
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट से मिलते हैं वीरांगनाएं।
रायपुर: राजस्थान की राजधानी जयपुर में धरने पर बैठे शहीद शहीदों के परिजनों को पुलिस ने देर रात हिरासत में ले लिया है। बताया जा रहा है कि पुलिस की एक टीम मेडिकल चेकअप के नाम पर वीरांगनाओं को लेकर गई और फिर उन्हें और उनके परिजनों को हिरासत में ले लिया। बीजेपी सांसद किरोड़ीलाल मीणा को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था लेकिन बाद में छोड़ दिया। बता दें कि 2019 के अस्पष्ट प्रहारों में शहीद हुए राजस्थान के 3 सील्स की वीरांगनाओं ने अनुकंपा के आधार पर अपनी मृत्यु को नौकरी देने सहित अपने सभी लोगों पर अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार से लिखित क्षति चाहा है।
आज वीरांगनाओं के धरने का 11वां दिन
वीरांगनाएं पिछले 11 दिनों से लगातार धरने पर बैठी हैं और अशोक गहलोत से मिलने को लेकर अड़ी हुई हैं। न तो वीरांगनाएं धराना खत्म करने को तैयार हैं, और न ही सीएम अशोक गहलोत कुछ भी राजी दिख रहे हैं। गहलोत ने साफ कर दिया है कि वीरांगनाओं की मांग जायज नहीं हैं और उन्हें पूरा नहीं किया जा सकता। गुरुवार को वीरांगनाओं ने एक बार फिर सीएम आवास की तरफ जाने की कोशिश की तो उन्हें पुलिस ने बैरिकेडिंग रोक दिया। इस दौरान पुलिस और वीरांगनाओं के बीच में तीखी नोकझोक भी हुई।
पुलिस ने वीरांगनाओं से की बदलालूकी
वीरांगनाओं का आरोप है कि उनके साथ बदलेलूकी की गई, जिसके बाद राष्ट्रीय महिला आयोग ने राजस्थान डीजीपी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस बीच शुक्रवार को वीरांगनाओं को मेडिकल चेकअप के बंधनों में जाने की खबर सामने आई है। बता दें कि शहीदों पर शहीद हुए CRPF के 3 सील रोहिताश लांबा, हेमराज मीणा और जीतराम गुर्जर की विधवाओं ने पिछले 10 दिनों से शहीदों की प्रतिमाएं लगाईं, अनुकम्पा के पर परिजनों की नियुक्ति, उनके सिगरेट में काम करने सहित अन्य दिखने के लिए बीजेपी लेकर राज्यसभा के सदस्य किरोड़ी लालणा के साथ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
राज्यपाल ने गहलोत को चिट्ठी लिखी
इस बीच राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी सीएम अशोक गहलोत को चिट्ठी लिखी है। मिश्र ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि सांसद किरोड़ी लाल मीणा के साथ मधुबाला, सुंदरी, मंजू जाट और रेणु सिंह ने मुलाकात कर इच्छा की अनुमति प्रदान करने को लेकर पत्र दिया है। उन्होंने चिट्ठी में लिखा, ‘देश के लिए सर्वोच्च बलिदान करने वाले वीर सपूतों के परिवार की देखभाल और उनका यथोचित सम्मान राज्य का अधिकार है। सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वीरांगनाओं के अनुरोध पर सहानुभूति सावधानीपूर्वक विचार करते हुए कल्याणकारी राज्य की विचारधारा के अनुकरण की कार्यवाही करें।’
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