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सेना में भर्ती होने का सपना देखने वाले अक्षर सिंह ने पैदल चाल में बनाई गई राष्ट्रीय पहचान

पिछले महीने झारखंड झारखंड में आयोजित 10 वीं राष्ट्रीय ओपन रेस फुट चाल चैंपियनशिप में 20 किमी प्रतियोगिता में 23 साल के दशक में राष्ट्रीय रिकॉर्ड कायम करने के साथ 2024 पेरिस ओलंपिक खेलों की योग्यता हासिल की। अक्सदीप ने इस प्रतियोगिता में एक घंटा 19 मिनट और 55 सेकंड के समय के साथ राष्ट्रीय बनाया था।

चंडीगढ़। पंजाब के बरनाला जिले के एक छोटे से कहने के गांव में रहने वाले अक्षदीप सिंह ने भारतीय सेना में शामिल होने का सपना देखा था, लेकिन इसके तैयारियों ने उन्हें पेरिस ओलंपिक का टिकट पक्का करने वाला बना दिया। पिछले महीने झारखंड झारखंड में आयोजित 10 वीं राष्ट्रीय ओपन रेस फुट चाल चैंपियनशिप में 20 किमी प्रतियोगिता में 23 साल के दशक में राष्ट्रीय रिकॉर्ड कायम करने के साथ 2024 पेरिस ओलंपिक खेलों की योग्यता हासिल की। अक्सदीप ने इस प्रतियोगिता में एक घंटा 19 मिनट और 55 सेकंड के समय के साथ राष्ट्रीय बनाया था। उन्होंने हरियाणा के संदीप कुमार (एक घंटा 20 मिनट और 16 सेकंड) का रिकॉर्ड तोड़ा था। उन्होंने कहा, ”जब मैं 15 साल का था, तब मैंने सेना में शामिल होने के अपने सपने को पूरा करने की तैयारी शुरू कर दी थी।

उस समय मैं तेज दौड़ता था और सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे थे गांव के अधिक उम्र के युवाओं ने भी इसके लिए मेरी आकांक्षा की थी। उन्होंने ही सुझाव दिया कि मुझे एथलेटिक्स में हाथ समाना हो।” अक्षरदीप इसके बाद बरनाला में कोचप्रीत जसना सिंह से मिले। उन्होंने कहा, ”लेकिन कोच ने सलाह दी कि मैं पैदल चलने का विकल्प चुनूं। मुझे शुरू में यह पसंद नहीं आया क्योंकि मैं अपनी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना चाहता था।” इसके बाद दिसंबर 2016 में दिसंबर 2016 में पटियाला आए जहां कोच गुरदेव सिंह ने उन्हें चौथे नंबर पर चलने के लिए प्रशिक्षित किया। उन्होंने कहा, ”मैं आखिरकार अप्रैल 2017 में पैदल चलकर आगे बढ़ने का मन बना लिया।” अक्षरदीप ने तरनतारन में आयोजित अंडर-18 उत्तर भारत चैंपियनशिप में अपना पहला कांस्य पदक जीता।

इसके बाद उन्होंने अंडर-18 जूनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लिया और रजत पदक जीता। उन्होंने अखिल भारतीय विश्वविद्यालय खेल 2017 में फिर से रजत पदक जीता। उन्होंने प्रशिक्षण शुरू करने के एक साल के अंदर सभी भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। इसके बाद 2019 में घुटने में चोट लगने के कारण वह विश्व विश्वविद्यालय के मैचों (इटली) में भाग नहीं ले सका। फरवरी 2020 में वे खेल में वापसी की लेकिन राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में 12वें स्थान पर रहे। इस दौरान COVID-19 महामारी के दौर ने उनके लिए चीजों को जटिल बना दिया। अक्षरदीप ने कहा, ”मेरी अंतरात्मा की आवाज मुझे फिर से मेरे खेल में अपना भविष्य बनाने के लिए प्रेरित किया और 2021 में मैं प्रशिक्षण के लिए बैंगलोर गया। अक्षरदीप ने जनवरी 2022 में मैंगलोर में अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय मैचों में नया रिकॉर्ड बनाया।

उन्होंने कहा, ”मुझे टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ अथ घोषित किया गया। इसके साथ, मैंने विश्वास हासिल किया।” पिछले साल भारतीय नौसेना अक्सदीप में अब चीन में होने वाले एशियाई खेलों और हंगरी में विश्व चैम्पियनशिप की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा, ”मैं इन मैचों में पदक विजेता के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगा और अगले साल पेरिस ओलंपिक खेलों से पहले मेरा विश्वास भी बढ़ेगा।” अक्षरदीप के परिवार के पास बरनाला में दो एकड़ कृषि भूमि है। उनके पिता एक केमिकल फैक्ट्री में काम करते हैं, जबकि उनकी मां बेली वाड़ी में हैं। पंजाब सरकार ने पिछले महीने अक्षरदीप को 2024 ओलंपिक खेलों की तैयारी के लिए पांच लाख रुपये दिए थे।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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