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आयुर्वेद के अनुसार भारतीय कीनो ट्री या विजयसर मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। वैज्ञानिक आयुर्वेद के अनुसार इंडियन किनो ट्री या विजयसार ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल कर सकते हैं।

लिम्लिन मीलटस (डायबिटीज मेलिटस) मेटाबोलिक बीमारियों का एक समूह है। इसके कारण हाइपरग्लेसेमिया होता है। इसका परिणाम यह होता है कि इंसुलिन सीक्रेशन और लाइनअप के कामकाज पर असर पड़ता है। इन दिनों खराब लाइफस्टाइलिंग के कारण एक वैश्विक समस्या (वैश्विक समस्या) बन गई है। संकेतक (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने भारत को मधुमेह की सबसे तेजी से बढ़ती जनसंख्या वाला देश बताया है। इसके अनुमान के अनुसार 1995 से 2025 के बीच भारत में मधुमेह की संख्या में 195% की वृद्धि होगी। आयुर्वेद में कुछ हर्ब को ब्लड शुगर कंट्रोल करने वाला बताया गया है। इंडियन किनो ट्री या विजयसार का पेड़ ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद करता है।

ब्लड शुगर के ब्यौरे को भी कंट्रोल करता है

विशेषज्ञ विशेषज्ञ डॉ. नीतू भट्ट बताती हैं, ‘विजयसार इंडियन किनो ट्री (Indian Kino Tree) के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद इसे ब्लड शुगर कंट्रोल करने वाली जड़ी बूटी बनाता है। मुख्य रूप से पेड़ का प्रयोग ब्लड शुगर कंट्रोल करने में किया जाता है। मधुमेह को नियंत्रित करने के अलावा, चक्कर आना, जोड़ों का दर्द और वजन पर भी प्रभाव पड़ता है। विजयसार में एल्कलोड्स और फ्लेवोनोइड्स की विराटता शरीर को तेजी से अतिरिक्त वजन कम करने में मदद करती है।’

एंटी-ग्लाइसेमिक, कवक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों वाली छाल (विजयसार बार्क)

वर्ल्ड जर्नल ऑफ फार्मास्यूटिकल रिसर्च में प्रकाशित आयुर्वेदिक शोधकर्ता भागेश्वरी जनागल और चंदन सिंह की टीम के शोध प्रलेख के अनुसार, विजयसार (इंडियन किनो ट्री या टेरोकार्पस मार्सुपियम) भारत के अलावा नेपाल और श्रीलंका में भी पाया जाता है। यह भारत के पश्चिमी घाट रिजन, कर्नाटक-केरल क्षेत्र, मध्य प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य भारत के जंगल में भी पाया जाता है। इसका छाला एंटी-ग्लाइसेमिक, सक्रिय और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण वाला होता है। यह ग्लूकोज से ब्रेकडाउन घटाता है। इससे ब्लड ग्लूकोज लेवल नहीं बढ़ता है।

ब्लड ग्लूकोज को कम करने वाले यौगिक (रक्त ग्लूकोज स्तर)

डॉ. नीतू बताती हैं, ‘विजयसार एक ऐसा पौधा है, जिसके प्रत्येक भाग का आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी औषधियों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इसकी पत्ते, लकड़ी, छाल, गोंद, फूल या फलियों का भी औषधि में प्रयोग होता है। विजयसार में कई महत्वपूर्ण रासायनिक यौगिक मौजूद हैं। यह टेरोसुपिन, टेरोस्टिलबेन, मार्सुपिन और एपिकेटचिन कंपाउंड का समृद्ध स्रोत है। ये सभी ब्लड ग्लूकोज को कम करने वाले यौगिक हैं।

विजयसार में कई महत्वपूर्ण रासायनिक यौगिक मौजूद हैं। चित्र : संपर्क शेयर

ये एंटी-डायबिटिक, एंटी-ऑक्सीडेंट और कसैले गुण (कसैले) को दर्शाते हैं। विजयसार की छाल सूजन को कम करता है और इंसुलिन की कमी के कारण ब्लड शुगर लेवल को कम करता है। यह कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को भी कम करता है। यह मधुमेह के लक्षण जैसे बार-बार पेशाब आना, अधिक भोजन करना, अधिक पत्ते चढ़ना और अंगों में जलन को भी कम करता है

शुगर क्रेविंग को कम करता है (Sugar Craving)

जर्नल ऑफ डायबिटिक विश्लेषण के अनुसार, कभी-कभी जमाखोरी बहुत अधिक क्रेविंग होती है। क्रेविंग होने पर विजयसार के संभावनाओं को सीधे-सीधे जीभ पर लिया जाता है। डेस्कटॉप को चबाया जाता है या काढ़े के रूप में लिया जाता है, इसलिए किसी व्यक्ति के आहार में खाने की इच्छा में कमी आ जाती है। यह प्रभावी रूप से क्रेविंग और अचानक भोजन करता है इच्छा को सीमित कर देता है

कब और कितनी मात्रा में इसका सेवन करें

डॉ. नीतू के अनुसार, विजयसार के पेड़ के छाल के पाउडर या हार्ट वुड पाउडर का प्रयोग ब्लड शुगर को कम करने के लिए बहुत पुराने समय से किया जा रहा है। इसके पेड़ के छाल या पाउडर को एक गिलास या 100 मिलीलीटर पीने के पानी में रात भर के लिए छोड़ दिया जाता है।

हर्बल चाय के फायदे
सुबह आधा घंटा पहले विजयसार का पानी पी लिया जाता है। चित्र: एक्सपोजर

सुबह आधा घंटा पहले यह पानी को पी लिया जाता है। इसका सेवन दूध के साथ भी किया जा सकता है। लेकिन इसका इस्तेमाल करने से पहले किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। डॉक्टर ही आपके शरीर के अनुकूल मात्रा के सेवन के बारे में बता सकते हैं।

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