अयोध्या की श्रीरामजन्मभूमि पर नूतन भव्य मंदिर में भगवान श्रीरामजी की प्रतिष्ठा का उत्सव अगले साल लगभग 15 जनवरी 2024 के तुरंत बाद होगा। इस निमित्त 21 मार्च 2023 से 15 जनवरी 2024 तक के 300 दिन पूरे देश में सांस्कृतिक चेतना के जागरण के लिए एक विराट भक्ति अभियान का सूत्रपात स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर, दिल्ली से किया गया। श्री बाबा रामदेव जी (पतंजलि योगपीठ, दूर), श्री स्वामी गोविन्ददेव गिरि जी (स्वामी जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास, अयोध्या) तथा स्वामी श्री भद्रेशदास जी (बीएपीएस स्वामिनायण शोध संस्थान, अक्षरधाम, नई दिल्ली) के संयुक्त तत्वाधान में इस कार्यक्रम में विश्वप्रसिद्ध संत आयोजित हुए , महात्मा, धर्मगुरु एवं विद्वानों महानुभावों ने भाग लिया। आपसी स्नेह, सद्भाव, समरसता, सुहृदयभाव और सामंजस्य के साथ समग्र राष्ट्र में सांस्कृतिक चेतना के जागरण का आयोजन इस कार्यक्रम में मंचस्थ मनीषियों में पूज्य म. आदमी। श्रीपुण्यानंद गिरि जी महाराज, पूज्य स्वामी श्रीपरमात्मानंद सरस्वती जी महाराज, पूज्य स्वामी श्रीज्ञानानंद जी महाराज, पूज्य स्वामी आ। श्रीबालकानंद गिरि जी महाराज, पूज्य स्वामी श्रीप्रणवानंद सरस्वती जी महाराज, पूज्य म.मं। स्वामी श्रीविश्वेश्वरानंद गिरि जी महाराज, पूज्य स्वामी श्रीगोपालशरणदेव जी महाराज, पूज्य जीन आचार्य श्रीलोकेश मुनि जी महाराज, मा. श्री चम्पत राय जी (श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या), मा। श्री नृपेन्द्र मिश्रा जी (श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या), मा. श्री आलोक कुमार जी (विश्व हिन्दू परिषद) आदि उपस्थित रहे ।
अयोध्या में होने वाले प्रतिष्ठा उत्सव के लिए अक्षरधाम मंदिर में हुआ भव्य उद्घोष सभा
विभिन्न पंथ – प्रदेश – भाषा – सम्प्रदायों में विभक्त राष्ट्र के नैतिक, नैतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिकता के लिए सभी अक्षरधाम मंदिर के मंच पर एकजुट होकर संकल्पित किया गया कि श्रीराम मंदिर की स्थापना से पूर्व हनुमान जी की भक्तिस्फूर्त को जाग्रत करने शतकोटि हनुमान सेंटिना वाग्यज्ञ प्रभुचरणों में समर्पित किए जाएं। शिलालेख राष्ट्र, विश्वकल्याण और बंधुता की भावना का स्रोत भी यह अनन्य भक्ति ही है, अत: इसका अनुष्ठान आगामी श्री राममंदिर प्रतिष्ठा तक अनवरत किया जाएगा। इसके साथ ही भगवान श्रीराम के जीवन पर कथा-प्रवचन, पुस्तक-निबंध लेखन, सुन्दरकांड आधारित कथा, कोन्फेरेंस, संगोष्ठी, प्रतियोगिताएँ आदि कई प्रकार की भक्तिमय प्रवृत्तियाँ भी वर्षभर चलींगी।
अयोध्या में होने वाले प्रतिष्ठा उत्सव के लिए अक्षरधाम मंदिर में हुआ भव्य उद्घोष सभा
