ऑस्कर दृश्य की इन दिनों देश में बहुत चर्चा है। इसलिए नहीं कि वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित ये अवार्ड 12 मार्च, 2023 को साझा किए जा रहे हैं। ये तो हर साल होता है इसमें कुछ नया क्या है? नया ये है कि इस साल भारत की नौ फिल्मों को आस्कर की रिमाइंडर सूची में जगह मिली है। पहली बार इतने सांख्य में भारतीय फिल्मों को लिस्ट किया गया है। इससे भी ज्यादा बड़ी और खास बात ये है कि कि एसएस किंगमौली की फिल्म ‘आरआरआर’ इस बार ऑस्कर की रेस में कुछ ज्यादा ही ऊपर नजर आ रही है। अवार्ड जीतने की उम्मीदमीदजा रही है।
न सिर्फ इसके गाने ‘नाटू-नाटू’ ने गोल्डन ग्लोब का प्रतिष्ठित अवार्ड जीता है, बल्कि ‘आरआरआर’ गोल्डन ग्लोब पुरस्कार मूवी की फाइनल दौड़ में भी शामिल थी और कम स्कोर से पिछड़ी है। उमीदें इसलिए भी ज्यादा हिलोर मार रहे हैं, क्योंकि गोल्डन ग्लोब की किसी भी श्रेणी का अवार्ड जीतने वाली फिल्म ऑस्कर की दौड़ के लिए गंभीर खिलाड़ी को चुना जाता है। तो क्या 95 साल से’ऑस्कर‘ में चला आ रहा है इस बार खत्म हो जाएगा? क्या इस बार मार्च में जब देश में व्हीट की सफलता काटी जा रही होगी तब अमेरिका में ‘आरआरआर’ ‘बोहनी’ करने में सफल हो जाएगी?
‘नाटू-नाटू’ के बढ़ने की उम्मीद है
बता दें ऑस्कर जीतने के लिए फिल्म का कमाल दिखाना तो एक जबरदस्त तत्व है ही, फिल्म का चर्चा में होना भी जरूरी है क्योंकि आस्कर जीतने के लिए अच्छाई मार्केटिंग स्ट्रेटजी बहुत जबरदस्त जुनून है। गोल्डन ग्लोब जीतने से पहले ही मार्केटिंग से आप ही निकल गए। बॉक्स ऑफिस के आंकड़े फिल्मों के अच्छे होने की गवाही तो पहले ही दे चुके हैं। ऊपर से ‘नाटू-नाटू’ की जीत सोने पर सुहागा है।
एक और फिल्म जो डार्क हार्स साबित हो सकती है वो है ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’। संजय लीला भंसाली ने निर्देशित किया है, आलिया भट्ट की इस फिल्म में जूरी को आकर्षित करने के लिए तमाम जरूरी एलीमेंट मौजूद हैं। विवेक अग्निहोत्री की दूसरी शार्ट फिल्म्स मेंद कश्मीर फाइल्स‘, ऋषभ शेट्टी की क्लासिक और चर्चित मूवी ‘कंतारा’, आर माधवन की ‘रौकेर्टी द नांबी इफेक्ट’, ‘विक्रांता रोना’, ‘मैं बसंत राव’, ‘तुझी साथी’ और ‘इराविन निझल’ शामिल हैं। ‘अच्छे शो‘ के बिना तो ये लिस्ट पूरी ही नहीं होती, ये भारत की साईट एंट्री फिल्म है।
12 मार्च को ऑस्कर के परिणाम
मेन एक्जाम का रिजल्ट तो बेशक 12 मार्च को ही आएगा, जो तय करेगा कि भारतीय सिने प्रेमियों के दिल में मार रही हिलोरें क्या यथा अपने सुखद अंजाम तक पहुंचेंगे? क्या वास्तव में सब कुछ मार पाएंगे? और क्या वास्तविक ऑस्कर के इतिहास का 95वां साल भारत के ऑस्कर अवार्ड के नशे को खत्म कर देंगे? लेकिन इससे पहले 24 जनवरी को ‘प्रिलिमिनरी परीक्षा’ का रिजल्ट आ जाएगा। इस दिन ऑस्कर के लिए नामांकन होने वाली फिल्मों के नाम सामने आ जाएंगे। जानिए ये रिमाइंडर लिस्ट क्या होती है और नॉमिनेशन होने से क्या हासिल होता है?
