वो दिन दूर नहीं आ रहा है जब ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन में तनाव बढ़ने की स्थिति में हिंद प्रशांत क्षेत्र मैदानी जंग में बदल सकता है। मीडिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन की चढ़ाई अमेरिका पर हमला करने की ताकतों में अंतर बहुत अधिक बढ़ता जा रहा है।
यूक्रेन में धरती धमाकों के बीच रूस ये धौंस सागरता आया है कि वो किसी भी वक्त एटम बम का शटर दबा सकता है। दुनिया को ये देश धमकाता रहा है कि रूस पर किसी भी तरह के हमले के हालात में आपसी समझौते का हथियार जैगर बम ही होगा। जाहिर है एक तरफ रूस का एटमी जुनून है तो दूसरी तरफ चीन का वॉर प्लान सामने आया। दुनिया इलेक्ट्रॉनिक है कि चीन से बड़ा चालबाज कोई नहीं है। विस्तारवादी सोच वाला ड्रैगन मौका देख कर रंग बदलने में लगा है। यूक्रेन रूस के विध्वंसक युद्ध के बीच चीन की नजर ताइवान पर है। ताइवान पर अक्सर तनाव बढ़ता रहता है और ताइवान के साथ अमेरिका का पलड़ा भारी रहता है। अमेरिका किसी भी हाल में ताइवान पर चीन का कब्जा नहीं होना चाहता। लेकिन अब ताइवान के अलावा चीन और अमेरिका के बीच तनाव का दौरा जासूसी चश्मदीदों से भी मिल रहा है।
वो दिन दूर नहीं आ रहा है जब ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन में तनाव बढ़ने की स्थिति में हिंद प्रशांत क्षेत्र मैदानी जंग में बदल सकता है। मीडिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन की चढ़ाई अमेरिका पर हमला करने की ताकतों में अंतर बहुत अधिक बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह यह है कि चीन की विस्फोटक और पर्टेट बनाने की क्षमता को काफी ज्यादा पसंद किया जाता है। वहीं अमेरिकी फैक्ट्री इस मामले में पिछड़ते जा रहे हैं। चीन ने अब 50एक्स या एचएमएक्स से 40 प्रतिशत बड़ा घाट विस्फोट किया है। अमेरिकी मीडिया के अनुसार चीन ने बहुत ही मात्रा में सीएन20 विस्फोट का निर्माण किया है। ऐसे में ‘फोर्ब्स’ की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक ताइवान पर अमेरिका का चीन से हुआ युद्ध तो विस्फोटकों की जखीरा 1 हफ्ते में खतम हो जाएगा।
अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार ये सीएल-20 का उन्नत संस्करण है, जिसका निर्माण 1980 के दशक में किया गया था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने साल 2011 में सीएल-20 के समकक्ष का परीक्षण किया था। इसके बाद से लेकर अब तक चीन ने बड़े पैमाने पर इस विस्फोट का निर्माण किया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिकी सेना के ज्यादातर विस्फोटक अमेरिका के केवल एक प्लांट में होल्स्टोन में बनाए जाते हैं। इसमें दूसरे विश्व युद्ध के समय मिक्सिंग सिस्टम और उत्पादन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।