जोशीमठ डूब रहा है: उत्तराखंड के चमोली जिले में शीतलहर के बीच शनिवार को प्रशासन ने भू-धव प्रभावित जोशीमठ में अस्थायी राहत के लिए बिजली के ढांचे की निगरानी की। अधिकारियों ने बताया कि 38 और व्यापक रूप से प्रभावित क्षेत्रों से आक्षेपित है। उन्होंने बताया कि सरकार ने 10 जगहों पर अलाव जलाने की भी व्यवस्था की है। आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने कहा कि अब तक कुल 223 सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए हैं। इसके साथ ही हर प्रभावित परिवार को राहत के तौर पर 1.50 लाख रुपये की राशि देने के प्रयास तेज करने के साथ ही होटल ‘मलारी इन’ को गिराने का काम जारी रहा।
125 प्रभावित सभी को अवरुद्ध कर दिया गया है
सिन्हा ने कहा कि अब तक 125 प्रभावितों को सहायता सहायता के रूप में 1.87 करोड़ रुपये की राशि दी जा चुकी है। अधिकारियों ने कहा कि राहत शिविरों में दरार की संख्या 615 कर दी गई है, जिसमें लगभग 2,190 लोग रह सकते हैं। जोशीमठ में दरार वाले घरों की संख्या 782 हो गई है, जहां गांधीनगर, सिंगधार और मनोहर बाग वार्ड में स्थित इलाकों को असुरक्षित घोषित किया गया है।
निर्माण अनुसंधान संस्थान ने उत्तराखंड के जोशीमठ में जरजर घरों को मार्क किया
सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) रुड़की की एक टीम ने शनिवार को उत्तराखंड के चमोली के जोशीमठ शहर में घरों के घर-घर सर्वे शुरू किया। इस दौरान इस टीम ने घरों के झरोखों पर भू-धंसाव से अत्यधिक प्रभावित घर होने का अलर्ट लगा दिया। बताया जाता है कि सीबीआरआई रुड़की की टीम ने घर-घर जाकर स्थिति का सर्वेक्षण करके जोशीमठ में भू-धंसाव की जांच शुरू कर दी है। इस दौरान जिन घरों में कई दरारें मिली हैं। वहां गैज मीटर (दो दरारों के बीच की दूरी को पकड़ने वाला) भी लगाया गया है। सीबीआरआई के मुख्य अभियन्ता अजय चौरसिया के मुताबिक गैज मीटर को जीरो पर सेट करने के बाद गुत्थी को ऊपर रखा जाता है और कुछ दिनों में फिर से इसकी निगरानी हो जाएगी। अगर दरार चौड़ा हो गई हो तो मीटर डिफ्लेक्शन नामांकन. इंजीनियर के नौ वार्डों में 4,000 घरों की निगरानी करने का काम धुंधला हो गया है।
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जोशीमठ के सिंहधार में मकान और मंदिर गिरा
सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड के जोशीमठ शहर के सिंहधार में 2 और 3 जनवरी की मध्यरात्रि में कई घर ग्राहक गए। हालांकि, इन घटनाओं में किसी की जान नहीं गई। सूत्रों के मुताबिक, कई घरों और पास के एक मंदिर में इतनी चौड़ी होने लगीं कि आखिरकार वे दब गए।