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तेज दिमाग और बुद्धि कई चीजों पर काम करती है। हम किसी इंटेलीजेंट बच्चे से मिलते हैं, तो यह बरबस कह देते हैं कि निश्चित रूप से इसके परिणाम भी समझदार होंगे या फिर जागरुक होंगे। बुद्धि के विकास में निश्चित रूप से पर्यावरण और जीन दोनों का महत्व है। यहां या पर्यावरण ऐसे संदर्भ में कहा जा रहा है, जिसे जन्म दिया और दाखिल किया। जबकि जीन या विषमता से सिद्धांत है कि आपका जन्म पाश्चात्य है। अर्जेंटीना द्वारा प्राप्त आप इस संसार में लाई गई हैं।
बुद्धि पर किसका प्रभाव अधिक होता है
पर्यावरण में एपिजेनेटिक भी शामिल हैं। ऐसे गुण जो किसी विशेष वातावरण के परिणामस्वरूप प्रकट होते हैं। यह तय करता है कि इस दुनिया में आपके जैसा व्यवहार, शिक्षा और पालन-पोषण किया जाता है। अब हम जानते हैं कि हमारा ज्ञान या बुद्धि हमें विषमता के रूप में प्राप्त हुई है या एनवायरनमेंट से मिली है। इसके लिए हमने बात की मनोवैज्ञानिक या मेंटल शुरुआती शुरुआत से।
आनुवंशिकी और पर्यावरण दोनों पर बहस होती है
सीनियर क्लिनिकल साइकोलॉजिकस्ट और अनन्य सिगरेट आउटलेट सेंटर के निदेशक डॉ। ईशा सिंह बताते हैं, ‘इंटेलिजेंस हमारे जेनेटिक्स द्वारा निर्धारित है या यह पर्यावरण यानी हमारे दैनिक अनुभव से सीखता है? इस पर हमेशा बहस होती रहती है। दोनों मोर्चों पर वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध हैं। आनुवंशिकी जिसे ‘प्रकृति’ या ‘नेचर’ के रूप में जाना जाता है। यह हमारे हेरेडिटरी द्वारा निर्धारित किया जाता है। उदाहरण के लिए हम कैसे देखते हैं, किस तरह की बातें करते हैं, किस तरह से चलते हैं। हमारी पसंद-नापसंद, हमारी खान-पान से लेकर करियर के प्रति हमारी पसंद जैसी छोटी-छोटी चीजें होती हैं। ये हमारे माता-पिता या दादा-दादी द्वारा निर्धारित किए जा सकते हैं।’
नेचर (आनुवंशिकी) और ‘नर्चर (पर्यावरण) दोनों का मिश्रण समझ
डॉ. ईशा आगे बताती हैं, ‘यह भी देखा गया है कि चित्रकारी या वस्त्र जैसे कौशल भी विविधता के रूप में अग्रेषित हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि हमारा हर रोज का अनुभव और इसके साथ मिलकर जबरदस्ती नहीं करता। ‘चुंबन’ या ‘नर्चर’ वह स्थान है जहां हम बड़े होते हैं। उसके अनुरूप बने रहें। हम जो भी निर्णय लेते हैं, पहनावे से लेकर काम करने और व्यवहार करने के तरीके तक, हमारे आसपास के लोग जैसे बड़े-बुजुर्ग या दोस्त प्रभावित कर सकते हैं। दूसरों के साथ अपनी बातचीत के माध्यम से समाज के अनकहे ‘क्या करें’ और ‘क्या न करें’ सीखें। यह सीख हमारी ज्ञान के प्रत्येक चरण में योगदान देता है। इसलिए इंटेलिजेंस हमारी नेचर (आनुवांशिकी) और ‘नर्चर (पर्यावरण) दोनों का एक मिश्रण (बुद्धि आनुवंशिकता या पर्यावरण से आती है) है। हमारे महत्वाकांक्षी से हमें विरासत में मिले हैं। वे हमारे दैनिक अनुभव के साथ या तो दी गई हैं या कम हुई हैं या बदल गई हैं।’
