
जगदलपुर के शानी’ संगोष्ठी की एक तस्वीर।
वनमाली रचना केंद्र और सूत्र जगदलपुर के शास्त्रीय कार्यक्रम ‘जगदलपुर के शानी’ संगोष्ठी में प्रसिद्ध लेखक शानी को याद किया गया। इस महत्वपूर्ण घटना का कब्जा यह था कि शानी को हाई स्कूल में रखने वाले अंचल के प्रख्यात शिक्षाविद् और साहित्यकार बीएल झा एवं शनि के बालसखा उदयभान सिंह नियुक्त के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कवयत्री डा. सुषमा झा की जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में रचनाकार हिमांशु शेखर उपस्थित थे।
कार्यक्रम के पहले निवेश द्वारा ‘शानी रचनावली’ का विमोचन किया गया और उसके बाद शनि की निरंतरता और व्यक्ति पर कवयत्री खुदेजा खान ने महत्वपूर्ण अध्ययन पढ़ा। कवयत्री सरिता सिंह ने शानी को याद करते हुए अपनी बेटी सुफिया शानी के पिता पर लिखे महत्वपूर्ण प्रलेख का पाठ किया। मुख्य अतिथि के आसों से बीएल झा ने समकालीन कहानी और उपन्यास पर बस्तर के जनजीवन और शानी के पात्र और उनके बचपन की बातों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
शनि के बालसखा उदयभान सिंह ने अपने स्कूल के दिनों के रोचक बाल सुलभ घटनाओं को याद किया। गोष्ठी को संदेश देते हुए सुषमा झा ने भी शनि की रचना संसार पर प्रकाश डाली। जगदलपुर की शानी गोष्ठी में रचनाकार हिमांशु ने जगदलपुर के पाखंड शानी को याद किया। उन्होंने बताया कि शनि जब जगदलपुर में थे तब उनका संबंध यहां तक कि सबसे ज्यादा परिवार से हुआ था। जगदलपुर से बाहर भी शनि जगदलपुर को नहीं भूले।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए विजय सिंह ने शनि के महत्वपूर्ण पात्रों के बारे में बताया। इस संगोष्ठी में जगदलपुर के कवि लेखक नरेंद्र पाढ़ी, प्रणब बनर्जी, डी. रमन्ना राव, मधुर कुशवाह, प्रखर सिंह, गणेश बजपेयी, यश और अन्य लोग मौजूद थे। बता दें कि रचनाकार विजय सिंह के निवास स्थान में आयोजित ‘जगदलपुर के शानी’ कार्यक्रम में विमोचित शानी रचनावली का संपादन प्रख्यात रचनाकार डॉक्टर जानकी शर्मा प्रसाद ने किया है।



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