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Kartavyapath : स्वदेशी वंदे भारत ने दी आत्मनिर्भर भारत को गति

वंदे भारत ट्रेन ने भारतीय रेलवे को नई ट्रेन दी है। आत्म अंत भारत और मेक इन इंडिया के संकल्प को सामने देने में स्वदेशी नया वंदे भारत एक्सप्रेस और वंदे भारत 2.0 का विशेष महत्व है। देश में पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन 15 फरवरी 2019 को दिल्ली से वाराणसी के बीच दौड़ रही थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हावड़ा-न्यू जलपाईगुड़ी वंदे भारत एक्सप्रेस को शुक्रवार को डिजिटल तरीके से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। ये वंदे भारत सुपरफास्ट ट्रेन हर तरह की सुविधाओं की सुविधा। ये देश की सातवीं वंदे भारत ट्रेन है जो हावड़ा से नई जलपाईगुड़ी तक का सफर लगभग 7.5 घंटे में पूरा करती है। हावड़ा से नई जलपाईगुड़ी तक का सफर वंदे भारत ट्रेन अन्य ट्रेन की तुलना में तीन घंटे पहले ही तय कर लेगा। इस वंदे भारत में ट्रेन में 16 कोच हैं। इसमें दो ड्राइवर चैट हैं। इसॉन दो स्पेशल कोच भी होंगे। वहीं ट्रेन के बाकी सभी कोच सामान्य हैं। हर कोच में दो कॉन्ट्रेक्ट में कुल 78 सीटें दी गई हैं। इन कोच में पर्दे के बीच टेबल भी खास तौर से तैयार किए गए हैं, ये सभी आकर्षण का केंद्र होंगे। नई जलपाईगुड़ी से रवाना होने वाली यह ट्रेन दोपहर 2.30 बजे से रवाना होगी और रात 10 बजे कोलकाता पहुंचेगी।

आरोपित है कि आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के संकल्प को देने के लिए स्वदेशी नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का काफी विशेष महत्व है। वंदे भारत ट्रेन ने भारतीय रेलवे को नई तस्वीर दी है। ऐसी शक्ल जिसमें वंदे भारत ट्रेन को देखना हर व्यक्ति चाहता है। आत्म अंत भारत और मेक इन इंडिया के संकल्प को सामने देने में स्वदेशी नया वंदे भारत एक्सप्रेस और वंदे भारत 2.0 का विशेष महत्व है। देश की पहली इंडिनलेस वंदे भारत ट्रेन का नया वर्शन 52 वर्ग से भी कम समय में 100 किलोमीटर प्रति घंटा की गति पकड़ती है। वहीं बुलेट ट्रेन 54.6 व्यक्तियों में ये गति पकड़ती है।

– देश में पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन 15 फरवरी 2019 को दिल्ली से वाराणसी के बीच दौड़ रही थी। अब चेन्नई और मैसूर के बीच वंदे भारत ट्रेन दक्षिण भारत की पहली और देश की पांचवीं स्वदेशी हाई स्पीटड ट्रेन है। देश में अगस्त 2023 तक 75 वंदेभारत ट्रेन और उसके बाद के तीन साल में 400 ट्रेन चलाने का लक्ष्य है। नवीनीकरण वंदेभारत ट्रेन अधिकतम 180 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से दौड़ सकती है। इसे बढ़ाकर 220 किलोमीटर प्रति घंटा ले जाने का लक्ष्य है।

– भारत में पहली रेल भांप इंजिन 1 नवंबर 1950 में चित्ररंजन रेल फैक्ट्री में बना था, अब हाई स्पीड ट्रेन का निर्माण भारत खुद कर रहा है।

– वंदेभारत एक्सप्रेस को ट्रेन 18 के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि पहली ट्रेन चेन्नई से संबद्ध रेल कोच फैक्ट्री में सिर्फ 18 महीने में तैयार हुई थी।

– सेमी हाईस्पीड ट्रेन के कोच का निर्माण भी देश में ही हुआ है। पहली तेजस ट्रेन 23 मई 2017 को मुंबई को गोवा के बीच पहुंची थी।

– भारत ने अपना ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम ”कवच” विकसित किया है जिसे नेटवर्क से जोड़ा जा रहा है।

– भारत अब आधुनिक रेलगाड़ियां बनने की संभावना भी बना रहा है। रायबरेली में निर्मित रेल कोच अब दिखने लगते हैं।

वंदे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जिक्र किया था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि रेलवे उन सेक्टरों में रहा है जो भारत में मैन्युफैक्चरिंग के तहत बहुत प्रगति की है। रेलवे की स्थिति को बदलने, रेलवे ट्रैक को तेज रेलगाड़ियों के होश से तैयार करने का काम करता है। वंदे भारत एक्सप्रेस उन कार्यों की ही एक झलक है।

वंदे भारत में कई ट्रेन हैं
नई वंदे भारत ट्रेन का वजन 392 टन है। ये ट्रेन पुरानी ट्रेन से काफी रोशन है, जबकि पहले वंदे भारत ट्रेन का वजन 430 टन है। नई वंदे भारत में ट्रेन के वातानुकूलित सिस्टम में 15 प्रतिशत कम बिजली खर्च होगा। एग्जिक्यूटिव कोच में 180 डिग्री घूमने वाले सीटो की सुविधा है।

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