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जीवन बेटे की आपात स्थिति के कारण सुपरहिट हीरो बनने से चूके अजय देवगन भोला अभिनेता किरण कुमार

मुंबई। फिल्मी दुनिया में बहुत से कलकार लीड एक्टर के तौर पर करियर बनाने की चाहत लेकर आते हैं। कुछ को जहां मौका मिल जाता है, वहीं कुछ के हाथ में फिल्में आने के बाद भी किस्मत पलट जाती है। ऐसा ही कुछ मशहूर बॉलीवुड अभिनेता जीवन के सूर्य किरणें (किरण कुमार) के साथ हुआ। बचपन से फिल्मी दुनिया देखने वाले किरणों का फिल्मी दुनिया में नाम कमाने का भी सपना था। लेकिन वे हमेशा हीरो बनने का सपना देखते थे लेकिन किस्मत ने उनके साथ ऐसा खेल खेला कि वे इंडस्ट्री के फेमस विलेन बन गए।

किरण कुमार बचपन से ही हानिकारक थे और स्कूल कॉलेज के दिनों में काफी मस्ती करते थे। उनकी शिकायत अक्सर पिता के जीवन के पास रहती थीं, जिसे लेकर वे परेशान रहते थे। फेमस फिल्ममेकर ख्वाजा अहमद अब्बास एक बार किरणों से उनकी बदमाशी को लेकर मिले थे और इसी दौरान उन्होंने किरणों को अपनी एक फिल्म का प्रस्ताव दिया, जिसमें वे अमिताभ बच्चन को लेना चाहते थे। लेकिन डेट्स ना होने के कारण अमिताभ ने फिल्म के लिए मना कर दिया था।

हीरो के तौर पर सफल फिल्में
किरण कुमार के लिए अब्बास की 1971 में आई फिल्म ‘दो रन पानी’ खास बन गई और हीरो के तौर पर उन्हें देखा जाने लगा। किरण की दूसरी फिल्म जोगिंदर शैली ने दी ‘बिंदिया और बंदूक’, जो साल 1972 में आई. इसके बाद उनकी फिल्म ‘जंगल में मंगल’ आई, जो हिट रही। किरण को अपना हीरो बनने का सपना पूरा होता दिख रहा था और कई फिल्मकारों ने उन्हें अपनी फिल्म में साइन कर लिया था। किरणों ने 1973 और 1974 के बीच एक साथ 6 फिल्में साइन कीं। ये सभी फिल्में कुछ ही समय के फीचर्स में बनकर तैयार भी हो गईं थीं।

(ट्विटर@FilmHistoryPic )

इंदिरा गांधी का फैसला आफत में बना
किरणों की जिंदगी में सब ठीक चल रहा था और उनकी छह फिल्मों की रिलीज डेट भी तय हो गई थी। लेकिन इसी बीच सालों की गवाह इंस्पिरेशन गांधी ने 25 जून 1975 को आपात स्थिति की घोषणा की और इस वजह से फिल्मों पर भी रोक लगा दी गई। इसमें किरणों की वो 6 फिल्में भी लिपटी हुई थीं, जो उन्हें इंडस्ट्री का सुपरस्टार बना सकती थीं। बस, दीपक से उनका सपना टूटा और एक घड़ी ऐसा आया कि किरणों के पास कोई काम नहीं था।

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आशा पारोसी ने वाली राह
आशा पारोस ने एक दफा अपनी गुजराती फिल्म के लिए किरणों को विलेन के चरित्र का प्रस्ताव दिया। डूबते करियर के लिए किरणें इसके लिए हमी भर दी और सिंक्रोनस नेगेटिव लैंडक की तरफ मुड़ गईं। इसके बाद वे 1987 में बॉलीवुड में ‘खुदगर्ज’ में विलेन के तौर पर नजर आईं। वहीं, 1988 में ‘तेजाब’ में जब उन्होंने लोटिया पठान की पहचान की तो उनके लिए बॉलीवुड में नए रास्ते खुल गए। जल्द ही किरणें अजय देवगन की फिल्म ‘भोला’ में नजर आएंगी।

टैग: अजय देवगन, मनोरंजन विशेष

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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