
कुट्टी फिल्म:’कुत्ता‘ फिल्म की रिलीज पर क्राइसिस के बादल छंट गए हैं। विशाल भारद्वाज के बेटे आकाश भारद्वाज के निर्देशन में पहली फिल्म डॉग में अभिनेता अर्जुन कपूर पुलिस वाले का रोल निभा रहे हैं। राजस्थान हाई कोर्ट में सुनवाई नहीं होने की वजह से 13 जनवरी को विशिष्ट डॉग फिल्म रिलीज होगी। याचिकाकर्ता ने फिल्म के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की थी। आज जस्टिस अरुण भंसाली की कोर्ट में सुनवाई हुई। समय के अभाव में कल याचिका पर सुनवाई करने का निर्णय लिया गया।
‘कुत्ते’ की रिलीज पर संकट के बादल छंटे
राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका जालौर जिले के अलग-अलग एसपी नरेंद्र चौधरी की 17 साल की बेटी शगुन चौधरी ने ठोकी है। याचिका में “राइट टू लीव विद डिग्निटी” और “फ्रीडम ऑफ स्पीच” के संवैधानिक अधिकारों का मामला उठाया गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि फिल्म में पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के व्यवहार को कुत्तों के व्यवहार से जोड़ा गया है। इसलिए फिल्म राइट टू लीव विद डिग्निटी के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करती है। विधि विशेषज्ञ निखिल भंडारी का कहना है कि राइट टू लीव विद डिग्निटी एंड फ्रीडम ऑफ स्पीच के बीच बहुत महीन पर्दा है। अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब ये नहीं कि किसी के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाएं। उनका मानना है कि अदालत को ऐसे मामले ग्रेविटास से लेकर पुलिस कर्मचारियों को इंसाफ देना चाहिए।
मांग को फिल्म के प्रसारण पर रोक की थी
बॉलीवुड की फिल्म डॉग का ट्रेलर देखने के बाद देखने वाले पर्यवेक्षक घेवर चंद सारस्वत का कहना है कि पुलिस विभाग ने देश के लिए कई दिए गए बलिदान दिए हैं। उन्हें याद है कि मुंबई के ताज होटल में हमलों के दौरान प्रमुख हेमंत करकरे, एसीपी अशोक कामटे और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट विजय सालस्कर सहित कुल 14 सितारे शहीद हो गए थे। बलिदान देने वालों में पुलिस विभाग के आला अधिकारी समेत कॉन्स्टेबल तुकाराम भी शामिल थे। ऐसे में इस तरह की फिल्मों की पुलिस स्थिति की शहादत का अपमान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संसद पर हुए हमलों में भी सर्वोच्च संवैधानिक संस्थाओं को शहादत देकर देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था की रक्षा की गई थी। उन्होंने दावा किया कि पुलिस को 24 घंटे की छुट्टी देने पर जारी करने पर अपराध का ग्राफ हजार गुना बढ़ जाएगा और पुलिस की ड्यूटी से अपराध का ग्राफ हजार नीचे आ जाएगा। पुलिस समाज को सुखी और कार्य जीवन देने में मदद करती है। ऐसे पुलिस वालों के खिलाफ इस तरह की फिल्में बहुत दुखद होती हैं और हर व्यक्ति को ऐसी फिल्मों का विरोध करना चाहिए।













