मकर संक्रांति 2023: मकर संक्रांति के दिन हर समुदाय के घरों में खिचड़ी और तिल के व्यंजन बनाए जाते हैं। कई जगह संक्रांति को ‘खिचड़ी पर्व’ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान, सूर्य को अर्घ्य और दान का विशेष महत्व बताया गया है। मकर संक्रांति के दिन तिल और खिचड़ी दान करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी 2023 को मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति को हर राज्य में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। इसमें उत्तर प्रदेश के गोरखपुर का ‘खिचड़ी मेला’ काफी प्रसिद्ध है। यहां मकर संक्रांति के स्मारकों पर गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है। संक्रांति के पावन स्मारकों पर बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी मार्च किया जाता है। इस परंपरा को लेकर शहरवासियों का वैधानिक विश्वास है। तो आइए जानते हैं बाबा गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने से जुड़ी पौराणिक कथा क्या है।
गोरखनाथ मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
धार्मिक विरासत के अनुसार, एक बार गुरु गोरखनाथ कांगड़ा में ज्वाला देवी के दरबार में गए और जब देवी ने उन्हें भोजन के लिए कहा तो गुरु गोरखनाथ बोले कि वे केवल भिक्षा में मिले चावल-दाल ही ग्रहण करेंगे। इसके बाद देवी ने गुरु की इच्छा का सम्मान किया और कहा कि आप के रूप में चावल-दाल से ही भोजन करूंगी। उद्र, उन्होंने भोजन बनाने के लिए आग पर पात्र में पानी चढ़ा दिया। वहां से गुरु भिक्षाते मांगते हुए गोरखपुर पहुंचे।
मान्यता के अनुसार, बाबा ने राप्ती व रोहिणी नदी के संदेश पर एक स्थान का चयनकर अपना अक्ष पात्र रखा और साधना में लीन हो गए। उसी दौरान जब खिचड़ी मकर संक्रांति का पर्व आया तो लोगों ने एक योगी का भिक्षा पात्र देखा तो उसमें चावल और दाल डालने लगे। जब काफी मात्रा में अन्न डालने के बाद भी पात्र नहीं भरे तो लोगों ने इसे योगी का चमत्कार माना और उनके सामने श्रद्धा से सिर बहने लगे। कहते हैं कि उसी से गुरु की इस तपोस्थली पर खिचड़ी पर चावल-दाल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई, जो आज तक जारी है। वहीं ज्वाला देवी मंदिर में आज भी बाबा गोरक्षनाथ का इंतजार में पानी खौल रहा है।
नेपाल से आता है बाबा गोरखनाथ के लिए खिचड़ी
गोरखपुर में खिचड़ी मेले के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं। इसलिए ही सीमा पार नेपाल से भी संबंधितों की टोली इस मील का हिस्सा नहीं बनती है। आपको यहां बताएं कि बाबा गोरखनाथ के भोग के लिए नेपाल के राज परिवार की ओर से खिचड़ी आती है। मकर संक्रांति के दिन बाबा गोरखनाथ को सबसे पहले गोरक्षपीठ की ओर से पीठाधीश्वर खिचड़ी चढ़ाते हैं। इसके बाद नेपाल के राज परिवार की ओर से आई खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। इसके
(अस्वीकरण: यहां दी गई जानकारी सामान्य धारणा और जानकारी पर है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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