इस अवसर पर BAPS अक्षरधाम संस्थान के प्रमुख प्रकट हुए ब्रह्मस्वरूप महंतस्वामी महाराज ने आशीर्वचन व्यक्त किए कि “भगवान रामचन्द्र का चरित्र संपूर्ण जगत के लिए प्रेरणा देने वाला है। श्री राम जन्म अयोध्या में मंदिर की प्रतिष्ठा के निमित्त यह भक्ति अनुष्ठान समग्र विश्व में आध्यात्मिक मूल्यों का संचार करेगा। हमारे गुरु स्वामी महाराज भी सनातन धर्म और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में आधारित थे। श्री राम मंदिर के शिलापूजन से लेकर मंदिर-निर्माण की स्थिति में उन्होंने सदा सक्रिय योग दिया था।” उल्लेखनीय है कि अक्षरधाम मंदिर के अतिरिक्त पू. मुनिवत्सल स्वामीजी ने समग्र कार्यक्रम व्यवस्था में सुचारु योगदान दिया। शाम 4 बजे से इस विशेष कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। बीएसए अक्षरधाम के बालप्रवृत्ति के लड़कों ने वैदिक शांतिगान से सभा का श्रीगणेश किया।
अयोध्या में होने वाले प्रतिष्ठा उत्सव के लिए अक्षरधाम मंदिर में हुआ भव्य उद्घोष सभा
तत्पश्चात्, पूज्य संतों तथा अस्थिगण का विधिवत परिचय दिया गया, महावस्त्र एवं पुष्पहार द्वारा उनका स्वागत किया गया। बना श्री चम्पत राय जी (श्री राम जन्मभूमि अयोध्या) ने अपना प्रासंगिक बयान श्रीराम जन्मभूमि एवं मंदिर का सदियों का इतिहास रूप में उल्लेख करते हुए कहा, “इस बृहत्के कार्य में लाखों भक्तों और उनके संपूर्ण अपना समर्पण दिया है, हम उन्हें वंदन करते हैं हैं।” सभा में पूज्य संत एवं मुख्य अतिथिगण ने श्रीराम दरबार का पूजन एवं मंगल दीप प्रज्वलन से सभा का मंगलचरण किया। उस समय ऐसा हुआ घटना के सभागृह का वातावरण प्रभुश्री राम, सीता जी, लक्ष्मण जी और हनुमान जी के स्मरण से मंगलमय और दिव्यमय हो गया था। । सभा में बैठे भक्तजनों को चलचित्र द्वारा राम प्रतिष्ठा निमित्त शतकोटी हनुमान सेंटिना अभियान के बारे में जानकारी दी गई।
पूज्य स्वामी श्री गोविंददेव गिरी जी महाराज ने सभी भक्तजनों को शतकोटी हनुमान शताब्दी अभियान की प्रास्ताविक रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा, ”देशभर में श्री रामचंद्र भगवान को समर्पित हजारो मंदिर हैं। हालाँकि, रामजन्मभूमि अयोध्या में बनने वाला मंदिर विशेष है क्योंकि यह भक्तों की आध्यात्मिक चेतना को जाग्रत करेगा। ऐसी आध्यात्मिक चेतना को फिर से दुनिया के लिए, श्री हनुमानजी श्री रामचंद्र भगवान के सबसे पसंदीदा भक्त हैं। हनुमान जी की स्मृति को अपनी भौतिक और आध्यात्मिक प्राथमिकताओं को हांसिल करने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करेंगे। हनुमान सैंतीस जाप भक्तों की अशुभ क्रिया और अशुभ विचार से बचाव करेंगे। शतकोटि हनुमान चालीसा अभियान का मुख्य उद्देश्य प्रति क्षण श्री रामचन्द्र जी का स्मरण करना है। हमने एक वेबसाइट ‘rampratistha.com’ और एक मोबाइल ऐप – राम प्रतिष्ठा को भी लॉन्च किया है हनुमान चालीसा के पाठ के अंक की प्रतिज्ञा भक्तजन इस वेबसाइट और एप पर कर सकते हैं और अपना भक्ति भाव अर्पण कर सकते हैं। इस ऐप में, एक लिप्यंतरित हनुमान चालीसा लगभग 12 आकाशगंगाओं में उपलब्ध होगी, ताकि भक्त आसानी से जाप कर सकें और अपनी भक्ति अर्पित कर सकें।”
