छत्तीसगढ़रायपुर

विधायक अनुज शर्मा की घोषणा के बाद दोन्दे खुर्द में 28 दिन से चल रहा अनिश्चितकालीन धरना समाप्त

UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर | ग्राम दोन्दे खुर्द में नवीन शराब दुकान की स्थापना के विरोध में चल रहा 28 दिवसीय अनिश्चितकालीन धरना आखिरकार क्षेत्रीय विधायक माननीयअनुज शर्मा की सार्वजनिक घोषणा के बाद समाप्त हो गया। संघर्ष समिति और ग्रामीण महिलाओं ने मिठाई बांटकर जीत का उत्सव मनाया और विधायक जी का आभार व्यक्त किया।

शराब दुकान खोलने के खिलाफ व्यापक जनआंदोलन

राज्य शासन द्वारा ग्राम दोन्दे खुर्द में शराब दुकान खोलने की योजना के खिलाफ सर्वदलीय संघर्ष समिति के नेतृत्व में यह आंदोलन शुरू हुआ था। महिलाओं ने मशाल रैली निकाली, सांकेतिक धरना दिया और रायपुर में बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष तीन घंटे तक धरना देकर विरोध दर्ज कराया। ग्राम सभाओं—दोन्दे खुर्द, दोन्दे कला, लालपुर, छपोरा व मटिया—द्वारा सर्वसम्मति से पारित प्रस्तावों के माध्यम से यह साफ संदेश दिया गया कि ग्रामीण इस फैसले के विरुद्ध एकजुट हैं।

विधायक ने धरना स्थल पर पहुंचकर की घोषणा

धरना समाप्त करने की शर्त थी कि या तो शासन की ओर से लिखित आदेश जारी हो या विधायक जी स्वयं धरना स्थल पर आकर आश्वासन दें। इस संवेदनशीलता को समझते हुए विधायक अनुज शर्मा धरना स्थल पहुँचे और मंच से स्पष्ट घोषणा की

“मेरे रहते दोन्दे खुर्द और दोन्दे कला में शराब दुकान नहीं खुलने दूँगा।”

उन्होंने आंदोलन में शामिल नारी शक्ति और संघर्ष समिति के सदस्यों को मिठाई खिलाकर आंदोलन की समाप्ति की घोषणा की और इस जनआंदोलन को लोकतंत्र की जीत बताया।

संघर्ष को मिला जननेताओं का समर्थन

इस आंदोलन को नैतिक समर्थन और मार्गदर्शन प्रदान करने वालों में शामिल रहे—

  •  उधोराम वर्मा (जिलाध्यक्ष, कांग्रेस कमेटी रायपुर)

  • पूर्व विधायक  देवजी भाई पटेल

  •  आलोक शुक्ला, संयोजक छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन

  • पूर्व जनपद अध्यक्ष  उत्तरा कमल भारती

  • जनपद सदस्य  भगत बंजारे

  • पूर्व सरपंच अम्मी रेड्डी

  • सतनामी समाज एवं यादव समाज, दोन्दे खुर्द

ग्रामीणों ने इन सभी को शॉल और श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया।

नारी शक्ति की निर्णायक भूमिका

संघर्ष समिति ने स्पष्ट कहा कि इस जीत में महिलाओं की निर्णायक भूमिका रही। महिलाओं ने कहा कि—

“शराब दुकान खुलने से सबसे अधिक प्रताड़ित हम महिलाएं होती हैं। यही कारण है कि हमने अपने बच्चों, परिवार और समाज को सुरक्षित रखने के लिए आवाज़ उठाई और आख़िरकार जीत पाई।”

आंदोलन की समाप्ति के मौके पर उपस्थित जनप्रतिनिधि

इस अवसर पर बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे:
दिलेन्द्र सेन (जनपद अध्यक्ष प्रतिनिधि), दिनेश खूंटे (जनपद उपाध्यक्ष), दुर्गेश वर्मा (ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष), अरविंद ठाकुर (सरपंच संघ अध्यक्ष), अशोक साहू (सरपंच, दोन्दे खुर्द), राजकुमार भारती (सरपंच, छपोरा), मोती साहू, भीम वर्मा, सुनील शर्मा, चंद्रशेखर वर्मा, सियाराम बंजारे समेत अनेक सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि एवं महिलाएं उपस्थित रहीं।

महिलाओं में प्रमुख रूप से उपस्थित रहीं—दीपा साहू, पद्मावती यादव, राजकुमारी घृतलहरे, सुरेखा ध्रुव, कविता दास, उमा निषाद, माधुरी लोधी, गीता गुप्ता, विजयलक्ष्मी साहू, सरिता साहू, रेखा गुप्ता, पूजा टंडन, खेमिन, उर्मिला सहित सैकड़ों महिलाएं।

यह आंदोलन ग्रामीण एकता, नारी शक्ति और लोकतांत्रिक अधिकारों की मिसाल बन गया है। ग्रामवासियों ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब गाँव में कोई भी जनविरोधी फैसला ग्रामीणों की सहमति के बिना लागू नहीं होगा।

 


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