
UNITED NEWS OF ASIA. सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में तेंदूपत्ता बोनस घोटाले को लेकर एक बड़ी कार्रवाई की गई है। आज सुबह एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की संयुक्त टीम ने सीपीआई नेता मनीष कुंजाम समेत सात समिति प्रबंधकों के घरों में छापेमारी की। इन प्रबंधकों में कोंटा के मो. शरीफ़ खान, पालाचलमा के सीएच वेंकट रवाना, फूलबगड़ी के राजेशेखर पुराणिक, जगरगुंडा के रवि गुप्ता, मिशिगुडा के राजेश आयतु, एर्राबोर के मितेंद्र सिंह राजू, पेदाबोडकेल के सुनील और जग्गावरम के मनोज कवासी शामिल हैं।
यह कार्रवाई तेंदूपत्ता बोनस घोटाले के सिलसिले में की जा रही है, जिसकी पहले ही जांच जारी है। घोटाले में पहले ही डीएफओ अशोक पटेल को निलंबित किया जा चुका है, और हाल ही में रायगढ़, जगदलपुर, दंतेवाड़ा और बीजापुर में भी कार्रवाई हुई थी। ACB-EOW की टीम मामले की गहराई से जांच कर रही है और और भी संदिग्धों की पहचान की जा रही है।
मनीष कुंजाम का राजनीतिक इतिहास
मनीष कुंजाम छत्तीसगढ़ में सीपीआई के वरिष्ठतम नेताओं में गिने जाते रहे हैं। उन्होंने 1990 से 1998 तक अविभाजित मध्य प्रदेश के कोंटा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। हालांकि, फरवरी 2024 में विधानसभा चुनाव में प्रतीक चिन्ह नहीं मिलने के विरोध में उन्होंने CPI के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था, जिसमें राज्य सचिव और राष्ट्रीय परिषद की सदस्यता भी शामिल थी।
मार्च 2025 में मनीष कुंजाम के ससुर कलमू हिड़मा की हत्या नक्सलियों द्वारा की गई थी, जब उन पर जमीन हड़पने का आरोप लगाया गया था। अब तेंदूपत्ता बोनस घोटाले में उनका नाम आने से उनकी छवि पर असर पड़ सकता है, जो बस्तर क्षेत्र में आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए प्रसिद्ध हैं और आदिवासी महासभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
यह छापेमारी क्षेत्र में एक नई राजनीति का संकेत दे सकती है, जहां आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले नेताओं की छवि पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ACB-EOW की कार्रवाई पर राजनीतिक प्रतिक्रिया आना तय है, जो आने वाले दिनों में और भी तूल पकड़ सकती है।



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