
जैन धर्मगुरु नयपद्मसागर जी महाराज
देश के अलग-अलग स्थानों पर जैन समाज ”श्री सम्मेद शिखर तीर्थ” को टूरिस्ट प्लेस बना रहे हैं और शत्रुंजय पर्वत पर भगवन आदिनाथ की चरण पादुकाओं को खंडित करने वालों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि सम्मेद शिखर तीर्थस्थलों को टूरिस्ट प्लेस इसी मुद्दे को लेकर इंडिया टीवी ने जैन समाज के धर्मगुरु नयपद्मसागर जी महाराज से चर्चा की। तीर्थस्थलों की देखभाल कर सकते हैं और इसे स्वयं से विकसित कर सकते हैं। इसे टूरिस्ट प्लेस बनाकर हमारे धार्मिक भावनाओं के साथ गीतवाड़ होगा। ऐसे में केंद्र सरकार से मेरी 3 प्रमुख मांगे हैं। मैं इसे देखता हूं कि हमारी सरकार इन प्रमुखों पर निश्चित रूप से विचार करती है।
धर्मगुरु नयपद्मसागर की 3 प्रमुख मांगें
1. धर्मगुरु ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि गुजरात के पालीताना गिरिराज और झारखंड के सम्मेद शिखर जी ये दो तीर्थस्थलों को जैन समुदाय के लिए खोजते रहें।
2. दोनों तीर्थस्थलों की सत्यता बनी रहने के कारण कोई पर्यटक नहीं दिया जाएगा। साथ ही दोनों तीर्थस्थलों के 10 किलोमीटर के रेडियस में मांसाहार और किसी भी प्रकार के विज्ञापन, थोड़े-थोड़े अंतराल पर पाबंद लगे।
3. जैन समुदाय 25 करोड़ लोगों को रोजीरोटी देता है, सबसे ज्यादा टैक्स देता है, ऐसे में इन तीर्थ स्थलों को खुद जैन समुदाय को अपने तरीके से विकसित करने दिया। वहां खान-पान और जीने की पूरी व्यवस्था जैन समाज करेगा।
सरकार इसे तीर्थ स्थल ही रहने दें
जैन मुनि ने कहा कि इन दो तीर्थस्थलों पर जैन तीर्थंकर और कई अन्य लोगों को मोक्ष मिला है। इन पवित्र स्थानों के पर्यटन स्थल होने से इनकी शुद्धता नष्ट हो जाएगी। जैसे दूसरे में कुछ धार्मिक स्थानों पर मांस-मदिरा पर प्रतिबंध है वैसे ही हमारी इस मांग पर सरकार हमें सहयोग करें। पर्यटन स्थल होगा तो होटल के कमरे के अंदर कौन क्या खा-पी रहा है कौन कैसे नजर रखता है इसलिए इसे तीर्थस्थल ही रहने दें।
4 जनवरी को जैन समाज करेगा आंदोलन
धर्मगुरु नयपद्मसागर ने कहा कि नरेंद्र मोदी पर हमें विश्वास है। वो पवित्र आत्मा हैं। उन्होंने कई धार्मिक स्थानों का विकास किया है। वो भावना हमारी और आस्था को समझेंगे। वह जल्द ही इस मसले को सुलझा लेंगे। इस मुद्दे पर ओवैसी, मुस्लिम धर्मगुरु या अन्य धर्म के जो लोग मेरा समर्थन कर रहे हैं उनका धन्यवाद। अबु आजमी और जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं उनके प्रति भी कोई नफरत नहीं है। हम प्रेम, अहिंसा और शांति के पुजारी हैं। हमारा आंदोलन डेमोक्रेटिक तरीके से अहिंसा के मार्ग से होगा। 4 जनवरी के आंदोलन में जैन साधुसंत भी शामिल हुए।
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