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परवेज मुशर्रफ : करगिल युद्ध के सूत्रधार से दुबई में निर्वासन तक का सफर

लंबी बीमारी के बाद रविवार को करगिल युद्ध के सूत्रधार और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ की खाड़ी देश में मृत्यु हो गई। वह 79 साल के थे। करगिल में हार के बाद मुशर्रफ ने 1999 में रक्तहीन तख्तापलट में प्रधानमंत्री शरीफ को अपदस्थ कर दिया।

फ्रेंड्स। करगिल युद्ध के सूत्रधार और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने 1999 में सैन्य तख्तापलट कर लोकतांत्रिक रूप से सरकार को गिरा दिया और नौ साल तक देश पर शासन किया। इस दौरान उन्होंने खुद को एक प्रगतिशील मुस्लिम नेता के रूप में पेश करने का भी प्रयास किया। दिल्ली में एक मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा हुए मुशर्रफ 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए थे। उन्होंने अरब अमीरात में स्व-निर्वासन के दौरान बीमारी से जूझने के दौरान अपने अंतिम वर्ष जोखिम उठाए। लंबी बीमारी के बाद रविवार को मुशर्रफ की खाड़ी देश में मौत हो गई। वह 79 साल के थे।

रेटिट जनरल मुर्शरफ करगिल युद्ध के मुख्य सूत्र थे, जो दस्तावेज प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के लाहौर में उनके भारतीय समकक्ष अटल बिहारी हस्ताक्षर के साथ किए गए एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ महीने बाद हुआ था। करगिल में हार के बाद मुशर्रफ ने 1999 में रक्तहीन तख्तापलट में संलग्न प्रधान मंत्री सरफराज को अपदस्थ कर दिया और 1999 से 2008 तक विभिन्न स्थितियों पर पाकिस्तान पर शासन किया। मुर्शरफ ने शुरुआत में पाकिस्तान के मुख्य कार्यकारी के रूप में और बाद में राष्ट्रपति के रूप में शासन किया। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण 2008 में चुनावों की घोषणा करने वाले मुशर्रफ को चुनाव के बाद राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा और वह दुबई में स्व-निर्वासन में चले गए।

मुशर्रफ ने 2010 में अपनी पार्टी ‘ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग’ बनाई और खुद को पार्टी का अध्यक्ष घोषित किया। वह लगभग पांच साल तक स्व-निर्वासन में रहने के बाद मार्च 2013 में चुनाव लड़ने के लिए पाकिस्तान से पीछे हट गए। हालांकि, उन्हें विभिन्न मामलों में अदालत में घसीटा गया- जिनमें 2007 में पूर्व प्रधान मंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या, पाकिस्तान के संविधान के खातों में छह के तहत राजद्रोह और बुगती जनजाति के प्रमुख नवाब अकबर खान बुगती की हत्या के आरोप शामिल थे। वर्ष 2019 में, मुशर्रफ को उनकी अनुपस्थिति में एक विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। अदालत ने उन्हें तीन नवंबर, 2007 को संविधान में नोटिस कर आवेदन करने के लिए देशद्रोह का दोषी पाया।

इस फैसले ने पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना को नाराज कर दिया, जिसने देश के अस्तित्व में आने के बाद से ज्यादातर समय तक पाकिस्तान पर शासन किया। यह पहली बार था जब किसी पूर्व शीर्ष सैन्य अधिकारी को पाकिस्तान में देश के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। इस सजा के बाद लाहौर उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था। दुबई में रह रहे मुशर्रफ को बेनजीर भुट्टो हत्याकांड और लाल मस्जिद के मौलवी की हत्या के मामले में भी भगोड़ा घोषित किया गया था। मुशर्रफ के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान में आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों को लेकर जंपिंग क्षेत्रों में कुछ सुधार देखने को मिले थे।

अमेरिका पर 9/11 के हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में मुशर्रफ ने अमेरिका के साथ देने का वादा किया। उन्होंने खुद को एक उदारवादी और प्रगतिशील मुस्लिम नेता के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया, जिसमें इस्लामिक स्वायत्तता पर नकेल कसी और अधिकृत संगठन संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया। मुशर्रफ ने 2001 में आगरा शिखर सम्मेलन के लिए भारत की यात्रा की थी और वह 2005 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए क्रिकेट मैच को देखने के लिए भी पहुंचे थे।

मुशर्रफ का जन्म 11 अगस्त, 1943 को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने अपने शुरुआती साल – 1949 से 1956 तक – तुर्की में खींच लिया, क्योंकि उनके पिता सैयद मुशरफुद्दीन अंकारा में रुके हुए थे। तुर्की लौटने के बाद उन्होंने सेंट पैट्रिक हाई स्कूल, कराची और फिर एफ.सी. कॉलेज, लाहौर से शिक्षा। वह 1961 में पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए थे। मुशर्रफ ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में एक युवा अधिकारी के रूप में लड़ाई में शामिल हुए और कमांडर के रूप में 1971 के भारत-पाक युद्ध में भी भाग लिया था। मुशर्रफ की शादी 1968 में हुई थी और उनकी एक बेटी और एक बेटा है।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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