
बस्तर समाचार: आदिवासी हिंदू है कि नहीं इस पर मंत्री कवासी लखमा (कवासी लखमा) द्वारा राजधानी रायपुर (रायपुर) में दिए गए बयानों के बाद बस्तर में बवाल मचा हुआ है। दरअसल कवासी लखमा ने हिंदू धर्म और आदिवासियों (आदिवासियों) को अलग कर दिया। लखमा ने कहा कि हिंदू और आदिवासियों का रीति-रिवाज अलग-अलग होता है। हम लोग आदिकाल में रहने वाले लोग हैं और हम लोग जंगल में रहते हैं। हम जो पूजा-पाठ करते हैं वो अलग है और हिंदू की पूजा-पाठ अलग है। उन्होंने कहा कि अगर आदिवासी शादी करता है तो गांव के पुजारी के पास जाता है, हम कोई पंडित से पूजा नहीं करते हैं, इसलिए हम लोग हिंदू से अलग हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू और आदिवासियों के रीति-रिवाज अलग-अलग हैं, जहां पहाड़ हैं, जहां धरती और जंगल में रहने वाला ही है…
‘पढे़-लिखे नहीं हैं लखना…हर आदिवासी हिंदू’
मंत्री के इस बयान पर बीजापुर के पूर्व विधायक और छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के प्रांतीय उपाध्यक्ष राजाराम तोड़ेम का कहना है कि कवासी लखमा पढ़े लिखे नहीं हैं इसलिए वह सनातन धर्म के बारे में कुछ नहीं जानते हैं, भारत देश में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू है और सबसे पहले वह हिंदुस्तानी है। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व भारत का विश्व गुरु है, हिंदू धर्म को सब मानते हैं, लेकिन लखमा जी इसे नहीं समझते हैं, उन्होंने कहा कि आदिवासी के प्रमुख देवता शिव जी हैं, जिन्हें आदिवासी बुढादेव के नाम से जानते हैं। इसमें किसी भी प्रकार का कोई संदेह नहीं है कि आदिवासी हिंदू धर्म के पूर्वज, कथित हिंदू ही हैं।
लखमा को मिला प्रकाश ठाकुर के साथ
मथुरा आदिवासियों के हिंदू होने के मुद्दों को माचे बवाल के बाद मंत्री कवासी लखमा और राजाराम ब्रेकेम के बयान के अलावा सर्व आदिवासी समाज के संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने भी आदिवासियों के हिंदू होने या न होने पर बयान दिया है। प्रकाश मंदिर का कहना है कि आदिवासी हिंदू नहीं है। आदिवासी भारत के मूल निवासी हैं जो आदिकाल से रह रहे हैं और जो लोग आदिवासियों को हिंदू बोल रहे हैं वे दर्ज करते हैं गलत हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक प्रकृति के पूजक हैं और प्रकृति के साथ-साथ चलते हैं, प्रकृति और उनकी रूढ़ि प्रथा आज भी व्यापक है और प्रकृति ही आदिवासियों की संस्कृति है और आज भी चल रही है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को हिंदू गलत कहते हैं और जिसने भी कहा है वह पूरी तरह से गलत है। वहीं, कवासी लखमा के बयान के बाद लगातार आरोप लगाने वाले संगठन और जनप्रतिनिधियों के भी इसे लेकर बयान सामने आ रहे हैं और छत्तीसगढ़ में इस मुद्दे को लेकर सियासी बवाल भी मचा है।
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