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जानिए आपको एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस के बारे में क्यों समझना चाहिए। जानिए आपके लिए क्यों जरूरी है एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के बारे में।

एंटीमाइक्रोबॉयल रेज‍िस‍टेस (एएमआर) एक बड़ा खतरा है और ‘ग्‍लोकल’ (ग्‍लोबल+ लोकल) परिदृश्‍य में जहां एंटीबायोटिक के प्रयोग के कारण एक घुमाव की संभावना बढ़ जाती है, यह जोखिम और गहनता है। वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने हाल ही में यह अलर्ट जारी किया है कि एंटीमाइक्रोबायल रेज़िस्‍टेंस (एंटी माइक्रोबियल रेजिस्‍टेंस) तेजी से सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए चुनौती बन रही है। साथ ही, उन पैथोजेन्स (रोगाणुओं) की एक सूची भी जारी की गई है, जो मल्टी ड्रग रेज़िस्टेंट ‘सुपरबग्स’ बन गए हैं।

रोग प्रतिरोध के मामले बढ़ रहे हैं, आम लोगों से दिख रहे लोग सीधे मूत्र के संक्रमण के जिन मामलों में साधारण माइक्रोबायल्स के प्रभावकारी नहीं रह गए हैं, इस संपूर्ण परिदृश्‍य की नाजुक स्थिति भ्रांति करती है।

क्यों दी जा रही हैं शनिवार की औषधियां

ज्‍यादातर एंटीमाइक्रोबायल दवाएं या तो प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों द्वारा दी जाती हैं या ओवर काउंटर काउंटर ली जाती हैं। ही साथ, यूटीआई (मूत्र पथ संक्रमण) या मूत्र संक्रमण सबसे सामान्य किस्म के संक्रमण हैं, जिनके उपचार के लिए एंटीमाइक्रोबायल के प्रयोग की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, रोका को भी इन संक्रमणों का खतरा ज्‍यादा रहता है। इस आबादी में एंटीबायोटिक-एक्स्पोज़र भी अधिक होता है।

प्रभाव जानने के बावजूद ज्यादातर लोग एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करते हैं। चित्र-शटरस्टॉक।

बार-बार अस्पाताल के माहौल के संपर्क में आना और लंबी अवधि की स्वास्थय स्थिति में कारक से भी संक्रमण का जोखिम बढ़ रहा है। जो एंटीमाइक्रोबायल रेज़‍िस्टेंट बैक्‍टीरिया की वजह से हुआ है। बार-बार यूटीआई (मूत्र मार्ग में संक्रमण) जॉबर से महिलाओं के मामले में, ये स्वास्‍थ्य संबंधी समस्‍याओं के कारण बनते हैं।

5 में से एक महिला को बार-बार यूटीआई की समस्‍या होती है। ऐसा तब माना जाता है जबकि एक साल में 3 या अधिक बार यूटीआई हो। पुरुषों के मामले में, यूटीआई काफी जटिल होते हैं और इनका बार-बार होना और खतरनाक भी होता है।

क्या हो रहे हैं इसके प्रभाव

लगातार लंबे समय तक एंटीबायोटिक का प्रयोग – बचाव या उपचार के तौर पर, करने से शरीर में एंटीबायोटिक का जामव हो जाता है और इससे प्रतिरोधी यूरोपैथोजेन्स का जमाव शरीर में होने लगता है। जो अगले किसी यूटीआई को और भी खतरनाक और कई बार इलाज के फंसे से मुश्किल बना देते हैं। ऐसे में इलाज के लिए इंट्रावेन्स एंटीबायोटिक दवाओं का इस्‍तेमाल कारण बन जाता है।

इसके अलावा, ड्रग रेजिस्टेंट पैथोजेन्स और प्रतिरक्षण की वजह से भी मूत्र के संक्रमण बनते हैं। जो गंभीर पायलोनेफ्राइटिस और कई बार यूरोसेप्सिस पैदा करते हैं। किसके इलाज के लिए भाई को अस्‍पताल में भर्ती करना पड़ सकता है। यहां तक ​​कि कई बार ये जानलेवा भी हो सकते हैं।

