
शहर के पूर्वी तट पर तेल शोधन इकाई और संभावनाएं हैं और वहां 24 घंटे चल रही औद्योगिक स्थिति का शहर की वायु गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि उनके आसपास के इलाके जैसे माहुल और वडाला के निवासी घटिया वायु और बदबू के प्रभाव से जूझ रहे हैं।
मुंबई। एचडीएफसी (यूबीटी) की युवा इकाई युवा सेना के नेता आदित्य ठाकुर ने मुंबई में व्यापक गतिविधियों और उन्हें नियंत्रित करने के लिए प्रभावी निगरानी के अभाव का हवाला देते हुए केंद्र को महानगर के वायु प्रदूषण के बारे में शनिवार को पत्र लिखा। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जीव परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को लिखे पत्र में ठाकुर ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में इन विषयों को देखने वाला कोई स्वतंत्र पर्यावरण मंत्री नहीं है।
उन्होंने कहा, ”पिछले छह महीने में मुंबई की वायु गुणवत्ता की स्थिति वायु गुणवत्ता सूचकांक पर ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ हो रही है। महाराष्ट्र के अन्य शहरों की भी कठोर वायु गुणवत्ता सूचकांक हैं।” उन्होंने कहा कि पूरा शहर बनाया गया है, उससे निशान वाले धूलकणों और मलबे की चपेट में हैं और उनके काफी हिस्सों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि शहरी विकास विभाग एवं स्थानीय निकाय की मदद के लिए लिफ्ट उठाने की आवश्यकता है ताकि वे समझ सकें कि निर्माण का शहर के पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है। महाराष्ट्र के पूर्व पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा, ”मुंबई में निर्माण गतिविधि व्यापक रूप से चल रही है और वहां प्रभार नियंत्रण तंत्र का अभाव है।”
उन्होंने कहा कि शहर के पूर्वी तट पर तेल शोधन इकाई और शर्तें हैं और वहां 24 घंटे चल रही औद्योगिक स्थिति का शहर की वायु गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि उनके आसपास के इलाके जैसे माहुल और वडाला के निवासी घटिया वायु और बदबू के प्रभाव से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन संयंत्रों का मूल्यांकन उन्हें शहर से दूर दूसरी ओर ले जाएं।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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