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C20 सम्मेलन: गडकरी ने कहा, हमारा लक्ष्य सामाजिक और आर्थिक समानता लाना

गडकरी महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित ‘सिविल 20 इंडिया’ (सी-20) सम्मेलन को संदेश कर रहे थे। सी-20, जी-20 के आधिकारिक प्राधिकरण में से एक है जो जी-20 के वैश्विक नेताओं तक अपनी बात पहुंचाने के लिए दुनिया भर के नागरिक समाज संगठन को एक मंच प्रदान करता है।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि सामाजिक एवं आर्थिक समानता लाना सरकार का प्रमुख लक्ष्य है और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ दुनिया में सभी के लिए समान विकास को आगे बढ़ाने का संकेत देता है। उन्होंने कहा कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम’, भारत का जी20 प्रेसीडेंसी का एक शक्तिशाली संदेश का प्रतीक है। गडकरी महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित ‘सिविल 20 इंडिया’ (सी-20) सम्मेलन को संदेश कर रहे थे। सी-20, जी-20 के आधिकारिक प्राधिकरण में से एक है जो जी-20 के वैश्विक नेताओं तक अपनी बात पहुंचाने के लिए दुनिया भर के नागरिक समाज संगठन को एक मंच प्रदान करता है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मूल्य आधारित शिक्षा और मूल्य आधारित परिवार व्यवस्था भारत की सबसे बड़ी शक्ति है। उन्होंने कहा कि अंतिम व्यक्ति तक चौकी और उनका जीवन सार्थक बनाना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इससे पहले दिन में, सम्मेलन के दूसरे दिन दुनिया में, विशेष रूप से उप सहारा अफ्रीका में बढ़ती सतत् समस्याओं पर चर्चा हुई। उप-सहारा अफ्रीका में बड़ी संख्या में शिक्षा से विकलांग बच्चे मजदूरी करने को मजबूर हैं। सम्मेलन का विषय नागरिक समाज संगठन और मूल्य के रूप थे।

‘100 मिलियन अभियान’ के वैश्विक निदेशक ओवेन जेम्स ने एक सरकारी प्रचार में कहा कि 2015 के बाद से 2.15 डॉलर प्रति दिन से कम पर रहने वाले उप-सहारा अफ्रीकियों की संख्या में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि उप-सहारा अफ्रीका में बाल श्रम और शिक्षित शिक्षा से अपरिचित बच्चों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि महाद्वीप में बेहतरीन प्राकृतिक संसाधन हैं, लेकिन अभी भी निम्न प्रकार हैं क्योंकि स्वरूप को दूसरी जगह स्थानांतरित किया जा रहा है।

बैठक के अनुसार ”सेवा की भावना, परोपकार और स्वयंसेवा, वसुधैव कुटुम्बकम-विश्व एक परिवार है, विविधता, समावेशन, आकर्षण सम्मान और मानव अधिकारों पर चर्चा की गई।” ‘सेवा इंटरनेशनल’ के वैश्विक समन्वयक श्याम परांडे ने कहा कि सम्मेलन में भाग लेने वालों को गौतम बुद्ध के ”अप्पो दीप भव (स्वयं प्रकाश बनो)” के संदेश का पीछा करना चाहिए। परांडे ने कहा, ”भारत में मूल्यों का एक लंबा इतिहास रहा है और ये भारतीय मूल्य वैश्विक मूल्यों से मेल लाभ हैं।” ‘भारतीय सामाजिक उत्तरदायित्व नेटवर्क’ के सीईओ संतोष गुप्ता ने कहा, ”जब हम सेवा करते हैं, तो हमारी आत्मा में यह भावना होती है कि हमें किस कारण से काम करना चाहिए। स्वयं सेवा और परोपकारी से बेहतर सेवा और इसे (सेवा को) दुनिया के प्रमुख धर्मों में परिभाषित किया गया है।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



 


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