ख्य अधिकारी निर्वाचक (सीईओ) गित्ते किरणकुमार दिनकारो ने बताया था कि 3,337 मतदान खाते पर कड़ी सुरक्षा के बीच चुनाव हुआ था। त्रिपुरा में फिर से भाजपा की वापसी के संकेत मिल रहे हैं।
त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड इस साल चुनाव में जाने वाले पहले राज्य हैं और याचिकाकर्ता और पक्षकार, और राजनीतिक पंडितों की पैनी नजर है। हालांकि तीनों राज्यों में नई सरकार 2 मार्च तक आएगी, लेकिन एग्जिट पोल पर चुनावी विरोधियों की पैनी नजर है। इस बार विधानसभा चुनाव में 81.1 फीसदी वोट डाले गए। मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) गित्ते किरणकुमार दिनकारो ने बताया था कि 3,337 चुनावों पर कड़ी सुरक्षा के बीच चुनाव हुआ था। त्रिपुरा में फिर से भाजपा की वापसी के संकेत मिल रहे हैं। इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में बीजेपी को 36-45 सीट मिल रही हैं। जबकि TMP को 9-16 सीटों का मिलने का अनुमान है। लेफ्ट+ को 6-11 सीटें मिल सकती हैं। अन्य के फायदों में 0 सीट्स जा रही हैं।
त्रिपुरा में बीजेपी को मिल रही बड़ी टक्कर
बीजेपी का लक्ष्य भूत में अपनी स्थिति मजबूत करना है, वह निश्चित रूप से क्षेत्रीय शक्तियों से समानता देख रहा है। त्रिपुरा ने 2018 में अपने राजनीतिक जाल में एक बड़ा बदलाव देखा था, जब बीजेपी ने 60 विधानसभा सीटों से 44 सीटों पर जीतकर वामपंथी गढ़ पर फतह हासिल की थी। हालांकि, इस साल पार्टी को प्रद्योत देबबर्मा के नेतृत्व वाले टिपरा मोथा से सख्त प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिसे आदिवासियों का समर्थन प्राप्त है।
2018 में क्या रहे परिणाम
2018 में त्रिपुरा के सभी 60 विधानसभा क्षेत्रों में 18 फरवरी को मतदान हुआ था। कुल 297 प्रत्याशी मैदान में थे। तब सूबे में सी व्याख्या (एम) की सरकार थी। चुनाव में सी स्पष्टीकरण (एम) ने 57, सी विनिर्देश, आरएसपी, एसेटबी ने एक-एक सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया।