
दरअसल संयुक्त अरब अमीरात में नवंबर के अंत में होने वाली संयुक्त राष्ट्र स्वच्छता वार्ता के अगले दौर का नेतृत्व अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुल्तान अल जाबेर को सौंपे जाने की बृहस्पतिवार को घोषणा की गई थी, जिस पर अफ्रीका के क्रीमिया ने कारण बताए।
अफ्रीकी कैडटर ने संयुक्त राष्ट्र की जीव विज्ञान संस्थाओं को लेकर क्षोभजाते हुए उस पर वार्षिक वृष्टि सम्मेलन में संदिग्ध साख वाले व्यक्तियों एवं शेयरधारक की अनुमति देकर उन्हें योग फैलाने वाली गतिविधियों पर पर्दा डालने का आरोप लगाया। दरअसल संयुक्त अरब अमीरात में नवंबर के अंत में होने वाली संयुक्त राष्ट्र स्वच्छता वार्ता के अगले दौर का नेतृत्व अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुल्तान अल जाबेर को सौंपे जाने की बृहस्पतिवार को घोषणा की गई थी, जिस पर अफ्रीका के क्रीमिया ने कारण बताए।
‘पैन अफ्रीकन क्लाइमेट जस्टिस एलायंस’ (पीएसीजेए) ने इस कदम को संयुक्त राष्ट्र एजेंसी का ”सबसे अग्रणी के अवसर” करार दिया। संयुक्त राष्ट्र निकाय ने इस नियुक्ति पर कोई टिप्पणी नहीं की है। कोर्स का कहना है कि वे तेल और गैस क्षेत्र के प्रतिनिधियों द्वारा कॉन्फ्रेंस के मकसद को विफल करने की आशंका को लेकर चिंतित हैं। सम्मेलन में दुनिया भर के देश वैश्विक गतिविधियों को कम करने के तरीकों पर सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
सृष्टि संबंधी अभियान ने संयुक्त अरब अमीरात के ऐसे किसी भी चरण को अस्वीकार करने का आह्वान किया है जिससे कोई पेट्रोलियम ईंधन को बढ़ावा देने वाले तत्व को वैश्विक जीवंतता वार्ताओं का नियंत्रण मिला। पीएसीजेए के कार्यकारी निदेशक मिथिका म्वेंडा ने अल-जाबेर को लेकर सोमवार को दिए बयानों में कहा, ”यह वाक्य मजाक और अटकल के पाठ में दी जाने वाली परिहै।” उन्होंने कहा, ”जल-जाबेर को सबसे कमजोर मामला। के हित में उद्देश्य पर, विज्ञान आधारित वार्ता का नेतृत्व करते हुए दृष्टिहीन होता है।”
म्वेंडा ने आशंका जताई कि वार्ता पर ”जीवाश्म ईंधन को बढ़ावा देने वाले उन शातिर प्राधिकरण का नियंत्रण हो जाएगा, वास्तव में स्वच्छ ऊर्जा को गोद लेने की प्रक्रिया से अटकल का इरादा है।” निर्देशक मेमोरी कचंबवा ने अल-जाबेर की नियुक्ति को ”जलवायु संकट से निपटने के लिए प्रतिबद्ध सभी लोगों की सामूहिक समझ का अपमान” बताया। कई अन्य जीवंत एवं जीवंतता ने इस घोषणा पर चिंता जताई, जबकि कई अन्य लोगों ने इस कदम का स्वागत किया।
विस्मय संबंधी मामलों के लिए अमेरिका के दूत जॉन केरी ने रविवार को ‘एसोसिएटेड प्रेस’ से कहा कि इस जिम्मेदारी के लिए अल-जाबेर एक ”बेहतरीन पसंद” हैं क्योंकि वह स्वच्छ ऊर्जा प्रतिभा की जरूरत को समझते हैं। अफ्रीका के पर्यावरण कोड ने महाद्वीप कोवृषण परिवर्तन से निपटने के लिए आवश्यक राशि नहीं जाने को लेकर भी चिंता हो रही है।
उनका कहना है कि अफ्रीका में पेट्रोलियम ईंधन के लिए सब्सिडी और तेल एवं गैस में निवेश बढ़ रहा है, जबकि ग्राम्य परिवर्तन के अनुकूल स्वयं को ढालने और वित्तीय ऊर्जा गोद लेने के लिए आवश्यक धनराशि का अब भी अभाव है। इस बात पर पिछले साल देशों के बीच सहमति बनी थी कि विकसित देश उन कम विकसित देशों को धुंधला कर देंगे, उनमें से सृजन परिवर्तन का सबसे अधिक खमियाजा बन रहा है। विनाश परिवर्तन के लिए विकसित देश सबसे अधिक जिम्मेदार हैं।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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