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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने रविवार को कहा कि भारत ‘हिंदू वृद्धि दर’ के बेहद करीब पहुंच गया है। उन्होंने निजी क्षेत्र के निवेश में कमी, उच्च बेज बंधन और वैश्विक वृद्धि की धीमी गति का उल्लेख करते हुए यह जमा दिया। राजन के अनुसार, राष्ट्रीय सदस्यता कार्यालय (NSO) ने पिछले महीने राष्ट्रीय आय के जो रिपोर्ट जारी किए हैं, वे तिमाही घटक में संकीर्ण के संकेत मिलते हैं जो चिंता की बात है। आसान हो कि भारतीय उद्योग का विकास दर 1950 से लेकर 1980 के दशक तक 4 प्रतिशत के निम्न स्तर पर रही थी जिसे ‘हिंदू रेट ऑफ क्रेडिट’ भी कहा जाता है। धीमी वृद्धि के लिए ‘हिंदू वृद्धि दर’ 1978 में भारतीय अर्थशास्त्री राज कृष्ण ने शास्त्रीय साहित्य का प्रयोग किया था।
चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटक 4.4 प्रतिशत रही, जो दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 6.3 प्रतिशत और पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 13.2 प्रतिशत रही। पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 5.2 प्रतिशत रही थी। राजन ने कहा, ‘आशावादी निश्चित ही पिछली जीडीपी रिकॉर्ड में किए गए सुधार की बात करेंगे लेकिन मैं नरभक्षी को लेकर चिंतित हूं। निजी क्षेत्र में निवेश करने के लिए कपट नहीं है। आरबीआई के लक्ष्य तय किए जा रहे हैं और वैश्विक विकास के आने वाले समय में और मंद के आसार हैं। ऐसे में मैं सहज नहीं हूं कि वृद्धि किस तरह गति पकड़ी।’
राजन बोले- 5% की वृद्धि भी अधिक हो सकती है तो…
पूर्व गवर्नर से आगामी वित्त वर्ष (2023-24) में भारत के विकास दर के बारे में पूछताछ की गई। इसके जवाब में राजन ने कहा, ‘5 फीसदी की बढ़ोतरी भी हो जाएगी तो यह हमारी खुशी होगी। अक्टूबर-दिसंबर के आंकड़े आंकड़े दर्शाते हैं कि साल की पहली समस्या में कमी कमजोर होती है।’ उन्होंने कहा, ‘मेरी आशंकाएं ब्योजह नहीं हैं। सिल्वर ने चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में और कम से कम 4.2 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है।’
राजन बोले क्यों डरने वाली बात?
रघुराम राजन ने कहा कि इस बार अक्टूबर-दिसंबर तिमाही का औसत वार्षिक वृद्धि 3 साल पहले की तुलना में 3.7 फीसदी है। यह बूढ़ा हिंदू वृद्धि दर के बहुत करीब है और डराने वाली बात है। हमें इससे बेहतर करना होगा। हालांकि, उनका मानना है कि सरकार तय निवेश की संभावनाओं पर काम कर रही है, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग पर जो दिया जा रहा है वह अभी बाकी है। उन्होंने सर्विस सेक्टर के प्रदर्शन को चमकीला पक्ष के बयानों में कहा कि इसमें सरकार की भूमिका कुछ खास नहीं है।