
उन्होंने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ”एक प्रस्ताव मुस्लिम, अन्य अल्पसंख्यक और पेरालिटेज पर आगे बढ़ने की कड़ी निंदा करता है। गोरक्षा, धर्म परिवर्तन और लव जिहाद आदि की आड़ में आतंक का अभियान चलाने वाले अवैध और संगठनों पर प्रतिबंध की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य की है।”
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिम (एआईएमआईएम) ने रविवार को ठाणे के मुंब्रा में अपने दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में कई प्रस्ताव पारित किए जिनमें उन मुस्लिमों और पाटिलियों के खिलाफ हिंसा तथा भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने की संघ परिवार के कुछ नेताओं की मांग से संबंधित है। एमआईएमआईएम के अध्यक्ष और 16 अक्टूबर के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने सम्मेलन की अध्यक्षता की।
उन्होंने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ”एक प्रस्ताव मुस्लिम, अन्य अल्पसंख्यक और पेरालिटेज पर आगे बढ़ने की कड़ी निंदा करता है। गोरक्षा, धर्म परिवर्तन और लव जिहाद आदि की आड़ में समझौता का अभियान चलाने वाले अवैध और संगठनों पर प्रतिबंध की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य की है।” ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी ने हिंदुत्व के नाम पर लोगों की पीट-पीटकर हत्या की के शिकार लोगों के लिए मुआवजे की मांग की है।
अन्य लोगों में एक प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्य मंत्रों से घृणा भाषणों के खिलाफ बोलने की मांग बताते हैं, और एक अन्य मुस्लिम समाज सामाजिक, आर्थिक और लापरवाही के रूप में विभिन्न आयोगों के निर्णय के आधार पर तथ्य देने की मांग करता है। सिकंदराबाद के सदस्यों ने 16 दिसंबर को कहा, ”दलित मुस्लिम और पापुलर ईसाइयों को क्षेत्रीय रूप से प्रवेश दिया जाना चाहिए और उन्हें लाभ प्राप्त करना चाहिए। सेंटर सरकार को 1952 के राष्ट्रपति के आदेश में संशोधन कर एक असंवैधानिक धार्मिक ग्रंथ सूची को हटाना चाहिए। हम समान नागरिक संहिता के भी खिलाफ हैं।”
पार्टी के दो दिवसीय सम्मेलन में विभिन्न राज्यों में ‘लव जिहाद’ करके एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें विभिन्न तरीकों से धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है, ”एआईएमआईएम इस तरह के कानून को वापस लेने की मांग करता है जिसमें धार्मिक हितग्राही (शादी याचिका वाले) और अंतरधार्मिक जोड़ों को निशाना बनाया जाता है।” भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ घोषित करने की मांग वाले कुछ संघ परिवार के नेताओं के बयानों की निंदा करते हुए एआईएमआईएम ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थल पर कानून बनाना चाहिए।
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