रामप्रतिष्ठा निमित्त शताब्दी हनुमान चालीसा अभियान का मंगल श्री हनुमान शताब्दी के पाठ से हुआ। श्रीराम भगवान के भक्त श्री हनुमान जी के इस चालीसा गान से माहौल रमणीय और अलौकिक हो गया। पूज्य जैन अंश श्री लोकेश मुनिजी महाराज ने अपने बयान में बताया, ”मैं जैन गुरु होने के संबंध में समस्त विश्व के जैन गुरुओं को यह संदेश देना चाहता हूं कि जिस प्रकार भगवान आदिनाथ और महावीर का हमारे धर्म में स्थान है, उसी प्रकार भगवान श्रीराम का भी जैन धर्म में उतना ही स्थान और पूजनीय है। सबसे अधिक मंत्र मंत्र का है, उतना ही मंत्र हनुमान चालीसा का भी है। 4 अप्रैल को भगवान महावीर जयंती है और उस शुभ दिन से मैं स्वयं भी हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू करूंगा।” तत्पश्चात् मा। श्री आलोक कुमार (विश्व हिंदू परिषद) ने बताया, “शतकोटि हनुमान चालीसा अभियान की योजना के बारे में सुनकर मैं दंग रह गया, लेकिन लाखों लोगों के बलिदान, 3 लाख पत्थरों का शिला पूजन, 10 करोड़ समग्र और 65 करोड़ लोगों के मंदिर का निर्माण मुझे दान करने के लिए आदि को याद करते हुए दृढ़ विश्वास हो गया कि यह योजना नौकरी करने वाली पूर्ण होगी। हनुमान सैंतालीस पाठ से भारत का विश्वगुरु बनता है।”
आदरणीय स्वामी श्रीप्रणवानन्द सरस्वतीजी महाराज ने अपने बयान के माध्यम से बताया, “जब मैंने इस शताब्दी हनुमानचालीसा के बारे में सुना तो मुझे अपने बचपन के दिन याद आ गए और था उसी समय एक ही नारा ‘बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का’। आज मैं पेट और आदिवासियों के पास जा रहा हूं, भगवान राम और हनुमानजी को उनके जीवन तक पहुंचाने का संकल्प करता हूं।”
सभा में भाषाकार पूज्य भद्रेश स्वामीजी ने बताया कि शत कोटि हनुमाना के पाठ का विचार सर्व प्रथम इंडोनेशिया में शुरू हुआ था। मेरे साथ श्री गोविंद ग्राहिजी महाराज थे। रामभूमि में जन्म में मंदिर का निर्माण तो हो रहा है परंतु श्री राम के प्रति श्रद्धा बढ़ाने के लिए सभी को एकता होनी चाहिए। जब राष्ट्रवाद अध्यात्म-अनुपयोगी होता है तो राष्ट्रवाद निकल जाता है। भारत में राष्ट्रवाद कभी अध्यात्म से सम्बोधित नहीं हुआ है। केवल तय किया गया है कि ऐसा ऐसा दिशा-दर्शन है। यह प्रकल्प किसी संस्था का नहीं परंतु आम लोगों का है।
राम जी प्रत्येक भारतीय के हृदय में बैठे हैं, राम से उनका चेतन जाग्रत होगा। हमारे गुरु महंत स्वामी महाराज ने कहा, ‘जो चालीसा का पाठ करेगा वह समृद्ध होगा। ‘ इससे हमारी शुभचिंतक जागेगी। यह एक पाठ में तत्वज्ञान, मनोविज्ञान का सार है। हमें गर्व है कि यह अक्षरधाम से शुरू किया जा रहा है। अक्षरधाम से जो आध्यात्मिक चेतन का आरंभ हो, वह भी नहीं रुकेगा। आज संत शक्ति जो यहाँ विराजमान है उसे देखो। जब हम हाथ मिलाते हैं तब हम कोई नहीं तोड़ सकते।
