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वाट्सएप के एक मैसेज ने 1 लाख करोड़ रुपए की पॉल्ट्री इंडस्ट्री की कमर तोड़ी, जानिए कैसे

नई दिल्ली। फरवरी महीने की शुरुआत में महाराष्ट्र में पोल्ट्री फार्मिंग (Poultry Farming) करने वाले का एक किसान के फोन पर मैसेज आता है। इसमें अंडे और चिकन से कोरोना वायरस (Coronavirus) की बात कहीं से भी उजागर हुई है। देखते ही देखते ये फेक मैसेज तेजी से वाट्सएप (Whatts App) पर शेयर होने लगा और कुच्छ ही दिनों में अंडे और चिकन के दाम 90 प्रतिशत तक गिर गए। ऐसे में इससे जुड़े लाखों किसानों की आमदनी पर बहुत बुरा असर पड़ा। हर महीने 25-35 हजार रुपये की कमाई करने वाले किसानों के लिए घर को खर्च करना मुश्किल हो गया है।

इंग्लिश बिजनेस न्यूज पेपर लाइव मिंट को दिए गए एक इंटरव्यू में ऑल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन के वोट प्रेसिडेंट सुरेश चितपुरी कहते हैं कि मांग में गिरावट की वजह मार्च की शुरुआत में ही देश के सभी हिस्से में चिकन के दाम गिरकर 5-10 रुपये पर आ गए . वहीं, एक आज्ञापत्र 12 अंडों की कीमत 48 रुपये से गिरकर 24 रुपये पर आ गई, जबकि मटन की मांग में अब बड़ा हुआ है। इससे 160 करोड़ रुपए प्रति दिन का नुकसान हो रहा है।

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देश के किस राज्य में सबसे ज्यादा कोरोना वायरस के मामले सामने आए हैं वो है महाराष्ट्र। समूचे महाराष्ट्र में पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े लोगों को भारी नुकसान हो रहा है। लोगों ने चिकन खाना ही बंद कर दिया है। व्यवसायी यहां 10 से 15 रुपये में पढ़े हुए नजर आ रहे हैं. हालत यहां तक ​​पहुंच गई कि महाराष्ट्र के बुलढाणा में पोल्ट्री व्यवसायी अपने नुकसान की मांग को लेकर तैरने पर मजबूर हो गए। यहां जिलाधीश कार्यालय के मेन गेट पर मुर्गे को छोड़कर आंदोलन किया गया। पुलिस ने सभी आंदोलनकारियों को हिरासत में लिया है।

महाराष्ट्र के ही कोल्हापुर जिले में कोरोना वायरस के कारण मुर्गों की सेल लग गई। यहां सिर्फ सौ रुपये में 4 मुर्गे खरीदे जा रहे हैं। ऐसी सेल कई तरह से शुरू हुई हैं।

पंजाब जैसे राज्य में जहां चिकन 65 रुपये किलो के होश से बिक रहा था, वहीं अब यह 15 रुपये बिक रहा है। पंजाब में भी पोल्ट्री फार्म के मालिक बेहद दुखी हैं और उनका कहना है कि एक किलो पर 50 रुपये का नुकसान हो रहा है। सरकार को भी हमारा ध्यान रखना चाहिए और महेंद्रा देना चाहिए।

पॉल्ट्री एसोसिएशन ने ना सिर्फ लोगों के मन से चिकन को लेकर भीड़-भाड़ दूर कीं, बल्कि एसोसिएशन ने यहां पूरे इलाके में चिकन की एक फुल प्लेट मात्र 30 रुपये में छुट्टियों में बांटी।

अब सवाल यह है कि क्या चिकन या अंडे खाने से सच में कोरोना वायरस है। ऐसा बिल्कुल नहीं है। डॉक्टर्स ने कई बार यह जानकारी दी है कि क्लीयर-सफाई ली गई है, जोडिय़ों पर ध्यान न दें। लेकिन चिकन वायरस से फैला इसकी अफवाह देश के कई हिस्सों में फैल गई है।

महाराष्ट्र के पशुपालन मंत्री सुनील केदार ने स्पष्ट किया कि कोरोना वायरस काट्री (कुक्कुट) उत्पादों के चलन से कोई वैज्ञानिक संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि ये दावे निराधार हैं कि चिकन या अन्य पॉल्ट्री उत्पादों के सेवन से किसी व्यक्ति के कोरोना वायरस की चपेट में आ सकते हैं। केदार ने कहा, पोल्ट्री प्रोडक्शन से जुड़े किसानों के इन संबंधों से बहुत नुकसान हुआ है कि पोल्ट्री के जरिए कोरोना वायरस का बंधन है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसा गलत फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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