सीधे तौर पर दस्तावेज़ी (आनुवांशिकी) अधिक महत्वपूर्ण
पारस हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम में सीनियर कंसल्टेंट, क्लिनिकल साइकोलॉजी डॉ. प्रीति सिंह कहती हैं, ‘यह पहचानना मिरर हो सकता है कि पर्यावरण या विषमता का बुद्धि पर अधिक प्रभाव है या नहीं। बहुत से लोग लंबित के साथ एक पक्ष का समर्थन करते हैं। कुछ लोग यह दावा करते हैं कि यह समान रूप से विभाजित है। वैज्ञानिक की सामान्य राय यह है कि संबद्धता(आनुवंशिकता) कारण (पर्यावरणीय कारक) की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हैं। फिर भी जीन एक्सप्रेशन (जीन एक्सप्रेशन) और फ्रैमेट्री (फेनोटाइप) के कारण कम कारक महत्वपूर्ण हैं।
हालांकि मस्तिष्क का आकार (मस्तिष्क का आकार) और संज्ञात्मकता (संज्ञानात्मक तीक्ष्णता) अधिकतर होती है। हाई सोशियो इकोनोमिक घरों में लॉगिंग होती है।’
जीन और पर्यावरण एक दूसरे से संबंधित (जीन-पर्यावरण सहसंबंध) हैं
डॉ. प्रीति सिंह के अनुसार, ‘जीन-पर्यावरण पत्र (जीन-पर्यावरण सहसंबंध) इस बात की पुष्टि करता है कि हमारी जीन कैसे प्रभावित होती हैं। हम अपने पर्यावरण से कैसे संबंधित हैं। उदाहरण के लिए एक शर्मीला बॉय स्कूल में कमजोर क्लबों को अस्वीकार करता है, तो वह उस तरह की बुद्धि विकसित नहीं करेगा, जो बहस क्लब या शतरंज क्लब में भाग लेने के दौरान वह पहचान कर पाता है। वहीं दूसरी ओर, यदि कोई बच्चा सहज रूप से कम क्षमता वाला है और बहिर्मुखी और कार्यशील है। वह योग और समर प्रोग्राम में भाग लेता है, तो वह अपनी क्षमता बढ़ा सकता है।’
प्रत्येक व्यक्ति का अनुवांशिक मेकअप और प्रभाव अलग है
डॉ. प्रीति इस बात पर जोर देती हैं, ‘जेनेटिक और एनवायरनमेंट दोनों को अलग करना मुश्किल है। क्योंकि विषमता और पर्यावरण अक्सर परस्पर क्रिया करते हैं। वे काम करते हैं। वैज्ञानिक रूप से जेनेटिक्स और एनवायरनमेंट की मात्रा तय करना कठिन है। यह तय करना भी असंभव है कि जीन और पर्यावरण के प्रभाव जहां से शुरू या बंद हो सकते हैं। विषमता, समाजशास्त्र और मनोवैज्ञानिक के बीच आम सहमति यह है कि भौतिक आनुवंशिकता और एनवायरनमेंट कारक के योग से होते हैं। यहां हम कह सकते हैं कि हर व्यक्ति का जीवन अलग होता है। प्रत्येक व्यक्ति का अनुवांशिक मेकअप और प्रभाव भी अलग होता है।‘
पर्यावरण या ज्ञान का प्रभाव अधिक
‘अधिकांश प्रमाण इस निष्कर्ष पर शब्द हैं कि नाम सम्मिश्रण – 50/50, 60/40 या 70/30 – का हो सकता है। इससे यह स्पष्ट है कि कोई भी व्यक्ति कितना विद्वान होता है, इस पर दोनों संभावित प्रभाव पड़ता है।
व्यक्ति को अपनी पूरी क्षमता को साकार करने के लिए पर्यावरण या उसके लिए आवश्यक है। जीन के बावजूद अलग-अलग वातावरण में समान गुणवत्ता वाले बीज नहीं होंगे। इसलिए तस्वीरों में पर्यावरण अधिक मायने रखता है।’
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