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आमिर खान और जूही चावला की डेब्यू फिल्म ‘कयामत से कयामत तक’ ने बदला बॉलीवुड सीरीज का ट्रेंड रातोंरात हुआ हिट, पढ़ें रोचक तथ्य

मुंबई। साल 1988 में आमिर खान की फिल्म ‘कयामत से कयामत तक’ (qayamat se qayamat tak) ने बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया था। आमिर खान और जूही चावला की पहली फिल्म साल की तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी थी। इसी के साथ फिल्म ने हिट फेयर में ट्वॉफियों की झड़ी लगा दी थी। आमिर खान के चचेरे भाई और निर्देशक मंसूर खान की इस फिल्म ने बॉलीवुड का न केवल बदला बल्कि टी सीरीज को भी संगीत की दुनिया रचने का ख्वाब दिया।

फिल्म के पूरे 6 गाने सुपरहिट रहे थे। ‘पापा कहते हैं बड़ा नाम करेंगे’, ‘ऐ मेरे हमसफर’, ‘गजब का है दिन’, ‘अकेले हैं तो क्या गम है’ एक्सपोजर के करीब 1 करोड़ कैसेट बिके थे। मंसूर खान के एक अडियल जजमेंट ने उन्हें करोड़पति बना दिया था। फिल्म की कहानी का दुखद अंत की कहानी के फेर में फिल्म ऐसी उलझी हुई थी कि इसकी दो एंडिग्स गोली मार दी गईं। इसी फिल्म से आमिर खान की स्टारडम के बीज बोए गए। इसी फिल्म से जूही चावला भी रातों-रात स्टार बन गए थे।

फिल्म ने बॉलीवुड में बोए रोमांस के बीच
70 के दशक में दीवार डॉन और शोले जैसी एक्शन फिल्मों ने बॉलीवुड में डंका बजा रखा था। 80 के दशक तक एक्शन फिल्मों का जलजला कायम। आमिर खान के अंकल नासिर हुसैन ने साल 1981 में जमाने को दिखाया है। ऋषि कपूर स्टारर यह फिल्म कोई खास कमाल नहीं दिखा पाई। इसके बाद 1984 में ‘मंजिल फ्लोर’ और 1985 में जबरदस्त फिल्म भी नासिर को कोई खास उम्मीद नहीं दिखाई गई। इसके बाद नासिर ने एक रोमांटिक फिल्म बनाने का फैसला लिया।

फिल्म में कुल 6 गाने हैं जिनमें उदित नारायण और अलका याग्निक ने अपनी आवाज दी थी। (फोटो साभार-यूट्यूब)

नासिर ने अपने मियामी खान को लीड रोल में दिया। इसके साथ ही जूही चावला को भी जोड़ा गया। आमिर खान ने बचपन में अंकल नासिर के साथ यादों की बारात में बहाना एक्टर ने काम किया था। नासिर ने जैसी ही फिल्म की शूटिंग शुरू की तो उनकी सेहत ने साथ नहीं दिया और वे बीमार रहने लगे। इसके चलते उन्होंने इस फिल्म के निर्देशन की जिम्मेदारी अपने बेटे मंसूर खान को सौंपी। मंसूर खान ने उन दिनों दूरदर्शन के लिए फिल्म बनाई थी जो नासिर को काफी पसंद आई थी।
मंसूर खान के अडियल जजमेंट ने करोड़पति बनाया
मंसूर खान ने फिल्म को सीधे करने की बात तो मान ली लेकिन अपने कई फैसले सामने रख दिए। जिसमें मंसूर ने फिल्म के कई सीन बदल दिए। फिल्म की स्टारकास्ट भी युवाओं के साथ बदली गई। नासिर अपनी स्क्रिप्ट में आमिर खान के पिता के रोल में शमी कपूर और जूही चावला के पिता के रूप में संजीव कुमार को डालना चाहते थे. लेकिन मंसूर ने इन रोल्स में दिलीप ताहिर को चुना था। मंसूर ने अपनी पूरी तरह से यंग एक्टर्स से बदल दी थी। इन सब बातों को लेकर तो नासिर तैयार हो गए। लेकिन फिल्म की कहानी के अंत को लेकर नासिर और मंसूर के डॉक्युमेंट में परेड बन रही है। नासिर चाहते थे कि फिल्म हैप्पी एंडिंग हो जाए। लेकिन मंसूर ऐसा नहीं चाहते थे कि उन्होंने अपनी दूरदर्शिता पर फिल्म की एंडिंग के लिए शर्त रखी थी। फिल्म की कहानी में आमिर खान और जूही चावला दोनों ही मर जाते हैं। उस दौर में ऐसा माना जाता था कि फिल्म हैप्पी एंडिंग जल्द ही आने वाली है। ऐसा नहीं है कि केवल बॉक्स ऑफिस पर असर देखने को मिल सकता है। लेकिन मंसूर अपने दुखद अंत की कहानी को लेकर अड़े रहे।

