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अदालत से प्रचंड पर दस्तावेजों का आदेश जारी होने पर नेपाल के छह पक्षों ने बयान जारी किए

उसी दिन पहले उच्च न्यायालय ने प्रधान मंत्री पुष्प कमल दहल ”प्रचंड” के विरोधी माओवादी आंदोलन के दौरान 5000 मृत्यु की जिम्मेदारी लेने को लेकर याचिका दायर करने का आदेश दिया था।

नेपाल के नौ राजनीतिक दलों ने उन मुद्दों को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है जो संक्रमण काल ​​​​संबंधित न्याय प्रक्रिया को लेकर हाल में उठाए गए हैं। उसी दिन पहले उच्च न्यायालय ने प्रधान मंत्री पुष्प कमल दहल ”प्रचंड” के विरोधी माओवादी आंदोलन के दौरान 5000 मृत्यु की जिम्मेदारी लेने को लेकर याचिका दायर करने का आदेश दिया था।

इन पक्षों की ओर से जारी संयुक्त अभिकरणों में उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है, ”संबंध संबद्ध न्याय प्रक्रिया को लेकर हाल में उठाए गए मुद्दों की ओर हमारा गंभीर ध्यान आकृष्ट किया गया है। घोषणाओं में कहा गया है, ”संविधान एवं समग्र शांति समझौते के अनुसार हम संघातिक संबद्ध न्याय प्रक्रिया का समापन करने के लिए कटिबद्ध हैं। कानून की समीक्षा से जुड़े अन्य काम भी जल्द ही आपको हैरान कर देंगे।”

इन पक्षों ने कहा कि इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय की रूपरेखा के अनुसार एक मौजूदा संसद में सत्र पेश किया जाएगा। पहले तो इन पार्टियों की बैठक में राष्ट्रपति चुनाव के विषय पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी लेकिन अतिरिक्त न्यायालय के आदेश का विषय छाया रहा। नवगठित गठबंधन में जो दल हैं वे नेपाली कांग्रेस, सीपीएन (माओवादी केंद्र), जनता समाजबादी पार्टी, सीपीएन (यूनी एकीकृत सामाजिकवादी), लोकतांत्रिक समाजबादी पार्टी, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी, जनमत पार्टी, राष्ट्रीय जनमोर्चा और नेपाल समाजबादी पार्टी हैं।

गठबंधन की इस बैठक से कुछ घंटे पहले प्रचंड की पार्टी, माओवादी केंद्र के कुछ नेताओं और पूर्व माओवादी नेताओं ने प्रचंड के विरोधी रिटेन याचिका दायर की के शीर्ष अदालत के आदेश की कड़ी आलोचना की। CPN (माओवादी केंद्र) के अध्यक्ष प्रचंड ने 15 जनवरी 2020 को उस दशक तक जिस माओवादी पार्टी ने माओवादी आंदोलन चलाया था, उसके नेता होने के नाते वह 5000 लोगों की मौत की जिम्मेदारी लेगा और सरकार को बाकी मौत की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

प्रचंड ने यहां माघा उत्सव को संदेश देते हुए कहा था, ”मुपर 17000 लोगों की मौत का आरोप लगता है जो सच नहीं है। लेकिन मैं संघर्ष के दौरान 5000 लोगों की मौत की जिम्मेदारी लेने को तैयार हूं।’ ज्ञानेंद्र आरान और कल्याण बुढाठोकी ने सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग रिट याचिका दायर कर अनुरोध किया कि इस जमा को लेकर प्रचंड की जांच करें और उन पर मुकदमा चलाएं। ये दोनों वकील हैं और उस दौर की हिंसा के भुक्तभोगी रहे हैं।

प्रशासन ने पिछले साल नवंबर में मामला दर्ज करने से यह दावा करते हुए इनकार कर दिया था कि यह मेल संक्रमणकाल के न्याय से लाल है और सत्य एवं सुरक्षा आयोग इन मामलों को देख रहा है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने प्रशासन को प्रचंड के खिलाफ माओवादी आंदोलन के दौरान 5000 मौत की जिम्मेदारी लेने को लेकर रिटेन याचिकाएं दर्ज करने का आदेश दिया।

व्यस्त कार्यक्रम एवं कार्यबल की कमी की वजह से रविवार को मामला दर्ज नहीं किया जा सका और ऐसी संभावना है कि होली के बाद दर्ज की जाएगी। होली यहां सोमवार को है। काठमाडू पोस्ट ने आरान के निर्धारण से बताया कि अदालत प्रशासन ने इस फैसले के प्रति रविवार शाम अधिशासी को निर्देश दिया। अरन ने कहा, ”हम मंगलवार को याचिका दायर करेंगे क्योंकि सोमवार को होली के कारण छुट्टी है।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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