
‘हम समान हैं लेकिन एक जैसे नहीं’

आलिया भट्ट
आलिया भट्ट अक्सर सामाजिक मुद्दों को लेकर अपनी राय रही हैं। उनके बारे में यह मशहूर है कि उनका रुख तटस्थ और तालमेल से मेल खाता है। कुछ समय पहले वे सीट्रस के दौरान काम करने में आने वाली मुश्किलों पर बात की थी। उन्होंने कहा, ‘क्या हम ये कह रहे हैं कि हम पीरियड के दिनों में महिलाओं को छुट्टी या घर से काम करने की इजाजत नहीं दे सकते। मेरी राय यह है कि हम अपने इस दर्द में अपने शरीर से लड़ रहे हैं ताकि हम कह सकें कि हम भी अच्छे हैं हर पुरुष समय के साथ बदले हैं। हम लोग समान हैं लेकिन एक जैसे नहीं हैं।’ बकौल आलिया के दर्द में काम करना मुश्किल होता है।
‘काश पीरियड्स की बात करना सामान्य होता है’

तापसी पन्नू
तापसी पन्नू एक बार ‘वाट इफ्स’ (‘व्हाट इफ्स’) अभियान का हिस्सा बने जो उन सामाजिक मुद्दों पर बनी-बनाई सोच को तोड़ने के लिए था जो समाज को परेशान करते हैं। इस बारे में तापसी ने कहा, ‘काश रुढ़िवादी ही टैबू विषय होते हैं और हमारे पीरियड नहीं। काश शरीर पर आ रहे रैचेज खतरनाक और खुले में हमारे पैड नहीं जाने चाहिए। काश पीरियड लीव लेना सामान्य बात होती है और उसे बस दो दिन की समस्या नहीं कहते। काश ये कहना सामान्य होता है कि पीरियड्स आ रहे हैं और मुझे ये कहना नहीं है कि मेरी तबीयत खराब है या मैं परेशान हूं।’
क्लासिफिकेशन लीव करना

मिमि चक्र
मिमि चक्रवर्ती का कहना है कि हर महिला पीरियड्स के दौरान अलग-अलग तरह के दर्द से भर जाती है, इसलिए इस चर्चा को हर किसी के लिए एक नहीं माना जा सकता। अपने एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि सीक्वल लीव का विकल्प लगता है इस बात के प्रति संवेदनशीलता होना और इसे सम्मान देना है कि हर महिला अपनी मेंस्ट्रुअल सीसिल के दौरान अलग तरह से प्रतिक्रिया देती है।’
जब खून बह रहा हो, तो घर में आराम से रहो

नुसरत जहां
ऐक्ट्रेस और सांसद नुसरत जहां का मानना है कि सीट्रस लीव सही दिशा में उठाया जाने वाला कदम है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर महिलाएं इस बारे में बात नहीं करती हैं कि उनके लिए सेक्स का दर्द कितना भयानक होता है। नुसरत ने कहा कि जब आपका खून बह रहा हो, तब घर पर रहना ज्यादा आरामदायक होता है। महिलाओं को अपने मासिक धर्म को लेकर शर्मिंदगी महसूस नहीं करनी चाहिए और ना ही अपना विश्वास खत्म करना चाहिए। बकौल नुसरत, यह कदम में स्ट्रुएशन को लेकर टैबू को तोड़ने में मदद करेगा, इसलिए काम करने वाली महिलाओं को ये छुट्टी लेने में कमजोर महसूस नहीं करना चाहिए।
पीरियड्स लीव महिलाओं को प्रेरित करता है

पाउली दाम
अक्सर सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय रखने वाले पाउली दाम ने एक बार अपने साक्षात्कार में कहा था कि सीक्वेंस लीव देना वर्किंग विमन को प्रेरित करेगा क्योंकि इससे पीरियड्स होंगे और इसके बारे में बातचीत को सामान्य होने में मदद मिलेगी। पाउली का मानना है कि महिला और पुरुष के बीच के अंतर को नाकारने के बजाय दोनों के अस्तित्व के लिए एक स्वस्थ वातावरण बनाना बहुत जरूरी है। उनका कहना है कि जो लोग पहले ही महिला-पुरुष के बीच पार्टियां रखते हैं, पीरियड लीव उनके पार्टियां को और गहरे कर देंगे। लेकिन वे लोग जो तर्क-वितर्क के लिए छोड़ रहे हैं, वह मैटरनिटी लीव में भी दिया जा सकता है, जिसे अब हमारा समाज स्वीकार करता है। पाउली का कहना है कि प्रेग्नेंसी अपनी मर्जी से हो सकती है लेकिन मेंस्ट्रुएशन नहीं।
पीरियड्स लीव को विशेषाधिकार ना समझें

स्वास्तिका मुखर्जी
पीरियड्स लीव के बारे में बात करते हुए स्वास्तिका मुखर्जी उम्मीदजाती हैं कि इसे महिलाओं की विशेषाधिकार के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि पुरुषों की तरह महिलाओं को भी ऑफिस में काम करने के लिए कहा जाता है। स्वास्तिका ने कहा कि पीरियड्स लीव को महिला अधिकारिक बंधन या छूट के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए। अगर हम ऐसा सोचते हैं तो विद्युतीकरण के लिए छूट मांगते हुए हम सालों पीछे चले जाएंगे। आज महीने के हर दिन में काम पर जाने के लिए हमारे पास सब कुछ है। इसलिए महिलाओं से भी पुरुषों की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए, फिर चाहे महीने का कोई भी दिन हो। स्वास्तिका का कहना है कि हमें सभी से समान रूप से व्यवहार करना चाहिए।
छुट्टी ले तो कंपनी समझें

राइमा सेन
राइमा सेन महिला केंद्रित विषयों पर बात करने से कभी चूक नहीं होती। पिछले दिनों एक मुलाकात में राइमा ने इस बारे में बात की। उन्होंने कहा कि हर महिला का शरीर अलग होता है, इसलिए उनका कम्फर्ट लेवल भी अलग होता है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि कुछ लोगों को पीरियड्स के दौरान खूब क्रैम्प्स होते हैं तो कुछ लोगों की कमर में बहुत दर्द होता है। इस बहस पर उन्होंने कहा कि जिन दिनों में महिलाओं के पीरियड्स आते हैं और वह काम पर नहीं जा सकतीं तो कंपनी को इसकी वजह बतानी चाहिए। राइमा ने स्त्रियों से भी यही कहा कि वह वही है जो उन्हें अपने लिए बेहतर मानती है।
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