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सेम सेक्स मैरिज एक्ट के खिलाफ केंद्र, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज भारत में समलैंगिक विवाह के विरोध में केंद्र सरकार आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करेगी

छवि स्रोत: फाइल फोटो
भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का विरोध

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देश में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट में सेंटर ने सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा है कि वो समलैंगिकों की शादी को कानून मान्यता देने के पक्ष में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में आज सेम सेक्स मैरिज की मान्यता देने के लिए दायर याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। इससे पहले केंद्र सरकार का हलफनामा शामिल है कि सरकार इसके पक्ष में नहीं है। सेंटर ने रविवार को कोर्ट में 56 पेज का हलफनामा दायर किया जिसमें कहा गया कि सेम सेक्स मैरिज भारतीय परंपरा के मुताबिक नहीं है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले को लेकर दिल्ली समेत अलग-अलग हाई कोर्ट में दाखिल सभी शिकायतों की सुनवाई एक साथ करने का फैसला किया था। कोर्ट ने 6 जनवरी को इस मुकदमों से जुड़ी सभी याचिकाएं अपने पास नामांकन कर ली थीं। मुख्य न्याय डी. वाई। चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की बेंच सोमवार को इस मामले की सुनवाई करेगी।

सरकार ने कोर्ट में 56 पेज का हलफनामा किया पैर

सेंटर ने इसे लेकर विस्तृत स्पष्टीकरण स्पष्टीकरण दिया है। सरकार ने कोर्ट में 56 पेज का हलफनामा पेश किया है। हलफनामे में कहा गया है कि किम सेम सेक्स विवाह भारतीय परंपरा के अनुसार नहीं है। सेंटर ने कहा कि शादी की परिभाषा अपोजिट सेक्स के दो लोगों का मिलन है। इसे अस्वस्थ के माध्यम से खराब नहीं किया जाना चाहिए। यह पति-पत्नी और उनसे पैदा हुए बच्चे का कॉन्सेप्ट मेल नहीं है। सेंटर ने इस हलफनामे में समाज की वर्तमान स्थिति का जिक्र करते हुए कहा है कि अभी के समय में समाज में कई तरह की स्थिति या विश्राम को अपनाया जा रहा है। हमें इस पर आपत्ति नहीं है।

कानून में पति-पत्नी की बेमानी परिभाषा तय- केंद्र
हलफनामे में सरकार ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय ने अपने कई दस्तावेजों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की व्याख्या स्पष्ट की है। इन दस्तावेजों के आधार पर भी इस याचिका को खारिज कर देना चाहिए क्योंकि इसमें सुनने वाले कोई तथ्य नहीं हैं। योग्यता के आधार पर भी उसे खारिज कर दिया जाना उचित होगा। सरकार ने कहा है कि कानून के मुताबिक भी समलैंगिक विवाह मान्यता नहीं दी जा सकती क्योंकि इसमें पति और पत्नी की परिभाषा जैविक रूप से दी गई है। उसी के अनुसार दोनों के कानूनी अधिकार भी हैं। समलैंगिक विवाह में विवाद की स्थिति में पति-पत्नी को अलग-अलग कैसे माना जा सकता है?

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30 देशों में समलैंगिक विवाह लीगल है
आपको बता दें कि अगर भारत इस तरह के विवाह को मंजूरी देता है तो ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश नहीं होगा। करीब 30 ऐसे देश हैं जो कि सेम सेक्स मैरिज यानी समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देते हैं। हालांकि इन देशों में ज्यादातर पश्चिमी यूरोप और अमेरिका के देश शामिल हैं। एशिया की बात करें तो केवल ताइवान में समलैंगिक विवाह को मान्यता दी गई है।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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