क्षेत्रों में आदिवासियों को विस्थापित कर कोयला खनन किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण और जनजीवन दोनों तबाह हो रहे हैं,” कवासी ने जोड़ा।
कवासी ने आगे कहा कि राज्य में शराबखोरी अब घर-घर की समस्या बन चुकी है। अस्पतालों, पुलिस थानों और नशा मुक्ति केंद्रों में शराब जनित समस्याएं आम हो चुकी हैं, जिससे सामाजिक ताना-बाना बिखर रहा है। उन्होंने चेताया कि यदि सरकार ने शराब नीति पर पुनर्विचार नहीं किया, तो जनता में आक्रोश और तेज़ होगा।
मुख्य मांगें:
शराब दुकानों की संख्या बढ़ाने की नीति तत्काल वापस ली जाए
शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर सरकार प्राथमिकता दे
हसदेव जैसे क्षेत्रों में आदिवासियों को उजाड़ने की कार्रवाई रोकी जाए
मंजू कवासी ने अंत में कहा कि “यह लड़ाई सिर्फ शराब के खिलाफ नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के भविष्य को बचाने की है।
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