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पारसनाथ सम्मेद शिखर विवाद में आदिवासी भी कूदे, पहाड़ को बताया अपना धार्मिक स्थल, 10 जनवरी को जुटेंगे लोग पारसनाथ सम्मेद शिखर विवाद में अब खींच भी खिंचे, पहाड़ को बताया अपन

पारसनाथ सम्मेद शिखर - India TV Hindi

पारसनाथ सम्मेद शिखर

झारखंड स्थित सम्मेद शिखर पारसनाथ पहाड़ी के विवाद में अब खिंचाव वाले संगठन और स्थानीय लोग भी चिपक गए हैं। घने अंग ने पहाड़ को अपना खड़िया और पूज्य स्थान के कथन इस पर दावा ठोंका है। खड़िया को बचाने के आह्वान के साथ आगामी 10 जनवरी को यहां देश भर के आदिवासियों से जूटने की अपील की गई है। खास बात यह है कि इन संगठनों का घोटाला झामुमो के वरिष्ठ विधायक लॉबिन हेंब्रम कर रहे हैं। पहाड़ी के आस-पास के लगभग 50 ग्रामीण लोगों ने कहा है कि इसकी तराई में वे रहते हैं और इस पर किसी विशेष समुदाय का अधिकार नहीं हो सकता है।

जैन धर्म के लोग कर रहे थे विरोध-प्रवचन

सम्मेद शिखर पारसनाथ पर्वत को पर्यटन स्थल के रूप में नोटिफाई किए जाने के विरोध में देश-विदेश में जैन धर्मलंबी लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। इसके बाद 5 जनवरी को सेंटर सरकार ने इस अधिसूचना में संशोधन करते हुए यहां पर्यटकों की सभी गोपनीयता का आदेश जारी किया। केंद्र सरकार ने यहां मांस-शराब की बिक्री पर रोक लगाने और इस स्थान की सटीकता को अक्षुण्ण रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश भी राज्य सरकार को दिए हैं। अब आदिवासी अंग का कहना है कि इस स्थान पर भी सबसे प्राचीन समय से आदिवासी रहते हैं। यह पहाड़ मेरांग बुरू है। मरांग का अर्थ देवता है और बुरू का अर्थ पर्वत है। सदियों से हम यहां अपने प्राचीन तरीके से पूजा करते हैं। अगर केंद्र या राज्य सरकार के किसी भी आदेश के माध्यम से यहां के मूल निवासियों और आदिवासियों को इस स्थान पर जाने या फिर अन्य तरह की परंपराओं के निर्विरोध से रोका जाएगा तो इसका शुद्ध विरोध होगा।

अब आदिवासी इस पहाड़ को बता रहे हैं

झामुमो विधायक लोबिन हेब्रम सहित जन अंग के नेता नरेश मुर्मू, पीसी मुर्मू, अजय उरांव, सुशांतो मुखर्जी ने कहा कि जैन मुनि यहां तपस्या करने आए और यहां उनका निधन हो गया तो इसका अर्थ कतई नहीं कि यह पूरा पहाड़ जैन धर्मावलंबियों का हो गया। इस खड़िया को बचाने के लिए आगामी 10 जनवरी को यहां पूरे देश से जुड़ेंगे। दावा किया गया है कि इस दिन हजारों लोग पहुंचेंगे। इस मांग को लेकर 25 जनवरी को बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू गांव में भूख हड़ताल भी होगी। हाल के महीनों में लोक आकाशगंगा और मूल निवासियों के अधिकारों को लेकर सैकड़ों जनसभाएं करने वाले युवा नेता जयराम महतो ने यह भी कहा है कि इस पहाड़ की तराई में रहने वाले हर व्यक्ति का इस पर अधिकार है। अगर स्थानीय लोगों को किसी भी तरह इस पहाड़ पर जाने से रोकने की कोशिश हुई तो चढ़ाई आंदोलन होगा।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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