रिमाइंडर लिस्ट में पूरी दुनिया की कुल 301 फिल्में शामिल हैं, जिनमें भारत की ये नौ फिल्में हैं। इस लिस्ट में से फिल्मों का नॉमिनेशन होगा और यही फिल्मों में ऑस्कर की फाइनल रेस में शामिल होंगे। ऑस्कर की अंतिम सूची में हर श्रेणी के लिए पांच फिल्मों की तिथि डाली जाती है। इस सूची में शामिल फ़िल्मों को ही नामांकित फ़िल्मों के नाम से पुकारा जाता है। यूरी मेंबर विशेष रूप से इन फिल्मों को देखते हैं और वोट करते हैं। उनका वोटिंग ही तय करता है कि कौन सी फिल्म किस श्रेणी का ‘अकादमी अवार्ड’ विजेता है।
अब तक 3 फिल्में ही आखिरी-5 में पहुंचती हैं
भारत की तीन फिल्मों में ही ऐसी हैं जो अंतिम पांच की प्रतिष्ठित सूची में जगह पा रहे हैं। इनमें महबूब खान की नरगिस दत्त अभिनीत ‘मदर इंडिया’ शामिल हैं, जो सिर्फ एक वोट से पिछड़े ऑस्कर की रेस से बाहर हुई थी। दूसरी थी मीरा नायर की ‘सलाम बॉम्बे’ और तीसरी थी आमिर खान की ‘लगान’। भारतीय सिने प्रेमी इस बात से दिल बहला सकते हैं कि भारतीय कनेक्शन वाली तीन फिल्मों को अकादमी पुरस्कार मिला है। ये फिल्में हैं ‘स्लमडॉग मिलिनियर’, ‘लाइफ ऑफ पाई’ और ‘गांधी’। अभी तक जिन इंडियंस को ऑस्कर अवार्ड मिला है भानु अथैयारेसुल पुकुट्टी, गुलजार और अर रहमान शामिल हैं। रहमान को बाद में दो बार नॉमिनेशन भी मिला।
समझिए ऑस्कर अवार्ड को
ऑस्कर तो ठीक है कॉमिनेशन भी समझ में आ गया है, लेकिन ये अकादमी पुरस्कार क्या होते हैं और इनसे ऑस्कर से क्या लेना-देना है। दरअसल, अकादमी पुरस्कार और ऑस्कर एक ही बात है। अमेरिका की एकेडमी ऑफ मोशन पिकर और आशंकाएं हर साल फ़िल्मों से जुड़े क्रिएटर्स को ये अवॉर्ड मिलता है, जिंहें ‘ऑस्कर’ देश कहलाती है। इन क्रिएटर्स में डायरेक्टर, आर्टिस्ट, राइटर और घटक शामिल होते हैं। पहला अकादमी पुरस्कार समारोह 16 मई 1929 को आयोजित किया गया था। ऑस्कर निश्चित रूप से उस ट्रॉफी का नाम है जो अवार्ड विनिंग फिल्म या क्रिएटर्स को दी जाती है। वैसे तो ‘ऑस्कर’ नाम जहां से आया लेकर बहुत कुछ स्पष्ट नहीं है, लेकिन बेट्टे डेविस की जीवनी का दावा है कि ऑस्कर नाम उनके पति हरमन ऑस्कर नेल्सन के नाम पर रखा गया। इस बारे में बताएं अलग-अलग लोगों के अलग-अलग दावे और प्रतिवाद हैं।
बहरहाल, शेक्सपियर कह गए हैं नाम में क्या रखा है? गुलाब को कुछ भी नाम दो, होगा तो गुलाब ही, फूलों का राजा। हां खास बात यह भी है कि ऑस्कर प्रतिमा भले ही देखने वाले कर्ता के स्वामित्व में ही रहती है लेकिन, विजेता या उसके उत्तराधिकारी को इसे बेचने का अधिकार नहीं होता है। अगर कोई इसे बेचने वाले को जाद पर दे देता है तो वह इसे अकादमी को ही बेच सकता है, बदले में उसे इस मंगी 24 कैरेट की गोल्ड प्लेटेड ट्रॉफी के लिए गज एक यूएस डॉलर मिलेगा।
ये सच है कि ट्रॉफी की कीमत कोई खास नहीं होती लेकिन जिसे ऑस्कर अवार्ड उनका जीवन बीमा 70 प्रतिशत बढ़ जाता है। वैसे ये भी रिझा रहा है कि उन फिल्मों को ही ऑस्कर मिलता है जो बॉक्स ऑफिस पर भी धमाल करती हैं। एक्सक्लूसिव स्वरुप ही कम कमाई करने वाली फिल्मों को ऑस्कर मिला है। ‘आर आर आर’ ही देख लें। बजरंगी, एसएस राजामौली और ‘आरआरआर’ सहित सभी शार्टलिस्टेड फिल्मों को शुभकानाएं।
शकील खानफिल्म और कला समीक्षक
फिल्म और कला तथा समीक्षक स्वतंत्र पत्रकार हैं। लेखक और निर्देशक हैं। एक फैक्ट फिल्म लिखी है। एक सीरियल सहित कई पोस्ट्युमेंट्री और टेलीफिल्में लिखी और निर्देशित की गई हैं।