![](https://i0.wp.com/una.news/wp-content/uploads/2023/02/prachanda_large_2108_136.webp.webp?fit=1200%2C705&ssl=1)
सीपीएन-यू विधायक की केंद्रीय प्रचार समिति के उप प्रमुख बिष्णु रिजाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “पार्टी प्रमुख के.पी. शर्मा ओली के नेतृत्व में सोमवार को एक उच्चस्तरीय बैठक हुई, सरकार में वापसी और प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से पार्टी का समर्थन वापस लेने का फैसला किया।
संसद में नेपाल के दूसरे सबसे बड़े राजनीतिक दल सीपीएन-यू विधायक ने सोमवार को प्रधानमंत्री कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। राष्ट्रपति चुनाव में मुख्य विरोधी दल का समर्थन को लेकर पर जाति के बाद यह घटनाएं हुईं, जो इस हिमालयी राष्ट्र को राजनीतिक जुड़ाव के एक और दौर की ओर ले जा रही हैं। सीपीएन-यू विधायक की केंद्रीय प्रचार समिति के उप प्रमुख बिष्णु रिजाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “पार्टी प्रमुख के.पी. शर्मा ओली के नेतृत्व में सोमवार को एक उच्चस्तरीय बैठक हुई, सरकार में वापसी और प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से पार्टी का समर्थन वापस लेने का फैसला किया।
प्रचंड और ओली की पार्टी के अलग होने की मुख्य वजह माओवादी नेता (प्रचंड) द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में नेपाली कांग्रेस (नेकां) के वरिष्ठ नेता रामचंद्र पौडेल का समर्थन करने का फैसला बताया जा रहा है। पौडेल की नेपाली कांग्रेस संबद्धता का हिस्सा नहीं है। नेपाल में राष्ट्रपति चुनाव नौ मार्च को होगा। सीपीएन-यू विधायकों के अलग होने से प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार का अस्तित्व तुरंत प्रभावित नहीं होगा, क्योंकि संसद में नेपाली कांग्रेस (एनसी) के 89 सदस्य हैं।
रिजाल ने कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री प्रचंड ने सात-दलीय गठबंधन सरकार बनाने के दौरान 25 दिसंबर के समझौते का उल्लंघन किया और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-(एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (सीपीएन-यू एमएल) को धोखा दिया, ऐसी पार्टी ने सरकार बनाई जॉइन करने का फैसला लिया। उपप्रधान मंत्री और वित्त मंत्री बिष्णु पौड्याल तथा विदेश मंत्री बिमला राय पौड्याल सहित आप संसद के मंत्री ने प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा सौंपा है।
प्रचंड के नेतृत्व वाले मौजूदा सरकार में उपप्रधान मंत्री सहित आप सभी विधायक मंत्री थे और वे सभी सामूहिक रूप से इस्तीफा दे रहे हैं। इस बीच, पूर्व टीवी पत्रकार रवि लामिछाने के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी ने सरकार को अपना समर्थन जारी रखने का फैसला किया है। आरएसपी के मंडल दल के उप नेता बिराज भक्त श्रेष्ठ ने कहा कि सोमवार को पार्टी की उच्चस्तरीय बैठक में प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने का फैसला किया गया। नेपाल की 275 सदस्यीय संसद में आप के 79 सांसद हैं।
इसी तरह, CPN (माओवादी केंद्र), CPN (यूनिफाइड सोशलिस्ट) और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के स्थान: 32, 10 और 20 सदस्य हैं। नेपाली संसद में जनमत पार्टी के छह, डेमोक्रेटिक समाजवादी पार्टी के चार और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के तीन सदस्य हैं। तीन प्रमुख दलों-नेकां (89), सीपीएन-माओवादी केंद्र (32) और आरएसपी (20) के साथ सरकार को कम से कम 141 सांसदों का समर्थन प्राप्त है। प्रचंड को प्रधानमंत्री बने रहने के लिए संसद में केवल 138 वोट की आवश्यकता है।