आध्यात्मिक राम हर इंसान में बसते हैं। वे सभी के चेतन हैं। गुरूजी महंत स्वामीजी महाराज के शब्दों में विश्वास रखताके, यह कहना चाहता हूँ कि यह शतकोटि में नहीं अटकेगा। पञ्च शतकोटि में भी अटकेगा नहीं। सहस्त्रकोटि में भी अटकेगा नहीं। आज गुरुजी प्रमुख स्वामी जी हमें देख रहे हैं। जब राम मंदिर के निर्माण का प्रस्ताव आया तो उनकी शिला की प्रथम पूजा का अवसर उन्हें मिला। और आज इस संकल्प का शुभारंभ भी अक्षरधाम से हो रहा है।
तत्पश्चात, श्री गोपालशरणदेवाचार्य जी महाराज ने कहा, “मैं उन सभी आध्यात्मिक गुरुओं के प्रति आनंदित होता हूं, जो सनातन धर्म की संस्कृति को विश्व भर में फैलाने में अग्रणी हैं। हनुमान जी की महिमा किसी भी संप्रदाय से परे है, वे दुनिया भर में विभिन्न धर्मों के लोगों द्वारा पूजनीय हैं। जीवन के विभिन्न क्षेत्र और आयु और समाज के लोग अपने जीवन में किसी को भी अधिक से अधिक पार करने के लिए हनुमान चालीस का जाप करते हैं। मेरी सलाह है कि हनुमान चालीसा का पाठ हर यात्रा की शुरुआत या नए काम की शुरुआत में करना चाहिए।”
पू. पुण्यानंद गिरी जी महाराज ने अपने वचन में कहा, “मेरी पढ़ाई शुरू होने से पहले ही मुझे दुर्गा कवच कंठस्थ हो गया था क्योंकि वो मेरे घर में जापा था। ऐसे ऊंचे जब सभी घरों में हनुमान चालीसा का पाठ निश दिन होगा, बच्चा अपनी पढ़ाई शुरू होने से पहले हनुमान ही चालीस कंठस्थ कर लेगा। इसी के द्वारा धर्म परिवर्तन करने वाले इस देश में फिर से जागरुक होंगे। ऐसे में कोई भी यह नहीं कहेगा कि युवा वर्ग धर्म के मार्ग से पिछड़ रहा है”
पू. ए। बालकानंद महाराज जी ने कहा, “भगवान श्रीराम प्रतिष्ठा निमित्त हनुमानचालीसा का पाठ का संकल्प एक ही दिन में पूर्ण हो सकता है। जिस प्रकार पूरा विश्व योग से रंगा हुआ है । यदि योग के साथ रोज सुबह हनुमान चालीसा का पाठ करें तो यह एक दिन में पूर्ण होना संभव है।”
पूज्य योगगुरु स्वामी रामदेव जी महाराज ने अपने बयान में कहा, “स्वामिनारायण स्क्रैच हमारे अकाउंट अकाउंट का गौरव है। संत बेरोजगार और बलिदान सीएसा को उनके दर्शन अक्षर पुरुषोत्तम बैंकर के द्वारा देखा जाता है। मैं स्वामी श्री गोविंद देव गिरी का इस अभियान के लिए आनंद प्रकट करता हूं। भगवान की पूजा करने से उनमें प्रीति बढ़ती है, उनकी प्रार्थना करने से हमारे में अभिमान नहीं आता, उनकी पूजा करते हुए स्वयं ब्रह्मरूप स्थिति को प्राप्त कर लेते हैं। महंत स्वामी महाराज जी ने कहा था कि हमारे अंदर का सदगुण प्रकट हो जाएगा। राम मंदिर की नीव जो डाली गई है उससे केवल एक हजार नहीं बल्कि लाखों वर्षों तक यह बनी रहेगी। भारत भूमि ऋषि मुनि की भूमि है। तपस्वियों ने मुनियों ने इस देश का अपना संघर्ष और तपश्चर्या से निर्मित किया। ये शतकोटी हनुमान चालीसा अभियान केवल एक प्रतीक मात्र है, इसकी गूंज वर्षों तक विश्व में गूंजेगी। भगवान का स्मरण करने से अंतर के ताप नष्ट हो जाते हैं। प्रमुख स्वामी महाराज ने शानदार संत का निर्माण किया, ऐसे ही इस अभियान से पूरे राष्ट्र में नव चेतन का संचार होगा।
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