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विश्वविद्यालय की प्रमाण शाखा से उत्तर पुस्तिकाएं बाहर कैसे आई?
एसआईटीआरटीयू में कैंप ऑफिस बनाकर कर रहे हैं मामले की गहन जांच
कोटा। राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय (राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय) में परीक्षा में नंबर की एवज में छात्राओं (छात्राओं) से असमत निशान और खाली उत्तर पुस्तिकाओं में भी नंबर देने के मामले में गिरफ्तारी की जमानत अर्जी (जमानत अर्जी) पर कोर्ट में आज सुनवाई होगी। होस्ट के वकील द्वारा बहस के लिए दो बार समय मांगा विफल हो गया है। इस मामले में प्रोफेसर, बिचौलिए छात्र और एक होस्ट की खिलाफी रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस उनसे गहन पूछताछ कर रही है। इसमें कुछ और खुलासे हो सकते हैं।
पिछले दिनों पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए एक सप्ताह को निलंबित कर दिया था। इससे पहले विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रशासन ने और आशंका जताई थी कि छात्रों ने भी काम किया था। दर्ज रिपोर्ट होने के बाद पुलिस ने तीनों के खिलाफ जांच कर रही है। सत्रह के एडवोकेट लक्ष्मण सिंह ने बताया कि जमानत अर्जी पर सोमवार को कोर्ट में सुनवाई होगी।
होस्ट का आरोप – अस्मत दावा
विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार, सत्र हौस निशा यादव और छात्र अविवाहित रहने वाले कोटा की केंद्रीय जेल में बंद है। गिरीश परमार और छात्र अविवाहित अविवाहितों में से एक और मुकदमा दादाबाड़ी थाने में दर्ज किया गया है। उसका अनुचर भी जा रहा है। जिस होस्ट ने मुकदमा दर्ज किया है, वह सातवीं वरीयता और अंतिम वर्ष का छात्र है। होस्टल ने अपने स्थिति में यही बताया है कि उसे डरा धमकाकर फेल करवा दिया गया। इसके एक दशक बाद बाकी के बाकी छात्रों ने उसका अपमान किया और उसके बारे में कुछ सोचते हुए असमत हो गए।
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एसआईटी ने आरटीयू में कैम्प ऑफिस बनाया है
स्टेट गवर्नमेंट की ओर से विशेष इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने भी आरटीयू परिसर में कैम्प ऑफिस रहने अपनी जांच शुरू कर दी है। एएसपी उमा शर्मा के नेतृत्व में डिप्टी अमर सिंह राठौड़ की निगरानी में महिला पुलिस अधिकारी छात्राओं से बंद कमरे में अलग-अलग बातचीत कर रहे हैं. डिप्टी अमर सिंह राठौड़ ने कहा कि सभी तथ्यों की जांच की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
अब कई और चेहरे बेनकाब हो सकते हैं
एसआईटी और पुलिस की जांच में सामने आया कि एसोसिएट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर को धता दावे बिचौलिए छात्रों और एक होस्ट को परीक्षा के उत्तर पुस्तिकाएं ही दे देते थे। दोनों उत्तर पुस्तिकाएं घर ले जाने वाली छात्राओं को नंबर बढ़ाने का लालच देने वाले प्रोफेसर के पास देखने के लिए बाध्य थे। बड़ा सवाल यह है कि विश्वविद्यालय की कनेक्शन शाखा से उत्तर पुस्तिकाएं कैसे निकाली जाती थीं। एसआईटी का मानना है कि जांच में कई और चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।
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प्रथम प्रकाशित : 02 जनवरी, 2023, 13:30 IST



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