गहलोत यहां देश की विधानसभा बैठक के अध्यक्षों का सबसे बड़ा समागम, अखिल भारतीय विद्यार्थी अधिकारी सम्मेलन को संदेश कर रहे थे। यह दो दिवसीय सम्मेलन राजस्थान विधानसभा में शुरू हुआ जहां उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपना उद्घाटन किया।
राजस्थान के अशोक गहलोत ने संसदीय लोकतंत्र को देश का वोट दिया, बुधवार को कहा कि भगवान की मर्यादा व गरिमा बनाए रखें सभी सदस्यों की सामूहिक जिम्मेदारी है। गहलोत यहां देश की विधानसभा बैठक के अध्यक्षों का सबसे बड़ा समागम, अखिल भारतीय विद्यार्थी अधिकारी सम्मेलन को संदेश कर रहे थे। यह दो दिवसीय सम्मेलन राजस्थान विधानसभा में शुरू हुआ जहां उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपना उद्घाटन किया।
गहलोत ने अपने भाषण में कहा कि आजादी के 75 साल में देश ने संसदीय लोकतंत्र को मजबूत किया है और कई अन्य देशों की तुलना में भारत ने अल्पसंख्यक प्रणाली को प्रदान करने वाली दिशा प्रणाली को मजबूत किया है। गहलोत ने लोकतंत्र को देश का पक्ष लेते हुए कहा कि सरकार और निर्णय दोनों विधायिका के महाशक्तियां हैं और दोनों के बीच पारस्परिक सामंजस्य से एक मजबूत परंपरा स्थापित होती है, जिसके विधायी कार्य प्रभावी होते हैं।
गहलोत ने उचित मंडल आचरण और विधायी कार्य के बारे में चेतावनी देते हुए कहा कि सदन की मर्यादा और गरिमा बनाए रखना सभी सदस्यों की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने न्यायपालिका और विधायिका के संबंध का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों अंगों का एक साथ काम करना जरूरी है। उल्लेखनीय है कि यह दो दिवसीय सम्मेलन यहां शुरू हुआ। उद्घाटन सत्र में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी भी मौजूद थे।
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