संविधान के जानकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री को 30 दिन के भीतर विश्वास का सामना करना पड़ेगा। ‘माई रिपब्लिका’ अखबार के मुताबिक, पौडेल ने दावा किया कि प्रधानमंत्री प्रचंड ने यू एमएल के मंत्री को सरकार से बाहर करने के लिए दबाव की रणनीति का इस्तेमाल किया, जिसके कारण पार्टी को समर्थन वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। पौडेल ने कहा कि प्रचंड ने चेतावनी दी थी कि अगर सीपीएन-यू सभी संबद्धता से अलग नहीं होते हैं तो वह अपने मंत्री को भरते हैं या फिर उन्हें बिना संबंध के मंत्री नियुक्त करते हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री प्रचंड ने जिनेवा जा रहे विदेश मंत्री बिमला राय पौड्याल को आखिरी समय में रोककर प्रदर्शन किया। पौड्याल यूएमएल से ताल्लुक रशीश हैं। वह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के एक उच्च स्तरीय सत्र में हिस्सा लेने के लिए जिनेवा जाने वाले थे। हालांकि, प्रचंड ने आखिरी बार उनसे यात्रा रद्द करने को कहा। उनके इस कदम ने ओली के नेतृत्व वाली पार्टी का गुस्सा और भड़का दिया।
पौडेल ने कहा, “मैंने यह फैसला इसलिए लिया है, क्योंकि प्रधानमंत्री प्रचंड ने 25 दिसंबर को हुए समझौते पर अमल नहीं किया और हम पर सरकार से अलग होने का दबाव बनाया।” प्रचंड (68) ने पिछले साल 26 दिसंबर को तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी। उन्होंने गेमिंग अंदाज में नेपाली कांग्रेस के साथ हुआ अपना चुनाव पूर्व गठबंधन तोड़ विपक्षी नेता ओली के साथ हाथ मिलाया था। प्रधान मंत्री प्रचंड की पार्टी ने 20 नवंबर को जिले और प्रांतीय चुनावों में नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले पांच दलों के गठबंधन के सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ा था। नेपाली कांग्रेस के प्रचंड को दो प्रमुख पदों-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री-में से किसी ने भी देने से इनकार करने के बाद उन्होंने गठबंधन छोड़ दिया था।
प्रचंड ने इसके बाद सरकार बनाने के लिए 71 साल ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यू के बहुमत के साथ गठबंधन किया था। ओली ने दावा किया है कि पिछले साल प्रधानमंत्री पद के लिए प्रचंड की प्रदानी का समर्थन करते हुए इस बात पर सहमति बनी थी कि राष्ट्रपति का पद उनकी पार्टी के सदस्यों के पास होगा। ‘माई रिपब्लिका’ की खबर में कहा गया है कि पौडेल ने प्रचंड पर देश में राजनीतिक स्थिरता नहीं चाहने का भी आरोप लगाया क्योंकि वह पार्टी के साथ पहले समझौते का सम्मान करने के लिए तैयार नहीं थे। राष्ट्रपति चुनाव से पहले गठबंधन सरकार की स्थिरता के लिए खतरे के बीच, अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि प्रचंड ने देश में कुछ ”महत्वपूर्ण राजनीतिक संलग्नता के कारण कतर की अपनी पहली विदेश यात्रा रद्द कर दी।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।
- लेटेस्ट न्यूज़ पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
- विडियो ख़बरें देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
- डार्क सीक्रेट्स की ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
- UNA विश्लेषण की ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
ख़बरों को लेकर शिकायत, सुझाव एवं विज्ञापन के लिए यहाँ क्लिक करें
![](https://i0.wp.com/una.news/wp-content/uploads/2025/01/Republic-Day.jpg?fit=2251%2C2304&ssl=1)
![](https://i0.wp.com/una.news/wp-content/uploads/2025/01/1.gif?fit=532%2C808&ssl=1)
![](https://i0.wp.com/una.news/wp-content/uploads/2025/01/2.gif?fit=521%2C392&ssl=1)
![](https://i0.wp.com/una.news/wp-content/uploads/2025/01/3.gif?fit=1060%2C380&ssl=1)
![](https://i0.wp.com/una.news/wp-content/uploads/2025/01/4.gif?fit=734%2C453&ssl=1)