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– कहां है 90 के दशक के ‘जा झर के ऐहा अटवार के’ से मशहूर भोजपुरी सिंगर गुड्डू रंगीला, टेलरिंग कंपनी में किया काम, जानिए वजह – News18 हिंदी

नई दिल्ली। गुड्डू रंगीला (गुड्डू रंगीला) भोजपुरी सिनेमा को कई सारे गाने दिए गए हैं। हालांकि वह शुरू से ही कनेक्शन के डबल मीनिंग के लिए फेमस भी रहे हैं और डिस्कशन में भी। हालांकि इस बात को गुड्डू ने हमेशा स्वीकार किया है। वह हमेशा से एक ही बात कहते हैं कि उनके गाने बेशक डबल मीनिंग वाले होते हैं, लेकिन आप किस मीनिंग को समझते हैं ये आपका नजरिया है मेरा नहीं। बता दें कि ‘तनी सा जीन्स ढिला कर’ (जीन्स ढिला कारा), हमरा हव चाही (हमरा हौ चाही), होरी तोहार यारी में (गोरिया तारा यारी में) आदि के लिए काफी प्रसिद्ध हैं। यहां गौर करने वाली बात ये है कि जिस डबल मीनिंग गाने को गाकर गुड्डू ‘रंगीला’ बने थे। वहीं गाने उनके पतन का कारण भी बनते हैं। अब गुड्डू रंगीला चाहे कितने भी अच्छे गाने क्यों गा लें। लोग उनके गाने बजाने से पहले दो बार सोचते हैं कि कोई ये गाना सही है तो नहीं, जैसा कि वह पहले गाते थे।

आपको बता दें कि गुड्डू रंगीला का असली नाम सिद्धेश्वरनन्द ग्राहिणी है। गुड्डू रंगीला भोजपुरी के ऐसे गायक हैं टी-सीरीज ने उन्हें डायमंड स्टार (डायमंड स्टार) का टैगा दिया है। ये गाने सिर्फ भोजपुरी में नहीं बल्कि भारत के अन्य हिस्सों में भी खूब सुने जाते थे। हालांकि अब गुड्डू रंगीला का दौर गुजर चुका है। अब गुड्डू रंगीला जो भी गाना गाते हैं लोग उन्हें ट्रोल करने लगते हैं। हाल ही में उनका एक गाना COVID 19 के दौरान आया था। जिसके बोल ‘हमरा लहंगा में कोरोना वायरस घुसल बा…’ यह गाना भले ही यूट्यूब पर छा गया हो लेकिन इस गाने से गुड्डू रंगीला वीडियो में फंस गए थे।

गुड्डू रंगीला बनने के लिए उठाया कदम
आपको बता दें कि गुड्डू रंगीला जब इंडस्ट्री में आए तो उनके भरत शर्मा व्यास, शारदा सिन्हा और बलेश्वर जैसे मंझे हुए गायकों के सामने टिक पाना मुश्किल था। ये सभी शिंगर अपने आप में धुरंधर थे। विदेशों में उनके गाने काफी मशहूर थे। ये सभी के एक सधे हुए दस्तावेज थे। ऐसे में गुड्डू रंगीला को अपना सागर पैर बांधना काफी मुश्किल था। इसलिए उन्होंने जानबूझ कर उस वर्ग को चुना तो काफी जोशीले थे, जो बस मस्ती और फन के लिए गाने नंबर ले रहे थे। ऐसे वर्ग के लिए सिद्धेश्वरनन्द ग्राहिनी से गुड्डू रंगीला बन गए।
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साड़ी कंपनी में जॉब
गुड्डू रंगीला बिहार के सीवन के रहने वाले हैं। उनकी पढ़ाई भी सीवान में हुई है। पढ़ाई के दौरान ही गुड्डू कीर्तन व रामविवाह, शिवविवाह के गीत गाए जाते थे। घर वाले चाहते थे गुड्डू पढ़ाई कर कुछ और काम करें, जबकि गुड्डू का मन गायक में था। इसलिए उन्होंने 1992 में दोस्त से 300 रुपये कर्ज लेकर दिल्ली भाग लिए और अपने अंकल के घर रहने लगे। शुरुआती दिनों में अपना गुजर बसर करने के लिए उन्होंने स्कॉट नाम की साड़ी कंपनी में नौकरी की। जहां उन्हें 750 रुपए प्रतिमाह सैलरी मिलती है। इसी दौरान दिल्ली में ही डब्ल्यू व्यास के साथ ‘दु गोलाकार’ के प्रचार से चर्चा में आ गए। उस कार्यक्रम में गंगा कैसेट के मालिक भी उपस्थित थे। जो गुड्डू के गाने से काफी प्रभावित हुए। उन्होंने गुड्डू को ब्रेक दिया और अपना पहला ऑडियो कैसेट ‘जवानी के तूफान’ साल 1996 में आई। इसके बाद 1997 में टी सीरीज से बुलावा आया। इसके साथ ही गुड्डू रंगीला भोजपुरी गायकों के क्षेत्र में छा गए और स्टार बन गए।

90 के दौर में भोजपुरी स्टार थे गुड्डू रंगीला
90 के दौर में गुड्डू रंगीला का जब उनका कैसे आता था तो मार्केट में हाथों हाथ बिक जाती थी। उस दौर में गाना सुनने के लिए 25-30 केटी कैसे खरीदें। वे कैसे सबसे बड़ा शॉपिंग ट्रक, बस, ट्रैक्टर के ड्राइवर और सिगरेट छोड़ने वाले दुकानदार होते थे। जो दूसरे सुनने के लिए बिग स्पीकर थे। ऐसे में आम लोगों को भी पता चला कि गुड्डू का कोई नया गाना आया है। हालांकि अब वह दौर खत्म हो गया है और गुड्डू रंगीला का भी।

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