दोस्ती और यूटीआई

यूटीआई के उपचार के लिए प्रोफाइलेक्टिक एंटीबायोटिक का लंबे समय तक इस्‍तेमाल करने की वजह से अन्‍य कई तरह से स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान पहुंचता है। इससे गट फ्लोरा प्रभावित होता है जो माइक्रोबायोम को अनहेल्दी बनाता है।

uti के उपचार में ज्यादा एंटीबायोटिक्स का इस्तमाल किया जाता है
यूटीआई के उपचार में अधिकतर साइनेसिटी का उपयोग किया जाता है। चित्र: अडोबी स्टॉक

ऐसा होने से स्ट्रास, एंग्जाइटी, स्लीप और वैल-बींग पर असर पड़ता है। यूटीआई होने पर लोक/ओरल एंटीबायोटिक का इस्‍तेमाल करने से योनि में भी माइक्रोबायोम प्रभावित होता है। जो आगे चलकर फर्जी इंफेक्शंस और रेजिस्टेंट वैजिनाइटिस का कारण बनता है। मूत्राशय (ब्लैडर) में माइक्रोबायोम से प्रभावित होने पर लगातार दर्द और बार-बार मूत्र नलिका के संक्रमण का खतरा भी बढ़ रहा है।

एंटीमाइक्रोबायल रेज़िस्‍टेटस से बचाव के लिए जरूरी है इन सूचनाओं को फॉलो करना

इनका समाधान तो आसान है, लेकिन उनका पालन करना उतना ही कठिन भी होता है। सबसे जरूरी है एंटीबायोटिक के प्रयोग में सावधानी।

  1. सबसे पहले एंटीमाइक्रोबायल को प्रेस क्राइब करना कितना जरूरी है, इसे देखा जाना चाहिए। कई बार एंटीबायोटिक की जरूरत नहीं पड़ती। यूरिन कल्चर रिपोर्ट के बग और बिना कोई दिखाये ये लक्षण नहीं होने चाहिए।
  2. साथ ही, सबसे पहले लाइन एंटीबायोटिक दवाओं के मामले में सावधानी बरतना जरूरी है। शरीर से बैक्टीरिया को बाहर निकालने के लिए इलाज का पट्टा कैसे पालन करना चाहिए।
  3. अधियुक्त अवधि के लिए उनका प्रयोग करें, अधिक लंबे समय तक नहीं बल्कि पर्याप्‍त अवधि के लिए करें।
  4. यूटीआई के इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के इस्‍तेमाल का एक गंभीर‍पूर्ण पहलू दृष्टिकोण (बचाव दृष्टिकोण) होता है। खुराक और अवधि को जितना संभव हो उतना कम रखें और दवाओं से बचने के लिए ‘ड्रैग हॉलीडे’ का पालन करें और इस मामले में पारंपरिक उपायों को अपनाएं।
  5. लक्षित स्वछछता रखें, हाथ पकड़ लें, शौच के बाद साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें, शरीर में पानी का स्तर कम न हो और संतुलित खुराक लें ताकि यूटीआई से बचाव हो।

रोगी को सबसे पहले आने वाले फर्स्‍ट लाइन हेल्‍थकेयर दावों को भी उपचार के मामले में अजनबियों की जरूरत होती है और इस मामले में कम या लंबी अवधि से बचने की पूरी कोशिश की जानी चाहिए। पिछले कई वर्षों से एंटीबायोटिक-रेज़ीटेंट ‘सुपरबग्स’ का खतरा बढ़ गया है और एंटीबायोटिक की खोज के मामले में कुछ विशेष प्रजाति नहीं हुई है, ऐसे में एंटीमाइक्रोबायल प्रयोग के मामले में परमाणु सावधानी बरतना बहुत जरूरी है।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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