अदालत ने धूत को जमानत देते हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी के लिए सीबीआई द्वारा बताया गया कारण ”काफी अनियितत और आधारहीन है।” उच्च न्यायालय ने कहा कि जांच अधिकारी अपनी ”पसंद” के अनुसार किसी निर्णय को नहीं कर सकते।
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन ऋण धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तारी के करीब एक महीने बाद वीडियोकॉन समूह के संस्थापक वेणुगोपाल धूत की जमानत अर्जी शुक्रवार को बंधक कर ली। अदालत ने धूत को जमानत देते हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी के लिए सीबीआई द्वारा बताया गया कारण ”काफी अनियितत और आधारहीन है।” उच्च न्यायालय ने कहा कि जांच अधिकारी अपनी ”पसंद” के अनुसार किसी निर्णय को नहीं कर सकते।
उसने यह कहते हुए विशेष अदालत को भी फटकार लगाई कि उसने केस डायरी के साथ ही रिमांड अर्जी पर गौर करने के लिए कोई ”गंभीर प्रयास” नहीं किया। ब्रोकर रेवती मोहिते डेरे और ब्रोकर पी के चव्हाण की खंडपीठ ने धूत को एक लाख रुपये की जमानत राशि पर जमानत दी। अदालत ने उन्हें नकद मुचलका भरा और इसके दो सप्ताह बाद जमानत राशि जमा करने की अनुमति दी। पीठ ने सेंट्रल स्टैच्यू ब्यूरो (सीबीआई) के आदेश पर रोक लगाने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया, ताकि वह सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सके।
धूत को 26 दिसंबर 2002 को गिरफ्तार किया गया था और वह अभी भी हिरासत में है। उनके विधायक संदीप लड्डा और वायरल बाबर ने कहा कि वे अब धूत की अधिकृतता पूरी तरह से जारी करेंगे। यह दूसरी बार है जब सीबीआई को इस मामले में अदालत ने फटकार लगाई है। इसी पीठ ने नौ जनवरी को सह-आरोपियों आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को जमानत देते हुए अनधिकृत तरीके से उनका कब्जा करने के लिए सीबीआइ को खरी-खोटी सुनायी थी।
अदालत ने मामले में हस्तक्षेप किया और दो कोचर को जमानत देने वाले ने याचिका पारित आदेश को वापस लेने के लिए याचिका दायर की, इसी की एक वकील अर्जी ने अर्जी को भी खारिज कर दिया। पीठासीन वकील पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। धूत ने 10 जनवरी को उच्च न्यायालय का रुख किया था, जबकि इसी याचिकाकर्ता ने कोचर को जमानत दी थी। कोचर को 23 दिसंबर 2022 को गिरफ्तार किया गया था। धूत के विधायक संदीप लड्डा ने अनुरोध किया था कि धूत की गिरफ्तारी पर कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि उन्होंने जांच में सहयोग किया है। बहरहाल, सीबीआई ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि वीडियोकॉन समूह के संस्थापक ने जांच से बचने की कोशिश की थी और उनकी गिरफ्तारी वैध है।
कोर्ट हाई कोर्ट ने 13 जनवरी को याचिका सुनी थी। अभी दस्तावेज़ जमा में बंद धूत ने सीबीआई की प्राथमिकी रद्द कर दी है और उन्हें अंतरिम जमानत पर जारी करने का अनुरोध किया था। अदालत प्राथमिक रद्द करने के मुख्य मुद्दों पर छह फरवरी को याचिका पर सुनवाई करेगी। पीठासीन ने अपने 48 पेज के जजमेंट में कहा है कि प्रत्येक मामले में गिरफ्तारी जरूरी नहीं है और मौजूदा मामले में सीबीआई द्वारा उल्लिखित गिरफ्तारी ”काफी अनियितत और आधारहीन”है।
अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में सीबीआई ने धूत को सम्मन भेजा था और ऐसे दो मामलों में सम्मन किसी और को भेजे गए या धूत के पूर्व कार्यालय की इमारत की दीवार पर चिपकाए गए। हाईकोर्ट ने कहा, ”प्रथम दृष्टया यह याचिकाकर्ता गैर उपस्थिति और गैर-सहायता को दिखाने के लिए एसबीआई द्वारा सोची-समझी चाल के अलावा और कुछ नहीं दिखा रहा है।” उसने कहा कि इन सबके बावजूद धूत ने सम्मन के जवाब में सीबीआई ईमेल करें।
धूत ने सीबीआई द्वारा अपनी गिरफ्तारी को ”मनमानी, अवैध, कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया बिना उठाया गया कदम और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41 (ए) का घोर उल्लंघन बताया गया था, जिसके अनुसार पंच को जांच के लिए नोटिस जारी करना अनिवार्य है और अत्यंत आवश्यक होने पर ही गिरफ्तारी की जानी चाहिए। सीबीआइ के प्रति नाखुशी भी कारण था।
सीबीआई कोचर युगल, दीपक कोचर द्वारा संचालित नूपा रिन्यूएबल (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भारतीय जुर्माना संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराएं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2019 के तहत प्राथमिकी में बाध्यता दर्ज की गई है।
एजेंसी का आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन समूह के संस्थापक वेरुगोपाल धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन समूह की बैंकों को बैंकीकरण अधिनियम, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों और बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए 3,250 करोड़ रुपये की ऋण मांगें बंधक थे। प्राथमिकी के अनुसार, इस मंजूरी के एवज में धूत ने सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से नुपा रिन्यूएबल में 64 करोड़ रुपए का निवेश किया और 2010 से 2012 के बीच में हेरफेर करके पिनकेल ट्रस्ट को एसईपीएल ट्रांसफर की। पिनकेल एनर्जी ट्रस्ट और एनआरएल का प्रबंधन दीपक कोचर के पास ही था।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।