
UNITED NEWS OF ASIA. महेंद्र शुक्ला, एमसीबी जिला / जनकपुर | जिस आदिवासी समाज को संविधान ने विशेष अधिकार दिए, जिसे राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहा गया, उसी समाज की एक निसहाय विधवा महिला का घर जनकपुर में खुलेआम तोड़ दिया गया और पूरा प्रशासन आँखें मूंदे बैठा है। यह घटना प्रदेश की कानून-व्यवस्था और सुशासन के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है।
जनकपुर निवासी कलावती बाई, पति स्व. शुक्ला राम बैगा – जो मेहनत-मजदूरी कर पेट पालती हैं – 4 जून 2025 को अपने पुराने घर में ताला लगाकर मजदूरी करने निकली थीं। दोपहर के समय राजू गुप्ता और उनके पुत्र शनि गुप्ता नामक दबंगों ने मिलकर उस गरीब आदिवासी महिला का वर्षों पुराना घर तोड़ दिया।
अब वह बेसहारा महिला दर-दर भटक रही है, न्याय की गुहार लगा रही है, लेकिन जनकपुर थाना में FIR तक दर्ज नहीं की जा रही। कानून के रक्षक ही मौन तमाशबीन बने हुए हैं।
सबसे बड़ा सवाल –
क्या यही है मुख्यमंत्री का सुशासन?
जो खुद एक आदिवासी समाज से आते हैं, और रोज़ गली-गली आदिवासी उत्थान की बात करते हैं – क्या उसी राज्य में आदिवासी महिला की इस तरह की बेइज्जती और बेदखली ही आदिवासी नीति का चेहरा है?
प्रदेश में आदिवासियों को न्याय नहीं मिलेगा तो किसे मिलेगा?
यह मामला सिर्फ एक विधवा महिला का नहीं, यह पूरे आदिवासी समाज के आत्मसम्मान और अधिकार पर सीधा हमला है।
अगर अब भी प्रशासन ने चुप्पी नहीं तोड़ी, तो आने वाले समय में हर आदिवासी खुद को असुरक्षित महसूस करेगा।
> सरकार जवाब दे –
🔹 क्यों नहीं दर्ज हुई FIR?
🔹 कौन बचा रहा है दबंगों को?
🔹 और कब तक आदिवासी समाज यूं ही बेबस रहेगा?
जनता देख रही है – न्याय नहीं मिला तो आंदोलन तय है।
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