डिस्ट्रीब्यूटर्स ने फिल्म को खरीदने से मना कर दिया
मंसूर और नासिर दोनों ही जजमेंट को लेकर फिल्म के अंत तक मदभेद बना रहे हैं। इसके चलते फिल्म की दो एंडिंग भी गोली मार दी गई। जिसमें पहला खान और जूही चावला दोनों अंत में मर जाते हैं। दूसरी एंडिंग में दोनों जिंदा रहते हैं। फिल्म दोनों एंडिग्स के साथ डिस्ट्रीब्यूटर्स दिखाई दी। लेकिन मंसूर अपनी सेड एंडिंग पर अड़ रहे हैं। इसके चलते डिस्ट्रीब्यूटर्स ने फिल्म को खरीदने से इंकार कर दिया। इसके बाद मंसूर ने इस फिल्म को डिस्ट्रीब्यूट किया। फिल्म की रिलीज होते ही धमाका हो गया। साढ़े करोड़ के बजट में बनी फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 5 करोड़ रुपए की कमाई की थी। साल 1988 में ‘तेजाब’ सबसे ज्यादा कमाई करने वाला पहला और दूसरे नंबर पर ‘शहंशाह’ रही थी। इसके बाद ‘कयामत से कयामत तक’ ने 5 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की कमाई की थी। फिल्म का डिस्ट्रीब्यूशन खुद मंसूर ने किया था और वो भी रातों रात लकी चमक और करोड़पति हो गए थे।

न्यू टैलेंट को दिया मौका और टी सीरीज की चमकीली किस्मत
मंसूर खान ने अपने विजन के दम पर बॉलीवुड में एक्शन की बयार सुपरहिट रोमांस की ऐसी पौध बोई के करीब 2 दशकों तक फिल्म मेकर्स ने रोमांस से खूब पैसा कमाया। इस फिल्म से मंसूर खान ने बॉलीवुड को ऐसा संगीत दिया जिसने टीसीरीज को बड़े सपने देखने का ख्वाब दिया। मंसूर खान ने फिल्म में आनंद मिलिंद का म्यूजिक ऑडिट किया था। फिल्म में कुल 6 गाने हैं जिनमें उदित नारायण और अलका याग्निक ने अपनी आवाज दी थी। उस दौर में उदित और अलका दोनों ही नई-नई शिक्षिकाएं हुआ करती थीं। सनासी को मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखा था।

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साढ़े करोड़ के बजट में बनी फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 5 करोड़ रुपए की कमाई की थी। (फोटो साभार-यूट्यूब)

फिल्म के अटैचमेंट को टीसीआरज ने 6 लाख रुपये में खरीदा था। इसी फिल्म के साथ टी सीरीज की किस्मत चमकी थी। इस फिल्म के अटैचमेंट के करीब 1 करोड़ कैसे बिक गए थे। फिल्म का एल्बम सुपरहिट हो रहा था। आज भी फिल्म का गाना ‘पापा कहते हैं बड़ा नाम होगा’ काफी रिलेवेंट लगता है। फिल्म ने फिल्म फेयर एसेस में भी ट्रॉफियों की झड़ी लगा दी थी। इस फिल्म के लिए वर्ष 1989 में सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ मेल में आने वाले, राष्ट्रीय फिल्म मुखपृष्ठ, सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले, सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफ़ी, कुल 9 विज्ञापनों सहित सर्वश्रेष्ठ फिल्म मिले थे।

टैग: आमिर खान, बॉलीवुड नेवस, जूही चावला

 


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