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बीज़ूक पूर्वाहन के ‘डकोटा’ विमान को भुवनेश्वर में सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए रखा गया है

अनुभवी पायलट रहे बीजू पूर्वाक के डकोटा DC-3 विमान को 18 जनवरी, 2023 को कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ीसा की राजधानी लाया गया था और यहां बीजू पूर्वांचल अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जनता के लिए इसे नया रंगरूप दिया गया

भुवनेश्वर। ओडिशा के लिए नया तेनाटक पूर्व बीजू तेनायक की 107वीं जयंती पर यहां भुवनेश्वर हवाई अड्डे पर उनके ऐतिहासिक ‘डकोटा’ विमान को रविवार को सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए रखा गया। अनुभवी पायलट रहे बीजू पूर्वाक के डकोटा DC-3 विमान को 18 जनवरी, 2023 को कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ीसा की राजधानी लाया गया था और यहां बीजू पूर्वांचल अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जनता के लिए इसे नया रंगरूप दिया गया। एक अधिकारी ने बताया कि ‘एयरोस्पेस रिसर्च डेवलेपमेंट’ के 10 सदस्यीय दल को विमान के पुर्जों को अलग करने और उचित तरीके से पैक करने में 12 दिन लगे। उन्होंने बताया कि स्टार्टर और स्ट्रैटेजी के एक दल ने विमान के पुर्जों को जोड़ा।

ओडिशा के सूचना प्रौद्योगिकी सचिव मनोज मिश्रा ने ‘पीती-भाषा’ से कहा, ”आज हम सभी के लिए यह भावुक दिन है। हम कैसे विकलांग बीजू पूर्वा जी के बारे में कई कहानियां सुनते थे कि वह इंडोनेशिया गए और लोगों को बचाए, कैसे वे विमान को जम्मू कश्मीर के लेह में उठाएं। हमारे पास ओडिशा में उनकी चमक का कोई जीवंत प्रतीक नहीं है।” मिश्रा इस ऐतिहासिक डकोटा विमान की जिम्बाब्वे में शामिल दल का हिस्सा रहे। मिश्रा ने कहा, ”जब हम कोलकाता एयरपोर्ट से डकोटा को लेकर आए तो उनकी स्थिति काफी खराब थी। हमने उन्हें गौरवशाली रूप में लौटाया और अब यह बीजू बाबू के चश्मदीदों के चश्मदीदों के रूप में खड़ा है और जब लोग इसे देखते हैं और नई पीढ़ी उनके बारे में जानेगी तो यह उन्हें प्रेरित करेगा।”

प्रसिद्ध इतिहासकार अनिल धीर ने कहा कि यह प्रतिक्रिया: दुनिया का पहला हवाई अड्डा है जहां किसी विमान को आम जनता के लिए देखा जाता है। डकोटा को ओडिशा आने से पहले भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (एक स्थिति) ने विमान को हवाई अड्डे के सामने रखने के लिए 1.1 एकड़ जमीन पर चढ़ने की थी। इस एयरपोर्ट का नाम दिग्गज नेता के नाम पर रखा गया है। सरकार प्रदर्शनी स्थल पर एक लघु संग्रहालय बनाने की भी योजना बनाई जा रही है। इसमें बीजू तेनायक की साहसिक कहानियां और तस्वीरें और उनके अति जोखिम वाले अभियान की कहानियां दिखाई देंगी। राजनीति में आने से पहले बीजू पतयनायक एक अनुभवी पायलट थे और उन्होंने 15 डकोटा विमान के बेड़े के साथ कलिंगा हवाईअड्डे भी स्थापित किए थे।

बीजूक पूर्व ने अपनी साहसिक यात्रा के तौर पर 1947 में इंडोनेशिया के राजदूत मुहम्मद हट्टा और प्रधान मंत्री सुल्तान शहर को बरकरार रखा था। इंडोनेशिया सरकार ने बीजू संतयक को उनके साहसिक अभियान के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भूमिपुत्र’ से दो बार सम्मानित किया। भौगोलिक कार्यालय से जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, चूंकि यह विमान बीजू पतयक से करीबी से जिम्मेदार है तो यह ओडिशा के समृद्ध उड्डयन इतिहास को प्रतिबिंबित करेगा जो ओडिशा के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति को उचित श्रद्धांजलि देगा। बयानों में कहा गया है कि विकलांग बीजू संतायक की स्मृति चिह्न के तौर पर डकोटा विमान को देखें।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



 


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